एस पी मित्तल अजमेर
सचिन पायलट ने जयपुर आवास पर जनसुनवाई की।
एक ओर कांग्रेस शासित राज्यों में खींचतान चल रही है तो दूसरी ओर 30 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल तकनीक से राजस्थान में चार नए मेडिकल कॉलेजों का शिलान्यास किया। इसके साथ ही बांसवाड़ा, सिरोही, हनुमानगढ़ और दौसा में नए मेडिकल कॉलेज के भवनों का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। वर्चुअल तकनीक से हुए इस समारोह की खास बात यह रही कि भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे खासतौर से जुड़ी। राजे के पास ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी समारोह में शामिल हुए। पीएम ने पहले भी वर्चुअल तकनीक से राजस्थान से जुड़े उद्घाटनों और शिलान्यास के समारोह किए हैं। लेकिन अधिकांश में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे शामिल नहीं हुई। लेकिन 30 सितंबर को राजे के शामिल होने को राजनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राजे, ओम बिरला और गजेंद्र सिंह शेखावत की उपस्थिति से यह दर्शाने की कोशिश की गई कि राजस्थान में भाजपा एकजुट है। असल में राजे के समर्थक विधायक समय समय पर पार्टी विरोधी बयान देते रहे हैं। लेकिन पीएम मोदी की पहल से माना जा रहा है कि पार्टी में वसुंधरा राजे के महत्व को भी बनाए रखा जा रहा है। भाजपा ने यह एकजुटता दिखाने का तब प्रयास किया है, जब कांग्रेस शासित राज्यों में खींचतान चल रही है। पंजाब में अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया है। मंत्रियों के विभागों को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू ने प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है। अब पंजाब में कांग्रेस की सरकार पर संकट खड़ा हो गया है। छत्तीसगढ़ के 18 विधायक भी स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के नेतृत्व में दिल्ली आ गए हैं। इसी प्रकार राजस्थान में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच खींचतान चल रही है। 30 सितंबर को पायलट ने जयपुर आवास पर जनसुनवाई की। 29 सितंबर को बसपा वाले चार कांग्रेसी विधायकों ने दिल्ली पहुंचकर राजनीतिक सक्रियता बढ़ा दी है। बसपा से कांग्रेस में शामिल होने का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इससे इन सभी 6 विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटक रही है। जो चार विधायक दिल्ली गए हैं वे हैं लाखन सिंह राजेंद्र गुढा, संदीप कुमार और वाजिद अली। इन चोरों विधायकों का कहना है कि कानूनी राय लेने के लिए वे दिल्ली में भाजपा के नेताओं से भी मुलाकात कर सकते हैं। राजेंद्र गुढा ने कहा कि हमने गहलोत सरकार को मजबूती दी है। इसलिए अब कांग्रेस को हमारी मदद करनी चाहिए। जिस तरह से चार विधायक दिल्ली गए उससे भी राजस्थान में राजनीतिक संकट के कयास लगाए जा रहे हैं। असल में बसपा के सभी 6 विधायक गत वर्ष ही कांग्रेस में शामिल हो गए थे, लेकिन अभी तक भी इन विधायकों को सरकार में शामिल होने का अवसर नहीं मिला है। जो बेचेनी बसपा वाले विधायकों में है वो ही बेचैनी 13 निर्दलीय विधायकों में भी बताई जा रही है। गत वर्ष जब सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायक दिल्ली चले गए थे, तब बसपा वाले और निर्दलीय विधायकों ने ही गहलोत सरकार को बचाने का काम किया। लेकिन निर्दलीय विधायकों को भी सरकार में भागीदारी नहीं मिली है। सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच जो खींचतान चल रही है उसमें मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां भी नहीं हो पा रही है। पायलट और उनके समर्थक विधायक भी संतुष्ट नहीं हुए हैं।
मोदी ने गहलोत का आभार जताया:
मेडिकल कॉलेजों के शिलान्यास के समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान से जुड़ी समस्याओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष रखा। गहलोत ने उम्मीद जताई कि मोदी सभी मांगों को पूरा करेंगे। गहलोत की मांगों पर पीएम मोदी ने कहा कि सीएम गहलोत ने समस्याओं के समाधान के लिए मुझ पर जो भरोसा जताया है, उसके लिए मैं आभार प्रकट करता हंू। मैं और अशोक जी अलग अलग राजनीतिक विचारधारा के हैं, लेकिन यह भारत के लोकतंत्र की खूबसूरती है कि विरोधी होते हुए भी हमें आम जनता की चिंता है। अशोक जी ने जो मांगें रखी हैं उन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा।