नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा में सकिय सबसे बड़ी बिल्डर कंपनी कानूनी रूप से दिवालिया घोषित कर दी गयी है। नोएडा से लेकर यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) तक काम करने वाली जेपी इंफ्राटेक कंपनी को NCLT ने दिवालिया घोषित कर दिया है। नए फैसले के मुताबिक नई कंपनी सुरक्षा रियल्टी 20 हजार फ्लैट बॉयर्स को घर बनाकर देगी। NCLT के फैसले से 20 हजार से ज्यादा लोग खुश हैं।

जेपी इंफ्राटेक अब हो गई दिवालिया
व्यवहारिक रूप से तो नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा की जेपी कंपनी पहले ही दिवालिया हो चुकी है। अब कानूनी रूप से भी जेपी बिल्डर को दिवालिया घोषित कर दिया गया है। दरअसल कर्ज में डूबी नोएडा की चर्चित कंपनी जेपी इन्फ्राटेक के अधिग्रहण के लिए सुरक्षा समूह की बोली को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने मंजूरी दे दी। इस फैसले से नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा में स्थित इस कंपनी की परियोजनाओं में फ्लैट बुक कराने वाले 20,000 खरीदारों को अपना घर मिलने की उम्मीद बढ़ गई है. एनसीएलटी ने जेपी इन्फ्राटेक को खरीदने के लिए मुंबई की कंपनी सुरक्षा एआरसी ( (Suraksha Asset Reconstruction) के रिजॉल्यूशन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इससे नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यीडा में 20 हजार घर खरीदारों के फ्लैट का रुका हुआ निर्माण चालू होने का रास्ता साफ हो गया है।
नोएडा के पांच बिल्डर्स दिवालिया कार्यवाही का सामना कर रहे हैं. अब यूपी रेरा ने इन बिल्डर्स के प्रोजेक्ट्स में पैसा लगा चुके लोगों से अंतरिम समाधान पेशेवर (इंसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोफेशनल) के पास अपना दावा दायर करने को कहा है. यूपी रेरा चेयरमैन संजय भूसरेड्डी ने इनवेस्टर से तुरंत अपने दावे और कागजात आईआरपी (इंसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोफेशनल-IRP) के समक्ष प्रस्तुत करने की अपील की है ताकि उन्हें किसी भी प्रकार का नुकसान न हो. जो बिल्डर्स दिवालिया प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं वो हैं, सुपरटेक रियलेटर्स प्राइवेट लिमिटेड, सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, अजनारा रियलटेक लिमिटेड, रुद्राबिल्डवेल कंस्ट्रक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड और गायत्री हॉस्पिटैलिटी वेलकॉम लिमिटेड.
यह फैसला उन घर खरीददारों के लिए राहत की खबर है जो लंबे समय से अपने घरों का इंतजार कर रहे थे और डेवलपर्स की वित्तीय मुश्किलों के कारण परेशान थे. इस साल की शुरुआत में, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने इन पांच डेवलपर्स के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने की मंजूरी दे दी थी.
सुरक्षा ग्रुप बनाएगा 20 हजार लोगों के फ्लैट्स
NCLT के अध्यक्ष रामलिंगम सुधाकर की अगुवाई वाली दो सदस्यीय प्रधान बेंच ने जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) के अधिग्रहण के लिए सुरक्षा समूह की तरफ से लगाई गई बोली को मंजूरी दे दी. सुरक्षा ग्रुप ने कर्ज समाधान प्रक्रिया के तहत अपनी बोली लगाई थी. मुंबई-स्थित सुरक्षा समूह को जेआईएल के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने जून, 2021 में अधिग्रहण की मंजूरी दी थी। सीओसी में बैंकों के अलावा घर खरीदार भी शामिल हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में स्थित अलग-अलग रेसीडेंशियल प्रोजेक्ट्स में इन खरीदारों ने फ्लैट बुक कराए थे लेकिन जेआईएल के कर्ज में फंसने से फ्लैट की सप्लाई समय पर नहीं हो पाई. एनसीएलटी के इस फैसले से जेपी इन्फ्राटेक की विभिन्न परियोजनाओं के तहत घरों की बुकिंग कराने के बाद भी सालों से इंतजार कर रहे खरीदारों को राहत मिली है। इन 20,000 घर खरीदारों को अपने फ्लैट का कब्जा मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
जेपी इन्फ्राटेक के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया अगस्त, 2017 में शुरू हुई थी. यह उन 12 कंपनियों की सूची में थी जिनके खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया चलाने का निर्देश रिजर्व बैंक ने सबसे पहले दिया था। सुरक्षा ग्रुप ने अपने समाधान प्रस्ताव में कर्जदाता बैंकों को गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर जारी कर करीब 1,300 करोड़ रुपये और 2,500 एकड़ से अधिक जमीन देने की पेशकश की थी। इसके अलावा समूह ने चार साल में सभी अधूरे फ्लैटों का निर्माण पूरा करने का भी भरोसा दिलाया था।
ये प्रोजेक्ट फंसे
यूपी रेरा के अफसरों ने बताया कि सुपरटेक रियलेटर्स का प्रोजेक्ट सुपरनोवा फेज 1, 2, 3 व 4 एनसीएनटी में चला गया है. इसी तरह सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट का गोल्फ कंट्री फेज 1, 2, 3 व 4 प्रोजेक्ट, अजनारा रियलटेक का प्राइम टावर ली गार्डेन, ली गार्डेन फेज 1, 2, 3 व 4, ली गार्डेन टावर ए व बी, रुद्रा बिल्डवेल का केबीनोज और गायत्री हॉस्पिटेलिटी रियलकॉन का गायत्री औरा प्रोजेक्ट एनजीएलटी में चला गया है. नियम के अनुसार, एक बार जब कोई परियोजना सीआईआरपी में शामिल हो जाती है, तो कोई भी अदालत या न्यायाधिकरण देनदार कंपनी के खिलाफ शिकायत या मामला नहीं ले सकता है.
एनसीएलटी में मामला जाने के बाद अब यूपी रेरा खरीदारों की शिकायतों पर सुनवाई नहीं करेगा. शिकायतों को प्रतीक्षा में रख दिया गया है. साथ ही पूर्व में किए गए आदेशों का पालन कराने की कार्रवाई को रोक दिया गया है. ऐसे में अब खरीदारों को अपने हक के लिए एनसीएलटी की तरफ से नियुक्त आईआरपी के पास जाना होगा. आईआरपी भी सार्वजनिक सूचना जारी कर आपत्ति व दावे मांगता है. यूपी रेरा के चेयरमैन संजय भूसरेड्डी का कहना है कि एनसीएलटी में मामला पहुंचने के बाद यूपी रेरा पोर्टल और ईमेल के माध्मय से खरीदारों तक इसकी सूचना भी दे रहा है.
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