अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

MLA-मंत्री बनकर 200 बच्चों ने चलाई विधानसभा:नेटबंदी और भर्तियों में भाई-भतीजावाद का मुद्दा गूंजा

Share

जयपुर

विधानसभा के इतिहास में रविवार को पहली बार बाल सत्र हुआ, जिसमें दो घंटे तक देश प्रदेश से आए बच्चों ने सदन चलाया। देश-प्रदेश से 200 बच्चे विधायक और मंत्रियों की भूमिका में विधानसभा पहुंचे थे। बच्चों को मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, मंत्री और विधायक की भूमिका दी गई। सदन में बच्चों के बैठने की व्यवस्था भी उसी हिसाब से की गई। बच्चों ने जनता से जुड़े सवाल और मुद्दे उठाए। शून्यकाल में परीक्षाओं में नेटंबदी और भाई भतीजावाद का मुद‌दा प्रमुखता से उठाया गया, जिस पर हंगामा और वॉकआउट हुआ।

बाल विधायक महेश पटेल ने कहा- प्रतियोगी परीक्षाओं में नेटबंदी की जाती है। सुरक्षा के लिए तो नेटंबदी ठीक है लेकनि अपनी प्रशासनिक अक्षमताओं को ढकने के लिए नेटबंदी गलत है। नेटबंदी करने से जनता को बुहत परेशानी होती है। अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पउ़ता है। 75 बार नेटंबदी करके राजस्थान कश्मीर के बाद दूसरे नंबर पर है। इस मुद्दे पर सरकार से जवाब की मांग की। एक ​बाल विधायक ने कहा- नकल के साथ भाई भतीजावाद भी खूब चल रहा है। चर्चा की अनुमति नहीं देने पर सदन से वॉकआउट किया।

लोकसभा स्पीकर बोले- सवालों से ही सरकारें जवाबदेह बनेंगी

बाल सत्र के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सवाल उठाने से सरकारें जवाबदेह होंगी और शासन में पारदर्शिता आएगी। यह विधानसभाओं और संसद से ही संभव है। संविधान के साथ संसदीय प्रक्रियाओं को समझना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कानून बनाते समय जनता की सक्रिय भागीदारी होगी, तो कानून ठीक बनेंगे और लागू होंगे। हमारे लिए यह चिंता की बात है कि संसद और विधानसभा में कानून बनाने से पहले बहस का समय घटता जा रहा है। पहले ज्यादा चर्चा होती थी। वह समय अब घट रहा हे। यह चिंताजनक है।

स्पीकर बोले- सरकार नीतियां तय करने में बच्चों की भी राय ले सरकार

विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि हमें बच्चों के मन की बात सुनकर उसके हिसाब से नीतियां बनाने पर सोचना होगा। केंद्रीय पंचायतीराज मंत्री के तौर पर जब मैं विदेश गया तो वहां लोकल सेल्फ गवर्नेंस पर चर्चा हो रही थी, वहां एक छात्र बैठा था। मैंने सोचा कि हमारे यहां लोकल सेल्फ गवर्नेंस में छात्रों को नहीं चुना जाता, छात्रों की समस्याओं को कौन उठाएगा? उस समय मैंने मन में कल्पना की कि हमें नए सिरे से देश की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए नीति बनाते वक्त बच्चों की बात भी सुननी चाहिए।

विधानसभा में विधायकों और मंत्रियों की भूमिका में देशभर से आए बच्चे।

विधानसभा में विधायकों और मंत्रियों की भूमिका में देशभर से आए बच्चे।

जोशी ने कहा कि बच्चों से पूछा जाना चाहिए कि वो किस तरह की सरकार चाहते हैं। हमारे संसदीय लोकतंत्र में और चर्चा के बाद निर्णय होते हैं, इसके बावजूद यहां जेपी आंदोलन हुआ, अन्ना आंदोलन हुआ और अब किसान आंदोलन हो रहा है। यदि लोकसभा और विधानसभाएं लोगों की उम्मीदों को पूरा नहीं करेगी तो संसदीय लोकतंत्र कमजोर होगा।

बच्चों ने हमसे अच्छे अनुशासन में सदन चलाया- कटारिया
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि बच्चों ने हमसे अच्छे अनुशासन में सदन चलाया है, हम तो सदन की कार्यवाही को डिस्टर्ब करते रहते हैं। सच्चाई को स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। देश के 15 राज्यों से बच्चों को बुलाकर बाल सत्र आयोजित कर अध्यक्ष ने इतिहास बनाया है। हम वोटर की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करें।

मंत्रियों की तरह तैयारी से आए बच्चे, पूरे कॉन्फिडेंस से दिए सवालों के जवाब
बच्चों ने विधायकों की तरह जनता से जुड़े असली सवाल पूछे जो विधानसभा के प्रश्नकाल में पूछे जाते हैं। सवालों का मंत्री बने बच्चों ने पूरे आत्मविश्वास से जवाब दिया। विधायक की भूमिका में ललिता बाबल ने प्रदेश में बाल विवाह से जुड़ा सवाल पूछते हुए तीन साल में बाल विवाह का ब्यौरा मांगा और रोकथाम नहीं होने पर सवाल उठाए। इस पर सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री बने दिनेश बेरड़ ने जवाब में कहा कि बाल विवाह रोकने के लिए समाज में जागरूकता फैलाई जा रही है। जिलों के अफसरों को बाल विवाह रोकने के लिए सख्त कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर रखे हैं। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाया कि सरकार की जागरूकता के बाद भी बाल विवाह तो हो रहे हैं। इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि शिक्षा के अभाव में ऐसा हो रहा है।

गृहमंत्री के जवाब से असंतुष्ट विधायक बने बच्चों का हंगामा
प्रश्नकाल में बच्चों ने महंगाई और मादक पदाथों की तस्करी से जुड़ा सवाल पूछा। गृह मंत्री की भूमिका निभा रहे प्रतीक शर्मा ने इसके जवाब में कहा कि प्रदेश में मादक पदार्थों की तस्करी के 5782 प्रकरण दर्ज किए गए। इन प्रकरणों में प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की है। दर्ज प्रकरणों की वृद्धि का तस्करी बढ़ने से कोई संबंध नहीं है। भीड़भाड़ वाले स्थानों, शिक्षण संस्थानों के आसपास ड्रग माफियाओं को चिन्हित कर प्रभावी कानूनी कार्रवाई करने के लिए स्पेशल टीमों का गठन किया जा चुका है। इस पर जवाब से असंतुष्ट विधायकों का रोल कर रहे बच्चों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि अफसर गलत जानकारी दे रहे हैं। जवाब सही नहीं है।

Ramswaroop Mantri

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें