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विश्व विनाशकारी व्यवस्था में तब्दील हो गया है पूंजीवादी साम्राज्यवाद 

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,मुनेश त्यागी 

      चालिस पचास साल पहले सामंती और पूंजीवादी विचारों और सोच के लोग कहां करते थे कि समाजवाद तो सारी आजादियों को छीन लेगा, वह सब कुछ तहस-नहस कर देगा। मगर आज जब हम पूंजीवादी सोच, मानसिकता, कार्य प्रणाली और इसके असली व्यवहार को देखते हैं तो हम पाते हैं कि पूंजीवादी व्यवस्था तो साम्राज्यवादी व्यवस्था में तब्दील हो गई है और इसने जनता की सारी सुविधाएं और आजादियों को छीन लिया है।

     पूंजीवादी व्यवस्था के हैरान करने वाले कारनामें देखिए,,,, इसने लोगों की पेंशन छीन ली है, यह लोगों की बचत को खा गई है, इसने हमारे बच्चों से रोजगार छीन कर उन्हें विदेश में जाने को मजबूर कर दिया है और हमारे बच्चे को रोजगार की तलाश में विदेशी बना दिया है, नौकरियों के चक्कर में हमारे बहुत से बच्चे अपने मां-बाप को छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं, इसने हमारी स्वास्थ्य सेवाओं को लूट लिया है, इसने हमारे शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करके उसे मुनाफाखोरी का सबसे बड़ा अड्डा बना दिया है, इसने 

 हमारी अधिकांश जनता को ऋणग्रस्त बना दिया है, पैसे की मारामारी ने तो हमारे सुख चैन छीन लिए हैं और आदमी को हैवान बना दिया है।

     साम्राज्यवादी व्यवस्था में तब्दील हो गई पूंजीवादी व्यवस्था ने आज मानव विरोधी रूप धारण कर लिया है। इसने हमारी तमाम तरह की आजादियों को छीन लिया है,,, जैसे छात्रों द्वारा यूनियन बनाने की आजादी का अधिकार, मजदूरों द्वारा अपने कारखानों में यूनियन बनाने का बुनियादी अधिकार छीन लिया है। आज सिर्फ और सिर्फ पूंजी पतियों की राजनीतिक पार्टियों के समर्थक छात्रों और मजदूरों को ही यूनियन बनाने का अधिकार रह गया है। आज जो भी कोई स्वतंत्र या विपक्षी समर्थक मजदूर यूनियन बनाने और अपने बुनियादी श्रम कानून को लागू करने की बात करता है, उसे कारखाना मालिक द्वारा सबसे पहले नौकरी से निकाल दिया जाता है। इस हमले के बाद अधिकांश मजदूर ने यूनियन बनाने के अधिकार को त्याग दिया है। आज अधिकांश छात्रों ने यूनियन बनाने के अधिकार को ही त्याग दिया है क्योंकि सरकार विरोधी दलों के छात्रों द्वारा यूनियन बनाने पर, सबसे पहले इन यूनियन नेताओं को ही कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से निकाल दिया जाता है और उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया जाता है।

      पूंजीपतियों की सत्ता में बने रहने की हवस ने जनतंत्र को धनतंत्र में बदल दिया है। आज की अधिकांश पूंजीवादी सरकारें चुनाव के माध्यम से हर प्रकार की बेईमानी करके, सत्ता में बने रहना चाहती हैं। अब तो उन्होंने चुनाव कमीशन और ईवीएम को भी अपना गुलाम बना लिया है। आज की पूंजीवादी सरकारें जनता की नहीं, किसानों, मजदूरों की नहीं, बल्कि देश और दुनिया के बड़े-बड़े साम्राज्यवादी पूंजी पतियों की धन संपत्ति को बढ़ाने का ही काम कर रही हैं। इन्होंने जनता की, किसानों मजदूरों छात्रों नौजवानों पीड़ितों अभाव ग्रस्तों और विकास से दूर लोगों की समस्याओं को सुलझाने से मुख मोड़ लिया है। उनकी तमाम नीतियां सिर्फ और सिर्फ देश और दुनिया के बड़े-बड़े पूंजीपतियों की धन संपत्तियों को बढ़ाने का ही काम कर रही हैं।

      इस जनविरोधी व्यवस्था ने आज अच्छे-अच्छे आदमियों को पैसा कमाने का इतना दीवाना बना दिया है कि वे अच्छे बुरे की अधिकांश मान्यताओं को ही भूल गए हैं। वे पैसा कमाने की हबस के गुलाम बन गए हैं, इस शैतानी हबस में वे इंसाफ, जनवाद, धर्मनिरपेक्षता, जनता का जनतंत्र और गणतंत्र और जनकल्याण, क्रांति, समाजवाद और सामाजिक न्याय की सब नीतियों और विचारों को ही भुला बैठे हैं और वे किसी भी तरह से धन कमाने की नौकरी और नीति में मशगूल हो गए हैं।

     इस पूंजीवादी साम्राज्य ने सरकार, नौकरशाही, विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका और सरकार के सब अंगों को अपना गुलाम बना लिया है। उसने चौथे खंभे यानी प्रेस की आजादी को ध्वस्त कर दिया है। इसने आजाद प्रेस को खत्म कर दिया है और आजाद पत्रकारों और लेखकों को बुरी तरह से भयभीत कर दिया है। आज हकीकत यह है कि अधिकांश आदमियों ने तमाम मूल्यों और नैतिकता को छोड़कर, पैसा कमाने की पूंजीवादी और लुटेरी लत को और बढ़ा लिया है।

     पूंजीवादी साम्राज्यवादी सडन और लूट की हवस ने सबसे ज्यादा हमला समाजवादी मूल्यों और विचारधारा पर किया है। पूरी की पूरी पूंजीवादी साम्राज्यवादी व्यवस्था किसी भी तरह से समाजवादी व्यवस्था, विचारों और सोच समझ को पूरी दुनिया से मिटा देना चाहती है। यह पूंजीवादी व्यवस्था, समाजवादी व्यवस्था को लागू कर रहे देशों पर हमले कर रही है, उनके साथ तमाम तरह के भेदभाव कर रही है, उनके साथ तमाम तरह के युद्ध छेड़ रही है और इस जनविरोधी व्यवस्था ने, उनका स्वतंत्र रूप से काम करना लगभग बहुत मुश्किल कर दिया है। 

     समाजवादी व्यवस्था में सबको शिक्षा और सबको काम, सबका विकास सबको स्वास्थ्य और सारे समाज के कल्याण की नीतियां अपनाई जाती हैं, तमाम तरह के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, जातिवादी, वर्णवादी और धर्म आधारित भेदभाव को सदा सदा के लिए दफन कर दिया जाता है। वहां गोरे, काले, सांवले, हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई यहूदी पारसी के भेदभाव को छोड़कर सारी जनता सच्ची इंसान बन जाती है। वहां तमाम तरह के शोषण अन्याय, भेदभाव और छुआछूत को जड़ से उखाड़ दिया जाता है। वहां मुनाफाखोरी और शोषण दमन और प्रभुत्व की नहीं, बल्कि सारे समाज, मानवीयता और दुनिया के कल्याण की नीतियों को सर्वोच्चता प्रदान की जाती है।

     पूंजीवाद की देन देखिए,,,,उसने जनता के बड़े हिस्से के लोगों के हाथों में नफरत, हिंसा, युद्ध, नस्लवाद, जातिवाद, धर्मांता, अंधविश्वास, बम और बंदूकें थमा दी हैं और आज तो उसने सारी नैतिकता और जनकल्याणकारी योजनाओं और मूल्यों को धराशाई कर दिया है। आज दुनिया के तमाम लुटेरे पूंजीपतियों, जिनका नेतृत्व अमेरिका और नाटो के वैश्विक लुटेरे ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और एशियाई देश जापान और आस्ट्रेलिया कर रहे हैं, ने पूरी दुनिया को “कब्जाने की मुहिम” छेड़ दी है। वे पूरी दुनिया को अपने मुनाफे के लिए प्रयोग करना चाहते हैं। वे अपने विरोधियों के किसी भी विचार, नीतियों और मूल्यों को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं और उन्होंने पूरी दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

     यूक्रेन रूस युद्ध में नाटो की विनाशलीला, पश्चिम एशिया संकट, दक्षिणी अमेरिका में चलता हुआ लगातार विरोध और पूर्वी एशिया में विनाश और युद्ध के विभीषिका अपना तांडव मचाने को तैयार है। इससे पहले अमेरिका ने वियतनाम, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, इराक लीबिया, और दूसरे अनेक देशों में लाखों लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया है और पूरी दुनिया को कब्जाने और उस पर अपना नियंत्रण और प्रभुत्व कायम करने की उसकी भूख और ज्यादा तेज गति से बढती ही जा रही है। आज पूरी पूंजीवादी साम्राज्यवादी व्यवस्था जनकल्याणकारी न रहकर, दुनिया की सबसे विनाशकारी और विध्वंसकारी व्यवस्था बनकर हमारे सामने मौजूद है। अब दुनिया की समस्त जनतांत्रिक, समाजवादी और गणतांत्रिक शक्तियां एकजुट होकर ही इस विश्व विनाशकारी व्यवस्था से छुटकारा पा सकती हैं।

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