जयपुर । जातिगत जनगणना व उच्च न्यायालय व निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग को लेकर कुमारनन्द हॉल में *”सामाजिक न्याय सम्मेलन”* का आयोजन सेवानिवृत्त न्यायधीश राहुल टेकचंद की अध्यक्षता में किया गया। डॉक्टर राममनोहर लोहिया विचार संस्थान के सचिव बसन्त हरियाणा ने बताया कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ सेंस द्वारा वर्ष 2000 में जातिगत जनगणना की अनुशंषा के बावजूद भाजपा व कांग्रेस द्वारा निरन्तर अवहेलना करने पर अफ़सोस प्रकट करते हुए कहा गया कि देश में पालतू व जंगली जानवरों की भी गणना की जा रही है तब पिछड़े वर्ग की जनगणना नही करना दुर्भाग्यपूर्ण है। सम्मेलन में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में सरकारी सेवाओं,शैक्षिक संस्थाओं और विधायिका में आबादी के अनुपात में आरक्षण की मांग सहित आरक्षण की पचास प्रतिशत सीमा को समाप्त करने,उच्च न्यायपालिका व निजी क्षेत्र में आरक्षण व सभी चयनित, निर्वाचित, मनोनीत पदों पर आरक्षण लागू करने की मांग के साथ ही किसी भी जाति के अभ्यर्थी द्वारा बार-बार जाति प्रमाण पत्र बनवाने की बाध्यता समाप्त करने की मांग की गई।
सम्मेलन की भूमिका पर जनता दल (सेक्यूलर) के प्रदेशाध्यक्ष अर्जुन देथा ने वक्तव्य दिया। प्रस्ताव भाकपा (माले) के राज्य सचिव मंडल के सदस्य शंकरलाल चौधरी ने रखा। सम्मेलन में प्रमुख तौर पर राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेशाध्यक्ष के. के. सारण, सी.पी.आई. के राज्य सचिव नरेंद्र आचार्य, समाजवादी पार्टी के महासचिव विनोद यादव, सामाजिक न्याय संस्थान के अध्यक्ष शहाबुद्दीन गौड़, राजस्थान विकास पार्टी के अध्यक्ष हरनाम सिंह सिकरवार, सर्वहारा एकता मंच के संयोजक प्यारेलाल शकुन, सामाजिक कार्यकर्ता धर्मवीर कटेवा, वयोवृद्ध समाजवादी नेता माधव शर्मा, राजस्थान जाट महासभा के धर्मेंद्र अचरा, मेवात पंचायत के खुर्शीद अहमद सहित एडवोकेटआमीन अली, पवन देव, हरलाल सिंह मील ने अपने विचार व्यक्त किये। उपस्थित प्रमुख लोगो मे राहुल चौधरी, अनिल गोस्वामी, भूरे सिंह, राजेश नन्दन, अवतार सिंह रामगढ़िया प्रमुख तौर पर उपस्थित थे। सम्मेलन का संचालन नरेन्द्र आचार्य ने किया।