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*सावधान!भारत के 9 राज्यों में निपाह वायरस*

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       ~ डॉ. नीलम ‘ज्योति’

    इन दिनों कंजंन्क्टिवाइटिस, इन्फ्लुएंजा, वायरल फ्लू जैसे बीमारी से देश के लोग परेशान हैं। इन सभी समस्याओं के साथ-साथ भारत में अब निपाह वायरस का भी खतरा मंडराने लगा है। निपाह वायरस मनुष्यों में अत्यधिक घातक श्वसन और मस्तिष्क संबंधी संक्रमण का कारण बनता है।

       हाल में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (ICMR-NIV) ने राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण किया। इसमें भारत के नौ राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में चमगादड़ों की आबादी में निपाह वायरस के प्रसार होने का प्रमाण मिला है। जो किसी के लिए भी चिंतित होने का कारण हो सकता है।

*क्या है निपाह वायरस :*

    निपाह वायरस एक ज़ूनोटिक वायरस है। यह जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। यह दूषित भोजन के माध्यम से या सीधे लोगों के बीच फैल सकता है। यह वायरस सूअर जैसे जानवरों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। यह संक्रमण छूने से भी फैलता है। यह एक्यूट रेस्पिरेट्री डिजीज और घातक एन्सेफलाइटिस तक कई प्रकार की बीमारियों का कारण बनता है।

      यह जानवरों को संक्रमित करता है और बाद में यह लोगों में संक्रमण फैलाकर गंभीर बीमारी और मृत्यु का भी कारण बनता है। मनुष्यों में ये एसिम्पटोमेटिक हो सकते हैं।

*क्या कहती है आईसीएमआर की स्टडी :*

    पुणे स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी अब तक 14 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वेक्षण पूरा कर चुकी है।

    वैज्ञानिक केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम और मेघालय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश पांडिचेरी में चमगादड़ों में निपाह वायरल एंटीबॉडी की उपस्थिति बता रहे हैं।

     तेलंगाना, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में भी सर्वेक्षण किया जा चुका है।

*फ्रूट बैट है प्राकृतिक होस्ट :*

      निपाह वायरस मनुष्यों में अत्यधिक घातक श्वसन और मस्तिष्क संबंधी संक्रमण का कारण बनता है। फल पर रहने वाले चमगादड़ों की टेरोपस प्रजाति को वायरस का ज्ञात वाहक माना जा रहा है।

      इससे महामारी फैलने की भी आशंका जताई जा रही है। केरल में 2018-19 में निपाह के अचानक उभरने से लगातार निगरानी की जरूरत महसूस हुई थी।

      फल पर रहने वाले चमगादड़ों की टेरोपस प्रजाति को वायरस का ज्ञात वाहक माना जा रहा है।

*भारत में पहला मामला :*

भारत ने सबसे पहले जनवरी-फरवरी 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में इसका पहला प्रकोप दर्ज किया था। इसमें 66 मामलों में 45 मौतें हुई थीं।

        तब भारत में उच्च जोखिम वाले रोगजनकों के रोकथाम की सुविधाओं और प्रकोप का पता लगाने के लिए क्लिनिकल टेस्ट का भी अभाव था। बाद में निदान के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के रोग नियंत्रण केंद्र से सहायता ली गयी थी।

       2005 में आईसीएमआर-एनआईवी पुणे में बीएसएल-3 की सुविधा मिलने पर भारत अप्रैल 2007 में पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में निपाह वायरस के प्रकोप का तुरंत पता लगा सका।

*निपाह का प्रकोप :*      

    अगस्त-सितंबर 2021 में कोझिकोड में भी दर्ज किया गया था। इसमें एक व्यक्ति की इस बीमारी से मौत हो गई थी।

    निपाह वायरस से संक्रमित होने पर दिख सकते हैं ये लक्षण :

        ऐसा माना जाता है कि इनक्यूबेशन पीरियड, जो संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक का अंतराल माना जाता है। यह 4-14 दिनों तक होती है। कुछ मामलों में यह 45 दिनों तक भी रह सकता है।

      वायरस से संक्रमित लोगों में बुखार, सिरदर्द, मायलगिया,  उल्टी, सांस लेने में बहुत अधिक परेशानी और ऐंठन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ लोगों को असामान्य निमोनिया और गंभीर श्वसन समस्याओं का भी अनुभव हो सकता है।

      गंभीर मामलों में एन्सेफलाइटिस और दौरे पड़ते हैं। इससे व्यक्ति 24 -48 घंटों के भीतर कोमा में चला जाता है।

 *वायरस का उपचार असंभव :*

      वर्तमान में निपाह वायरस संक्रमण के लिए कोई अलग दवा या टीका नहीं है। हालांकि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन  ने डब्ल्यूएचओ अनुसंधान और विकास ब्लूप्रिंट के लिए निपाह को प्राथमिकता वाली बीमारी के रूप में पहचाना है।

      गंभीर श्वसन और तंत्रिका संबंधी जटिलताओं के इलाज के लिए गहन सहायक देखभाल की सिफारिश की जाती है।

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