केंद्र सरकार ने आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों, जीवों और उत्पादों को मंजूरी देने और नियमित करने वाली जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) की निर्णय प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए नियमों में सुधार करेगी। 31 दिसंबर को जारी एक नई अधिसूचना के मुताबिक, जीईएसी के सदस्यों को अब अपने व्यक्तिगत या पेशेवर हितों की जानकारी देनी होगी, जो उनके निर्णय को प्रभावित कर सकते हैं।
वहीं, अगर किसी सदस्य का किसी विचाराधीन मुद्दे से सीधे या परोक्ष रूप से संबंध है, तो उन्हें इस पर बात करने या इस पर फैसला देने से बचना होगा। इन नियमों का पालन करने के लिए समिति में शामिल होने वाले सदस्यों को लिखित रूप में यह बताना होगा कि उनका कोई हितों का टकराव है या नहीं।
इसका मतलब है कि अगर उनकी कोई व्यक्तिगत या पेशेवर संबंध है जो उनके निर्णय को प्रभावित कर सकता है, तो उसकी जानकारी देनी होगी। यदि यह तय करना मुश्किल हो कि कोई टकराव है या नहीं, तो समिति के अध्यक्ष आखिरी फैसला लेंगे।
आपत्ति और सुझाव के लिए 60 दिन का वक्त
पहली बार 1989 में बनाए गए ये नियम आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों (जीएमओ) और खतरनाक सूक्ष्मजीवों के निर्माण, उपयोग, आयात, निर्यात और भंडारण को नियमित करते हैं। ये नियम पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं। सरकार ने इन बदलावों पर आपत्ति और सुझाव देने के लिए जनता को 60 दिन का वक्त दिया है। बीते साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की जीएम सरसों को मंजूरी देने के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर ऐसे मामलों में सख्त निगरानी की जरूरत पर बल दिया।
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