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सेंचुरी श्रमिको का संघर्ष और तेज होगा

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कंपनी के नुमाइंदे झूठ आंकड़े देकर प्रचार और प्रभाव डालने की कोशिश में ?
     सेंचुरी यार्न /डेनिम कंपनी ने 29 जून को लगाई VRS लेने की जो नोटिस गेट पर चिपका कर श्रमिकों श्रमिकों को धमकाया है, उससे 13 जुलाई की समय सीमा देकर VRS नहीं लोगे तो कानूनन न्यूनतम राशि देने की धमकी है। इसके बावजूद आज तक सेंचुरी के सैकड़ों श्रमिक तथा घर घर की महिलाएं मुम्बई आगरा रोड पर सत्याग्रह स्थल पर, डटे हुए हैं।
 आज 50 व्यक्ति जिनमें 35 श्रमिक और 15 महिलाएं हैं, 12 घंटे के उपवास पर बैठ कर अपनी अहिंसक चुनौती देने और लेने का संघर्ष बढा रहे हैं। हम श्रमिक मानते हैं कि हमारी जिंदगी को चंद लाख रुपए में खरीदने वाले, इतनी बड़ी मिल्स, एक हजार से अधिक श्रमिक और कर्मचारियों की आजीविका बरबाद  करने में न कोई संवेदना, नहीं न्यायपूर्णता से पेश आ रहे हैं। हमारी आजीविका, जिसमें हमने सालों तक खून पसीना बहाया था, उसे बेरहमी से खत्म करने की कंपनी की साजिश हमारी सहनशीलता के पार है। हम संविधान के तहत जीने का और आजीविका का अधिकार लेने के लिए संकल्पकृत हैं। 
आज सत्याग्रह स्थल पर अखिल भारतीय यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सुनील गोपाल जी, प्रदीप जी तथा बेरोजगारी विरोधी आंदोलनों के प्रदीप जी पधारे। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि श्रमिक यूनियन का कर्तव्य था, रोजगार के अधिकार पर बहुसंख्या श्रमिकों का साथ देना। इस प्रकार का धोखा कंपनी तथा न्यूनतम सदस्य संख्या भी ना होते हुए किसी यूनियन से दिया जाना बहुत ही अन्याय पूर्ण है। हम श्रमिक संगठनों में नैतिकता के ही पक्ष में हैं और रहेंगे। सेंचुरी श्रमिक जनता संघ के साथ संवाद करें और मिल्स चलाना सुनिश्चित करें!
   प्रदीप जी  ने कहा बेरोजगारी का संकट पूरा देश भुगतते हुए, आज गंभीर रूप ले चुका है। इसलिए जरूरी है नए रोजगार मूलक उद्योग स्थापित करना। इसके बदले 10 से 20 साल कार्य के बाद श्रमिकों को बेरोजगार और बेघर बार करने की खिलाफत जरूरी है। हम हमारी युवा शक्ति इस संघर्ष के साथ रास्ते पर उतरने को तैयार है।
   आज उच्च न्यायालय में सेंचुरी कंपनी से कानून और संविधान के पालन संबंधी, VRS की नोटिस को चुनौती देने वाली तथा राज्य शासन से हस्तक्षेप और विवाद पर सुलझाव के मुद्दे पर निर्णय की मांग के साथ याचिका प्रलंबित रही है। मेधा पाटकर जी ने भी श्रमिकों के साथ सत्याग्रह स्थल पर आम सभा को संबोधित किया।

 श्याम भदाने,                                   संतलाल दिवाकर,                                राजेश खेते,
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