3 करोड़ सहारा निवेशकों के अटके हुए पैसों के भुगतान की मांग
पटना। बिहार में करीब 3 करोड़ सहारा निवेशकों के अटके हुए पैसों के भुगतान की मांग को लेकर आज पटना के आईएमए हॉल में एक भव्य सहारा भुगतान सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का आयोजन सहारा भुगतान संघर्ष मोर्चा के बैनर तले किया गया। इसमें हजारों की संख्या में सहारा निवेशकों ने भाग लिया, जो अपने गाढ़े पसीने की कमाई वापस पाने के लिए संघर्षरत हैं।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सांसद सुदामा प्रसाद, माले विधायक दल के नेता महबूब आलम और विधान पार्षद शशि यादव शामिल हुए।
भाकपा (माले) के आरा से सांसद सुदामा प्रसाद ने निवेशकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह मुद्दा अब केवल बिहार तक सीमित नहीं है, बल्कि एक राष्ट्रीय संकट बन चुका है। उन्होंने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा,
“लोकसभा चुनाव के पहले दौरान भाजपा ने सहारा निवेशकों के भुगतान का वादा किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद वे इस मुद्दे पर एक शब्द तक नहीं बोल रहे। करोड़ों परिवार भुखमरी की कगार पर खड़े हैं। यह सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाता है।”
सांसद सुदामा प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में 2012 से चल रहे इस मामले की धीमी प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “न्याय प्रणाली की धीमी गति ने निवेशकों और कार्यकर्ताओं में निराशा पैदा की है। लेकिन हम चुप बैठने वाले नहीं हैं।
हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक निवेशकों को उनका पैसा वापस नहीं मिल जाता।” उन्होंने सभी निवेशकों का आह्वान किया कि 9 मार्च 2025 को पटना के गांधी मैदान में भारी संख्या में जुटें और अपनी आवाज बुलंद करें।
सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण नेता और संगठन प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। जनमोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय देव शुक्ला, विश्व भारती जनसंस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष नागेंद्र कुशवाहा, और सहारा भुगतान संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूरज कुमार सिंह सहित अन्य नेताओं ने इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया।
इनके साथ मंच पर मनोज चौधरी, कयामुद्दीन अंसारी, मोहित कुमार, दिलीप कुमार श्रीवास्तव, मुकेश कुमार, रामनाथ सहनी, और एस के झा जैसे नेता भी उपस्थित थे।
संगठनात्मक ढांचा तैयार
सम्मेलन में सहारा भुगतान संघर्ष मोर्चा का 31 सदस्यीय संगठनात्मक ढांचा तैयार किया गया। मुजफ्फरपुर के ललित कुमार को मोर्चा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जबकि भोजपुर के राजू प्रसाद को राज्य सचिव बनाया गया। साथ ही 5 उपाध्यक्ष, 5 सहसचिव, 1 कोषाध्यक्ष और 1 राज्य प्रवक्ता की भी नियुक्ति की गई।
सम्मेलन के अंत में नेताओं ने कहा कि सहारा निवेशकों का यह संघर्ष केवल एक मांग नहीं, बल्कि उनके अधिकारों की लड़ाई है। यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक कि निवेशकों को उनका पैसा वापस नहीं मिल जाता। इसके लिए 9 मार्च को गांधी मैदान में एक विशाल महाजुटान आयोजित किया जाएगा, जिसमें लाखों निवेशक भाग लेंगे।
निवेशकों ने “पोर्टल का नाटक बंद करो, भुगतान का प्रबंध करो” और “जिला स्तर पर भुगतान कार्यालय बनाओ” जैसे नारों के साथ आंदोलन को और तेज करने की प्रतिबद्धता जताई।
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