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जनता की बदलती तासीर से है परिवर्तन की उम्मीद

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सुसंस्कृति परिहार
पांच राज्यों के चुनाव में फ़िज़ां बदली बदली नज़र आ रही है। सबसे बड़ा बदलाव इस बार जो देखा गया है वह है जनता का भाजपा नेताओं को क्षेत्र में प्रवेश ना करने देना और उसे खदेड़ा जाना।यह हश्र उस उत्तरप्रदेश में देखा जा रहा है जहां टेनी , कुलदीप जैसे कई बाहुबली नेताओं का भाजपा में जमघट है।योगी बाबा भी कम नहीं उनके कितने आपराधिक मामले ख़त्म किए गए ये किसी ने छुपा नहीं है।जिस दल का प्रचार गुजरात नरसंहार  के जिम्मेदार पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व गृहमंत्री कर रहे हों जो भारत के अब प्रधानमंत्री और गृहमंत्री हैं वहां ऐसी स्थितियां बनें तो समझिए जनता जनार्दन जाग गई है अब वह डरने वाली नहीं। वैसे भी हिंदू मुस्लिम का खेल यू पी की समझदार जनता ने यहां पहले ही बिगाड़ दिया है। भाजपाई सोच रहे थे गुजरात जैसा दहशतज़दा माहौल बनाकर यहां वोट कबाड़ लेंगे पर सारा खेल अखिलेश ने बिगाड़ दिया है।उनका my यानि मुस्लिम और यादव गठबंधन बरकरार है साथ ही साथ मायावती के मायाजाल से दलित वोट भी खिसक रहे हैं।उलझन यह है कि वे जो मायावती से दूर छिटक रहे वे भाजपा की बी टीम वाले ऐसे दल का रुख कर रहे हैं जो आगे जाकर भाजपा का दामन थाम लेंगे ।ख़ुद मायावती तो इसी खेल में लगी हैं। समाजवादी पार्टी या कांग्रेस की ओर उनकी आमद कम है।इसका सीधा असर अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा को मिलेगा।दलित समाज को यह समझना होगा कि जिस कारा से निकलने की वे कोशिश में लगे हैं वे फिर कहीं उसी में कैद हो जाने वाले हैं और पांच साल फिर उपेक्षा के दंश झेलेंगे। सिर्फ मायावती से नाराजगी के अलावा दलित लोगों को कथित दलित हितैषी दलों से  सावधानी बरतनी क्योंकि ये सब उसी टुकड़े टुकड़े गैंग  के हिस्से हैं जो संघ से संचालित है जो सिर्फ अपने भले के लिए गलत राह सुझा रहे हैं। तनिक सोचिए उस बदलाव से क्या फायदा होगा?
बहरहाल, जनता की बदली तासीर जो तस्वीर पेश कर रही है वह काफी आशाजनक है । इस परिवर्तन के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ही मुख्य तौर पर बधाई का पात्र है जिसने भाजपा सरकार की हर तरह से बनी इमेज को तोड़ा है ।उसने कभी झुकने ना वाली सरकार को अपने 380दिनों के जबरदस्त शांति पूर्ण आंदोलन और अपने 700 से अधिक साथियों की शहादत के बाद ,शर्मिंदा करते हुए झुकाया है । आंदोलन भी स्थगित किया, समाप्त नहीं क्योंकि झूठ के रंग में रंगी सरकार पर किसानों को भरोसा नहीं था।वह सच भी निकला इसलिए वादाखिलाफी दिवस मनाकर फिर आंदोलन की तैयारी प्रारंभ की जा रही है।उनकी जागरुकता से बेरोजगार और रोजगार छिने लोगों में भी उत्साह का संचार हुआ। कहीं कहीं जाट भाजपा द्वारा बिल वापसी से खुश हैं उन्हें वादाखिलाफी दिवस की जानकारी नहीं है।इस तरफ सचेत और सावधानी रखनी होगी।उधर लोकगीतों के ज़रिए नेहा सिंह राठौर,विवेकरंजन जैसे अनेक युवा सरकार के विरोध में लगातार  जो प्रचार कर रहे हैं उसने भी जनता के मनोभावों को छूने में भरपूर सफलता पाई  है।यह पहली बार हो रहा है कि सरकार के एक दो कलाकारों की सरकारी आवाज़ को दबाने बड़ी तादाद में युवा कलाकार स्वत: मैदान में उतरे हैं।यह उस तूफानी आक्रोश का नतीजा है जो इस मौके की तलाश में था ।सोशल मीडिया ने भी भाजपा के तमाम आई टी सेलों की खटिया खड़ी कर रखी है।तू डाल डाल मैं पात पात का खेल चल रहा है।जब कुछ कहने ही नहीं तो सदन में पी एम कपोल कल्पित कथाएं बेशर्मी के साथ मज़ा लेते हुए सुनाने लगते हैं। तेलंगाना वालों ने उनकी मन गढ़ंत कहानी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है सदन में झूठा और अमर्यादित बातों से सदन की गरिमा आहत हुई है।ताज़ा खबरें बता रही हैं किABG शिपयार्ड कंपनी सूरत के नाम पर गुजरात के भाईयों ने 23000करोड़ काअब तक सबसे बड़ा फ्राड कर इतिहास रच दिया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 8 नवंबर, 2019 को पहली बार शिकायत दर्ज कराई थी। इसपर सीबीआई ने 12 मार्च, 2020 को कंपनी से जवाब मांगा था। इसके लगभग पांच महीने बाद कंपनी ने नए सिरे से शिकायत दर्ज कराई थी। 18 महीने की जांच के बाद सीबीआई ने सात फरवरी 2022 को शिकायत दर्ज कराई। जानकारी 2019में आ चुकी थी लेकिन यह मामला सी बी आई में दर्ज कराने में तीन साल लग गए।इसकी चपेट में 28बैंक आए हैं यह मोदी सरकार की सहमति से हुआ जान पड़ता है चूंकि लेट लतीफी की वजह  केंद्रीय सरकार की है।यह घोटाला मोदी सरकार के नाम अब तक का सबसे बड़ा कलंक है जिसका सीधा असर आम जमाकर्ताओं पर पड़ने वाला है। अचानक चुनाव के दरमियान इस घोटाले का प्रकट हो जाना।भाजपा के गढ़ में सेंध की तरह है।जो मोदीजी को सीधे कटघरे में खड़ा कर रही है।लगता है संघ की एक गैंग सरकार के खिलाफ लग गई है।
कहा जाता है मरता क्या नहीं करता इसलिए भाजपा ये घृणित और निंदनीय हरकतें सदन में हो रही हैं और तो और कर्नाटक में हिजाब पर विवाद खड़ा कर उत्तरप्रदेश में जो संदेश देना चाहा वह भी धरा रह गया।संघियों के इस नाटक की उल्टे पोल खुल गई। मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री की चीखें भी गृहमंत्री ने ताप लीं। हिजाब का खेल फेल साबित हुआ। देखते रहिए चुनाव के अन्य चरणों में और कैसे कैसे मंज़र सामने आते हैंहाल ही में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वसरमा चुनावी राज्य उत्तराखंड में भाजपा के स्टार प्रचारक बनकर पहुंचे। यहां एक सभा में उन्होंने सवाल किया कि राहुल गांधी सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगते हैं, क्या हमने पूछा कि आप राजीव गांधी के बेटे हो या नहीं।  भाजपा सरकार वाले असम के मुख्यमंत्री ने ये जो अनर्गल प्रलाप किया।उसकी भी थू थू हो रही है।भाजपा का ग्राफ निरंतर गिरावट की ओर है।इनका ओछापन और इस तरह की बातें इनकी पराजय के संकेत ही है।अब बदलती हवा में इनके कई विलुप्त कारनामों की आमद हो सकती है।पुराने लोग कहते हैं जब बुरे दिन आते हैं तो वे चारों तरफ से हमलावर होते हैं।लगता है अवाम अब झूठ और लूट का खेल बहुत देख चुकी है अब इस खेला की बंगाल की तरह इतिश्री करके ही रहेगी।जनता जिस तरह खुलकर बगावत पर उतरी है ऐसा देश में कभी नहीं हुआ है।आगे आगे देखिए होता है क्या?यह दौर बड़ा ख़तरनाक है पर जनता जब अपने पर आती है तो ईंट से ईंट बजा कर जय प्राप्त करती रही है।

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