महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेता छगन भुजबल ने कहा कि मराठा आरक्षण के संबंध में राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ एक फरवरी को विधायकों, सांसदों और तहसीलदारों के आवासों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। भुजबल ने अपने आधिकारिक आवास पर एक बैठक भी की।
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने सोमवार को कहा कि वह महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले से सहमत नहीं हैं जिसमें कहा गया है कि जबतक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता है तबतक उन्हें ओबीसी को मिल रहे सभी लाभ मिलेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री राणे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि यह अन्य पिछड़ा वर्ग (के अधिकारों) में अतिक्रमण होगा तथा इससे महाराष्ट्र में अशांति फैल सकती है।
मुंबई: मराठा आरक्षण आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटील की मांगों को मानने संबंधी अधिसूचना को लेकर सरकार के ही मंत्री छगन भुजबल ने एक बार फिर जोरदार विरोध किया है। भुजबल ने अपने घर हुई सर्वदलीय ओबीसी नेताओं की बैठक के बाद अपनी ही सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार को यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि ओबीसी समाज भी वोट देता है। भुजबल ने कहा कि ओबीसी समाज में भारी चिंता और दहशत है। चूंकि, ये सभी अब शिक्षा, नौकरी और अन्य आरक्षणों में हिस्सेदार होंगे, इसीलिए ओबीसी समाज को लगता है कि हमारा आरक्षण अब खत्म होने की कगार पर है। सरकार ने मराठों को पिछड़ा साबित करने के लिए पूरे तंत्र को काम पर लगा रखा है। मराठों के कुनबी रिकॉर्ड का पता लगाने के लिए गठित न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संदीप शिंदे समिति को जारी रखने पर भी भुजबल ने नाराजगी जताई। उन्होंने सवाल किया, ‘मेरी जानकारी के अनुसार भारत के प्रधान न्यायाधीश को 2.80 लाख रुपये वेतन मिलता है, जबकि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) शिंदे और समिति को 4.5-4.5 लाख रुपये मिलते हैं। इतना अधिक खर्च क्यों किया जा रहा है?’भुजबल ने कहा कि मुख्यमंत्री बहुत कुछ कह रहे हैं और हम सुन भी रहे हैं, लेकिन सीएम की बातों से मन को संतोष नहीं हो रहा। एकतरफा जिद पूरा करने का कार्यक्रम चल रहा है।
छगन भुजबल ने कहा कि एक तरफ सीएम कहते हैं कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। ओबीसी कोटे को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। दूसरी तरफ कहते हैं कि 54 लाख कुनबी मिले हैं, अभी और मिलेंगे। दो गुने- तीन गुने लोग ओबीसी में घुसेंगे और जो मूल ओबीसी हैं, उन्हें दबाकर बाहर फेंका जा रहा है।
सीएम ने दी सफाई
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि मराठा समाज के संदर्भ में लिया गया निर्णय उन लोगों को प्रमाण पत्र दिलाने के लिए है, जिन्हें कुनबी पंजीकृत होने के दौरान प्रमाण पत्र नहीं मिल रहे थे। जारांगे की मांग थी कि दूसरों के अधिकारों में हस्तक्षेप किए बिना हमें आरक्षण मिलना चाहिए, जो अधिसूचना जारी की गई है, उसमें सभी बातों का स्पष्ट उल्लेख है। छगन भुजबल हमारे सहयोगी हैं। अधिसूचना को पढ़ने के बाद उनकी गलतफहमी दूर हो जाएगी।
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने सोमवार को कहा कि वह महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले से सहमत नहीं हैं, जिसमें कहा गया है कि जबतक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता है, तबतक उन्हें ओबीसी को मिल रहे सभी लाभ मिलेंगे। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री राणे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि यह अन्य पिछड़ा वर्ग (के अधिकारों) में अतिक्रमण होगा तथा इससे महाराष्ट्र में अशांति फैल सकती है।
मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनकी मांगें मान लिये जाने के बाद शनिवार को अपना अनिश्चितकालीन उपवास खत्म कर दिया था। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की थी कि जबतक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता, तबतक उन्हें ओबीसी को प्राप्त सभी लाभ मिलेंगे।
राणे आज कर सकते हैं प्रेस कॉन्फ्रेंस
राणे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि वह राज्य सरकार के फैसले को तथा आरक्षण के संबंध में मराठा समुदाय को उसके द्वारा दिये गये आश्वासन को मंजूर नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इससे ऐतिहासिक विरासत वाले मराठा समुदाय का दमन होगा और यह अन्य पिछड़े समुदायों में भी अतिक्रमण होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इससे राज्य में अशांति फैलेगी।’’ उन्होंने कहा कि वह सोमवार (29 जनवरी) को भी इस मुद्दे पर बोलेंगे।