इंदौर।शहरसे लेकर सभी तहसील सहित जिले में जांच के दौरान टीबी के मरीज की पहचान करने और इलाज करने वाली टीम को 9 हजार 665 टीबी के मरीज मिले हैं, मगर इन बड़ी उम्र के मरीजों के अलावा नवजात ) सहित 869 ऐसे नाबालिग भी मिले हैं, जिनका बचपन टीबी की चपेट में है । इन नाबालिग मरीजों में जन्म से लेकर 15 साल तक के नवजात शिशु के अलावा नाबालिग शामिल हैं।
डॉक्टर शैलेंद्र जैन के अनुसार जिला क्षय कार्यालय की विभागीय टीम सालभर में 12 महीने टीबी मरीजों को खोजकर उनकी मुफ्त जांच और इलाज करती है। सर्वेक्षण के दौरान जांच में बड़ों के अलावा 869 नवजात शिशुओं सहित मासूम और नाबालिग बच्चे भी मिले। इन मासूम बच्चों को टीबी बीमारी से जंग लड़ते देख मन में यही एक सवाल आता है कि आखिर यह बच्चे इस बीमारी की चपेट में कैसे आए।
जहां गीलापन और अंधेरा ज्यादा है वहां टीबी के मरीज ज्यादा
इस मामले में डाक्टर्स ने कहा कि नवजात से लेकर 15 वर्ष के नाबालिगों में प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा मजबूत नहीं होती। यदि घर-परिवार, रिश्तेदार या आसपास टीबी का कोई भी मरीज खांसता, थूकता रहता है तो बच्चे सबसे जल्दी चपेट में आते हैं। इसके अलावा वो रहवासी तंग बस्तियां, जहां सूर्य का प्रकाश बहुत कम पहुंचता है या फिर घरों में नमी अथवा आर्द्रता, अंधेरा और गीलापन मतलब कीचड़ के कारण गीली जमीन गीली रहती है, ऐसे माहौल में टीबी बीमारी के मरीज ज्यादा पाए जाते हैं।
जन्म से लेकर 5 साल के नवजात सहित बच्चों की संख्या
बच्चों की उम्र संख्या
जन्म से 1 साल 03
1 से 2 साल 61
2 से 3 साल 78
3 से 4 साल 40
4 से 5 साल 45
5 से लेकर 10 साल तक के बच्चों की संख्या यह है
5 से 6 साल 51
6 से 7 साल 38
7 से 8 साल 30
8 से 8 साल 53
9 से 10 साल 41
10 साल से लेकर 15 साल तक के नाबालिग बच्चों की संख्या
10 से 11 साल 38
11 से 12 साल 51
12 से 13 साल 75
13 से 14 साल 93
14 से 15 साल 122
2024 में इंदौर शहर सहित जिले में 15 साल से बड़ी उम्र के टीबी मरीजों की संख्या जहां 9 हजार 665 है, वहीं नवजात से लेकर 15 साल तक के 869 बच्चे टीबी की बीमारी से जूझ रहे हैं। इनमें से जिन बच्चों का इलाज चल रहा है उनमें जन्म से 5 साल तक 277 और 5 से 10 साल तक 213 के अलावा 10 से 15 साल तक के 379 मरीज बच्चे शामिल हैं।
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