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 चीन ने हमारी दो हजार किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर लिया है और मोदी सरकार सो रही है- राहुल गांधी

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एस पी मित्तल, अजमेर

भारत जोड़ो यात्रा के 100 दिन पूरे होने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 16 दिसंबर को जयपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राहुल ने कहा कि सीमा पर चीन के सैनिक हमारे जवानों को पीट रहे हैं। चीन ने हमारी दो हजार किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर लिया है और केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सो रही है। राहुल का यह कथन कितना सही है, इसका जवाब भारतीय सेना ने दिया है, लेकिन 16 दिसंबर को ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो का भी एक बयान सामने आया है, जिसमें बिलावल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना आतंकी ओसामा बिन लादेन से की है। सब जानते हैं कि अमेरिका ने लादेन को पाकिस्तान में घुसकर मारा था, जबकि नरेंद्र मोदी के लिए अमरीका हर समय रेड कारपेट बिछा कर स्वागत करने के लिए तैयार रहता है। मोदी जब भी अमरीका जाते हैं, तब राष्ट्रपति के सरकारी आवास व्हाइट हाउस में मेहमान होते हैं। बिलावल ने जिस गुजरात की ओर इशारा किया, उसी गुजरात की जनता ने हाल ही के विधानसभा चुनाव में मोदी के चेहरे पर ही भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाई है। भारत की राजनीति में जो पहचान राहुल गांधी की है, वही पहचान पाकिस्तान में बिलावल भुट्टो की है। राहुल और बिलावल दोनों की पृष्ठभूमि राजनीति की रही है। बिलावल की माताजी बेनजीर भुट्टा व बेनजीर के पिता यानी बिलावल के नाना जुल्फिकार भुट्टो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे। सब जानते हैं कि जुल्फिकार को फांसी पर लटकाया गया तो बेनजीर की मृत्यु बम विस्फोट में हुई। बिलावल के पिता और बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी भी भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद रहे। राजनीति में परिवार की ख्याति का लाभ मिलता रहे, इसलिए बिलावल और उनकी बहन आसिफ अली अपने नाम के साथ पिता का सरनेम जरदारी लगाने के बजाए माताजी बेनजीर भुट्टो वाला सरनेम ही लगाते हैं। बेनजीर की मृत्यु के बाद बिलावल ही पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बने। मौजूदा समय में पाकिस्तान की राजनीति में बिलावल की पीपीपी की कोई खास पकड़ नहीं है। शरीफ बंधुओं की पार्टी से गठबंधन करने के कारण इस बार बिलावल को पाकिस्तान का विदेश मंत्री बनने का अवसर मिल गया है। पाकिस्तान की राजनीति के जानकारों के अनुसार बिलावल भुट्टो के नेतृत्व के कारण ही पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) कभी भी अपने बूते पर सरकार नहीं बना सकती। पाकिस्तान में पीपीपी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। इसकी मुख्य वजह बिलावल भुट्टो द्वारा उल जलूल बयान देना है। बिलावल को खुद यह पता नहीं होता कि वे क्या बोल रहे हैं। बाद में बिलावल के बयानों का मजाक उड़ाया जाता है। भारत में भी राहुल गांधी की राजनीतिक पृष्ठ भूमि रही है। राहुल के पिताजी राजीव गांधी और राजीव की माताजी श्रीमती इंदिरा गांधी भी प्रधानमंत्री रही। राहुल की दादी यानी इंदिरा गांधी के पिता जवाहरलाल नेहरू भी 16 वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री रे। वर्ष 2004 से 2014 तक डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार भी राहुल गांधी की माताजी श्रीमती सोनिया गांधी के इशारे पर चली। एक माह पहले तक कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार के पास ही था। अभी भी अंतिम निर्णय गांधी परिवार ही लेता है। भारत की राजनीति में जिस प्रकार क्षेत्रीय दल मजबूत हुए हैं, उसे देखते हुए कांग्रेस का अपने दम पर केंद्र में सरकार बनाना बहुत कठिन है। कांग्रेस भी अपने सबसे बूरे दौर से गुजर रही है। समझ में नहीं आता कि राहुल गांधी ने किसकी जानकारी पर हमारे सैनिकों के पिटने की बात कही है। अब यदि राहुल गांधी के तार सीधे चीन सरकार से जुड़े हैं तो कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन भारतीय सेना का तो यही कहना है कि चीन ने हमारी एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं किया है। अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर जब चीनी सैनिकों ने आगे बढ़ने का प्रयास किया तो उन्हें डंडे मार कर खदेड़ दिया गया। भारतीय सेना अपने युद्धक विमानों से अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर अभ्यास कर रही है, लेकिन फिर भी राहुल गांधी कह रहे हैं कि सरकार सो रही है। पिछले 7-8 वर्षों में भारतीय सेना सैन्य उपकरणों से जितनी मजबूत हुई है, उसी का परिणाम है कि चीन जैसे शक्तिशाली देश को आंखें दिखाई जा रही है। राहुल गांधी भी जानते हैं कि 2014 से पहले भारतीय सेना के पास अधिकांश उपकरण विदेशी थे, लेकिन आज भारत सैन्य हथियारों का निर्यात कर रहा है। अब सेना के पास अधिकांश स्वदेशी हथियार हैं। राहुल गांधी को वो दिन भी याद करने चाहिए जब कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके जाते थे। हमारे जवान चाहते हुए भी जवाब नहीं दे पा रहे थे। आज किसी भी उपद्रवी और आतंकी की हिम्मत सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकने की नहीं है। जो आतंकी वारदात करता है, उसे हमारे जवान मौत के घाट उतार देते हैं। यह वजह है कि जब सीमा पार से आने वाले आतंकी डरने लगे हैं। यह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार है, जिसने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की हिम्मत दिखाई है। भारतीय सेना पर प्रतिकूल टिप्पणी करने के बजाए राहुल गांधी को अपनी पार्टी की दुर्दशा को ठीक करने में समय लगाना चाहिए। सेना पर प्रतिकूल टिप्पणी करने से कांग्रेस को ही नुकसान हो रहा है। 

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