नई दिल्ली
अमेरिका का सिटीबैंक अब भारत से अपना कारोबार समेट रहा है। सिटीग्रुप ने बड़ा ऐलान करते हुआ कहा कि ग्रुप अब भारत समेत 13 इंटरनेशनल कंज्यूमर बैंकिंग मार्केट से बाहर निकलेगा। खासकर जहां इसका बिजनेस छोटे स्तर पर है। सिटीग्रुप अब वेल्थ मैनेजमेंट कारोबार पर फोकस करने की तैयारी में है। बता दें कि भारत में सिटीग्रुप की एंट्री 1902 में हुई थी और इसने कंज्यूमर बैंकिंग कारोबार 1985 में शुरू किया था।
कारोबार समेटने की वजह क्या है?
सिटी ग्रुप के फैसले के पीछे कारोबार के लिए कम मौके या भारत में लागू बैंकिंग नियम बताए जा रहे हैं। भारतीय बैंकिंग रेगुलेटर की तरफ से विदेशी बैंकों को देश में ब्रांच बढ़ाने या अधिग्रहण की छूट नहीं है। ऐसे में विदेशी बैंक के लिए भारत में कारोबारी विस्तार मुश्किल होता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सिटीबैंक उम्मीद के मुताबिक ग्राहक भी नहीं जोड़ पाया।
भारत में सिटीबैंक के 25 लाख ग्राहक
देश में सिटीबैंक की करीब 35 ब्रांच हैं। इनमें लखनऊ, अहमदाबाद, औरंगाबाद, बेंगलुरु, चंडीगढ़, फरीदाबाद, गुरुग्राम, जयपुर, कोच्चि, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, नासिक, नई दिल्ली, पुणे, हैदराबाद और सूरत जैसे शहरों की ब्रांच शामिल हैं। कंज्यूमर बिजनेस बैंकिंग में इसके करीब 4 हजार लोग काम करते हैं। देश में बैंक के करीब 25 लाख ग्राहक हैं। हालांकि, सिटीग्रुप ग्लोबल कंज्यूमर बैंकिंग बिजनेस में सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, लंदन और UAE मार्केट में कारोबार जारी रखेगा। जबकि चीन, इंडिया और 11 दूसरे रिटेल मार्केट कारोबार समेटेगा।
सिटीग्रुप की CEO जेन फ्रेजर ने कहा यह कंपनी की रणनीति समीक्षा का हिस्सा है। फ्रेजर ने इसी साल मार्च में CEO का पद संभाला है। उन्होंने कहा कि इससे हमें मजबूत ग्रोथ की संभावना लग रही है और वेल्थ मैनेजमेंट में ज्यादा मौके दिखाई दे रहे हैं।
सिटीबैंक जिन एशियाई बाजारों से निकल रहा है, वहां से 2020 में ग्लोबल कंज्यूमर बैंकिंग बिजनेस से कंपनी को 6.5 अरब डॉलर की इनकम हुई थी। 2020 के अंत तक ग्रुप की 224 रिटेल ब्रांच और 123.9 अरब डॉलर का डिपॉजिट रहा था।