
के पी मलिक
क्या किसी की चीज छीनकर उसे बिना पैसे दिए उस चीज का आधा हिस्सा देकर चीज ले ली जाए, तो क्या ये कानूनी तौर पर एक अपराध नहीं है? मेरे ख़्याल से तो अपराध है। लेकिन अब यही अपराध मध्य प्रदेश की सरकार खुले तौर पर कानून की आड़ में करेगी, और ये कानून है- नगर और ग्राम निवेश संशोधन विधेयक 2025।
हालांकि ये विधेयक अभी कानून नहीं बना है, लेकिन इस विधेयक को जबरन विधानसभा में लाकर मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार, जिसमें मुख्यमंत्री मोहन यादव हैं, किसानों की खेती की उपजाऊ जमीन हड़पना चाहती है। प्रदेश सरकार किसानों की जमीन छीनकर नेताओं और पूंजीपतियों को दिए जाने का प्लान बनाने की कोशिश कर रही है, और वो इसे लेकर इतनी जबरदस्ती पर तुली हुई है कि विपक्ष की भी नहीं सुन रही है। क्या किसी की जमीन बिना मुआवजा दिए जबरन छीन लेना सरकार की तानाशाही नहीं है।
दरअसल प्रदेश सरकार की तरफ से विकास कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण करने के लिए एक अलग तरह का ही कानून बनाने की तैयारी हो चुकी है, जिसका नाम नगर और ग्राम निवेश संशोधन विधेयक 2025 है। इस विधेयक के कानून बनते ही मध्य प्रदेश सरकार भूमि अधिगृहण करने और उसका मुआवजा किसानों को देने के बजाय लैंड पूलिंग का तरीका अपनाएगी और जिन किसानों की जमीन लेगी, उन्हें न तो जमीन बचाने का अधिकार होगा और न ही सरकार उन्हें मुआवजा देगी। यानि जमीन मुफ्त में छीनी जाएगी और उस जमीन का 50 फीसदी हिस्सा किसानो को दिया जाएगा।

सरकार कह रही है कि भूमि मालिकों यानि किसानों को जमीन के बदले मुआवजा देने के बजाय उस जमीन का 50 फीसदी भूखंड या जमीन विकसित करके दी जाएगी। सरकार का जमीन विकसित करने का मतलब ये नहीं है कि वो किसानों को उस 50 फीसदी जमीन में बिल्डिंगें बनवाकर या बिजनेस खोलकर देगी, बल्कि वो किसानों को वो जमीन देगी, जो प्रोजेक्ट के आसपास होगी। मसलन, अगर 100 किसानों की जमीन लेकर सरकार एयरपोर्ट बनाना चाहती है, तो किसानों को एयरपोर्ट से थोड़ी दूरी पर जो भी नई बसावट होगी, उसके पास आधी जमीन दे देगी।
जमीन अधिग्रहण पर मुआवजा नहीं, मिलेगी 50 प्रतिशत विकसित जमीन…
मध्यप्रदेश में नगरीय निकायों द्वारा उद्योगों अथवा शासकीय उपक्रमों, परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित की जाने वाली भूमि के बदले में किसान अथवा भूमि-स्वामी को सरकार अब मुआवजा नहीं देगी, बल्कि अधिग्रहित की गई भूमि के बदले उसकी 50 प्रतिशत भूमि विकसित करके दी जाएगी। सोमवार को विधानसभा में पास हुए मप्र नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) अधिनियम-2025 के माध्यम से सरकार ने यह व्यवस्था की है।
उल्लेखनीय है कि मप्र में अब तक जमीन अधिग्रहण पर भू-स्वामी को भूमि के शासकीय मूल्य अथवा कलेक्टर गाइड लाइन का दो गुना मुआवजा देने का प्रावधान था। मप्र नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) विधेयक 2025 के माध्यम से सरकार ने टीएनसीपी एक्ट 1973 में नई धारा 66 (क) जोड़ी है। इसके तहत सरकारी विभाग किसी भी क्षेत्र को विशेष क्षेत्र घोषित कर जमीन अधिग्रहण कर सकेंगे। यानि लैंड पुलिंग स्कीम लागू हो जाएगी। Also Read – सेक्स वर्कर पर नहीं चलेगा केस, होटल-ढाबा संचालकों पर होगी सीधी कार्रवाई बदले में भूमि स्वामी को आधी भूमि विकसित कर दी जाएगी। यह अधिनियम सभी विभागों पर लागू होगा। अलग से कोई नियम नहीं बन सकेगा और भू स्वामी सरकार द्वारा वापस की गई विकसित भूमि का व्यावसायिक उपयोग कर सकेगा। यह नीति राज्य की आर्थिक समृद्धि और भू-स्वामी को बड़ा फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से तैयार की गई है।
40 हेक्टेयर और 500 करोड़ से अधिक निवेश की शर्त
, सीईओ बोले – नेताओं को चाहिए रियलिटी चेक”… मप्र नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधन) विधेयक 2025 के तहत 40 हेक्टेयर से कम के प्रोजक्ट अथवा 500 करोड़ से कम का निवेश होने की स्थिति में भूमि अधिग्रहण का यह अधिनियम लागू नहीं होगा। यह एकीकृत टाउनशिप के लिए ही उपयोग हो सकेगा। भू-स्वामी को 50 प्रतिशत विकसित जमीन वापस करनी होगी। मुआवजा नहीं मिलने अथवा कम मिलने जैसी स्थिति नहीं बनेगी और भू-स्वामी को अधिकारियों या न्यायालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगेे।
कैसी होगी विकसित भूमि सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि के बदले दी जाने वाली विकसित जमीन में सड़क, नाली, बिजली आदि की उपलब्धता होगी, जिसका व्यवसायिक उपयोग सरकार के साथ भू-स्वामी कर सकेगा। अभी तक इस तरह की नीति का उपयोग हाउसिंग बोर्ड एवं विकास प्राधिकारण करते रहे हैं। सबसे पहले अधिग्रहण इंदौर-उज्जैन में टीएनसीपी अधिनियम में संशोधन के बाद भूमि अधिग्रहण का सबसे पहला प्रयोग इंदौर-उज्जैन के आसपास होना तय है। सरकार की इन दोनों शहरों के बीच में औद्योगिक क्षेत्र सहित अन्य प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना है। इसके बाद इसे प्रदेशभर में प्रस्तावित नए औद्योगिक क्षेत्रों में अमल में लाया जाएगा।
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