नई दिल्ली। हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में विधानसभा चुनावों में भारी जीत से भाजपा के अंदर भारी उथल-पुथल मचा है। शीर्ष नेतृत्व तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री के नामों पर विचार-विमर्श कर रहा है। लेकिन नाम फाइनल होने के पहले मुख्यमंत्री पद के दावेदारों ने नेतृत्व के समक्ष संकट खड़ा कर दिया है। सबसे बड़ी चुनौती पूर्व मुख्यमंत्रियों की तरफ से आ रही है। राजस्थान में वसुंधरा राजे, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह और मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की जगह किसी दूसरे नाम पर मुहर लगाना पार्टी हाईकमान के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
यह बात सही है कि तीनों राज्यों- छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में किसी को न तो चुनावी चेहरा बनाया गया था और न ही किसी को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया गया था। बल्कि पीएम मोदी के साथ सामूहिक नेतृत्व पर चुनाव लड़ा गया था। पार्टी ने तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में 21 सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारा था। राजस्थान और मध्य प्रदेश में जहां सात-सात सांसदों को उतारा गया था वहीं छत्तीसगढ़ में चार और तेलंगाना में तीन सांसदों को टिकट दिया गया था।
अब मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा का चुनाव जीते हुए करीब 12 सांसदों ने इस्तीफा दे दिया है। यानि पार्टी ने यह तय किया है कि विधानसभा चुनाव जीते हुए सांसद अब राज्य की ही राजनीति में रहेंगे। कम से कम लोकसभा चुनाव तक तो रहेंगे ही।
फिलहाल, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा को मुख्यमंत्री चयन में अलग तरह की परेशानी है। लेकिन मध्य प्रदेश में तो नेतृत्व के समझ गंभीर समस्या है। राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भले ही चुनाव नही लड़ा गया, लेकिन उनकों दरकिनार भी नहीं किया गया था। अब चौहान यह कह रहे हैं कि वह किसी पद के दावेदार नहीं हैं। लेकिन राजनीति में जो कहा जाता है ठीक उसका उल्टा माना जाता है।
मंगलवार को भोपाल में जब पत्रकारों ने शिवराज सिंह चौहान से पूछा कि क्या वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलने दिल्ली जा रहे हैं तो उन्होंने कहा कि “वह कल छिंदवाड़ा जा रहे हैं, जहां पार्टी ने सात विधानसभा सीटों में से एक भी नहीं जीता है। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि पार्टी सभी 29 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करे और पीएम नरेंद्र मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बनेंगे।”
छिंदवाड़ा कांग्रेस नेता कमल नाथ का गृह जिला है और वहां की सभी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई है।
शिवराज सिंह चौहान आज सुबह (बुधवार) छिंदवाड़ा पहुंचे थे। वहां उन्होंने एक आदिवासी परिवार के यहां दोपहर का भोजन किया। इस तरह वह मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी किसी न किसी रूप में पेश कर दिया है।
शिवराज सिंह चौहान ने एक्स पर एक वीडियो भी पोस्ट किया। उन्होंने कहा कि “मैं पहले भी कभी मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं था, न ही आज हूं। एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में, भाजपा ने मुझे जो भी काम सौंपा है, उसे मैंने अपनी पूरी क्षमता, समर्पण और ईमानदारी से किया है।”
शिवराज सिंह चौहान अटल-आडवाणी युग के नेता हैं, जिन्हें कभी प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी के प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जाता था।