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जिस पैमाने पर भारतीय यौवन का दिमाग़ कचराघर बनाया जा रहा है, उसी पैमाने पर सफाई भी ज़रूरी

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डॉ. गीता शुक्ला

_गत सप्ताह चेतना विकास मिशन द्वारा हस्तिनापुर में आयोजित डॉ. मनावश्री के एक ध्यानप्रशिक्षण एवं उपचारशिविर में बतौर सहयोगिनी सिरकत करने का अवसर मिला._
 वहां उपस्थित युवक- युवतियों के अतिरिक्त सत्र में उनको संबोधित करना था. विषय था राष्ट्रवाद और साम्प्रदायिकता. मानवश्री ने यह दायित्व मुझे स्थानांतरित कर दिया.

मैंने वहाँ मौजूद सुशिक्षित युवाओं से पूछा :
दुनिया का सबसे अच्छा राष्ट्र कौन सा है ? सबने एक स्वर में कहा :
~भारत.
सबसे अच्छा धर्म कौन सा है?
~हिंदू धर्म.
सबसे अच्छी भाषा कौन सी है?
~संस्कृत/हिन्दी.
दुनिया का सबसे बुरा देश कौन सा है?
~पाकिस्तान.
सबसे बेकार धर्म कौन सा है?
~इस्लाम.

मैंने इन युवाओं से आगे पूछा :
क्या उन्होंने जन्म लेने के लिए अपने माँ बाप का खुद चुने थे? सबने कहा :
~नहीं.
क्या आपने जन्म के लिए भारत को या हिंदू धर्म को खुद चुना था?
~ नहीं.
आपका जन्म पाकिस्तान में किसी मुसलमान के घर में हुआ होता और मैं आपसे यही सवाल पूछती तो आप क्या जवाब देते?
वे आवाक़. उन्हें ऎसे सवाल की आशा नहीं थी.
मैंने कहा : अब हमारा फ़र्ज़ यह है कि जहां जन्म लिया है उस देश में और उस धर्म में जो बुराइयां हैं उन्हें खोजें और उन् बुराइयों को ठीक करने का काम करें.
युवाओं ने कहा : हाँ ये तो ठीक बात है.

 इसके बाद मैंने उन्हें संघ द्वारा देश भर में फैलाए गए साम्प्रदायिक ज़हर और उसकी आड़ में भारत की सत्ता पर कब्ज़ा करने और फिर भारत के संसाधनों को अमीर उद्योगपतियों को सौपने की उनकी राजनीति के बारे में समझाया.
_मैंने उन्हें राष्ट्रवाद के नाम पर भारत में अपने ही देशवासियों पर किये जा रहे अत्याचारों के बारे में बताया._
मैंने उन्हें आदिवासियों, पूर्वोत्तर के नागरिकों, कश्मीरियों पर किये जाने वाले हमारे अपने ही अत्याचारों के बारे में बताया.

मैंने उन्हें हिटलर द्वारा श्रेष्ठ नस्ल और राष्ट्रवाद के नाम पर किये गये लाखों कत्लों के बारे में भी बताया.
मैंने उन्हें यह भी बताया की किस तरह से संघ उस हत्यारे हिटलर को अपना आदर्श मानता है.
मैंने उन्हें बताया की असल में हमारी राजनीति का लक्ष्य सबको न्याय और समता हासिल करवाना होना चाहिए.

असल हमें इस तरह से सोचने के लिए ना तो हमारे घर में सिखाया गया था ना ही हमारे स्कूल या कालेज में इस तरह की बातें बताई गयी थीं.
मुझे लगता है की हमें युवाओं के बीच उनका दिमाग साफ़ करने का काम बड़े पैमाने पर करना चाहिए. क्योंकि उनका दिमाग खराब करने का काम भी बड़े पैमाने पर चल रहा है.
(लेखिका चेतना विकास मिशन की मुख्य चिकित्सिका हैं)

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