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 कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का करौली के मुंडिया गांव में होगा अंतिम संस्कार

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 एसपी मित्तल अजमेर
31 मार्च को सुबह जयपुर के मणिपाल अस्पताल में कर्नल किराड़ी सिंह बैंसला का निधन हो गया। 81 वर्षीय बैंसला ने राजस्थान में गुर्जर सहित पांच अति पिछड़ा वर्ग की जातियों को पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गुर्जर समुदाय को ओबीसी वर्ग के बजाए अति पिछड़ा मानकर अलग से आरक्षण देने की मांग के लिए कर्नल बैंसला ने सबसे पहले राजस्थान में गुर्जर आंदोलन की शुरुआत की। इसे कर्नल बैंसला का करिश्मा ही कहा जाएगा कि राजस्थान भर के गुर्जर एकजुट हुए और सवाई माधोपुर की रेल पटरियों पर बैठ कर लंबा संघर्ष किया। भाजपा के शासन में कई गुर्जरों की मौत हो जाने के बाद भी कर्नल बैंसला ने अपने आंदोलन को जारी रखा। प्रदेश में सरकार कांग्रेस की हो या भाजपा दोनों ही सरकारों में बैंसला ने अपने आंदोलन को जारी रखा। इसी का परिणाम रहा कि गुर्जर सहित पांच पिछड़ी जातियों को पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण मिल गया। आज इस आरक्षण का लाभ हजारों गरीब युवा उठा रहे हैं। गुर्जर आंदोलन के दौरान जो मुकदमे दर्ज हुए और सरकार ने गुर्जरों के विकास के लिए जो घोषणाएं की उनको लेकर भी कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला जीवन के अंतिम दिनों तक संघर्ष करते रहे। हालांकि पिछले कुछ वर्षो से कर्नल बैंसला ने अपने पुत्र विजय बैंसला को उत्तराधिकारी घोषित कर आंदोलन का नेतृत्व सौंप दिया था, लेकिन हर संघर्ष में बैंसला ने अपनी उपस्थिति बनाए रखी। गुर्जर समुदाय को एकजुट करने में विजय बैंसला ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। आज कई मौकों पर कर्नल बैंसला की गैर मौजूदगी में आंदोलन का नेतृत्व विजय बैंसला ने ही किया। अपने पिता के निधन के बाद विजय बैंसला ने कहा कि समाज के विकास के लिए मेरे पिता ने जो अभियान चलाया उसे मैं आगे भी जारी रखूंगा। कर्नल बैंसला का अंतिम संस्कार एक अप्रैल को करौली स्थित उनके पैतृक गांव मुंडिया में किया जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेताओं ने कर्नल बैंसला के निधन पर शोक व्यक्त किया है। सीएम गहलोत ने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिलाने की श्रेय अकेले कर्नल बैंसला को जाता है। उल्लेखनीय है कि आरक्षण का लाभ मिलने के बाद कर्नल बैंसला ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से कर्नल बैंसला और उनके पुत्र विजय बैंसला ने भाजपा से दूरी बना ली थी। अलबत्ता विजय बैंसला गुर्जर बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों में लगातार सक्रिय रहे। 

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