डॉ. प्रिया
दांतों के बीच भोजन के कण फंसते हैं, जो दांतों में सड़न पैदा करते हैं।इसलिए दांतों को फ्लॉस करना जरूरी है। मन में यह सवाल उठता है कि क्या दांतों को फ्लॉस करना जरूरी है।
कुछ लोग मानते हैं कि डेंटल फ्लॉस दांतों में गैप पैदा कर सकते हैं। कुछ लोगों की यह राय हो सकती है कि ये टॉक्सिक हो सकते हैं। क्योंकि डेंटल फ्लॉस पर केमिकल भी मौजूद हो सकते हैं। इन सभी सवालों के आधार पर यह जानना जरूरी हो जाता है कि डेंटल फ्लॉस हमारे शरीर के लिए सही हैं या नहीं।
*क्या है डेंटल फ्लॉस?*
डेंटल फ्लॉस फिलामेंट का एक कॉर्ड है, जिसका उपयोग दांतों के बीच फंसे भोजन के कण को हटाने के लिए किया जाता है। इन स्थानों तक टूथब्रश नहीं पहुंच पाते हैं।
ओरल क्लीनिंग के हिस्से के रूप में इसका नियमित उपयोग ओरल हेल्थ को बनाए रखने के लिए किया जाता है।
*कैसे टॉक्सिक हो सकता है डेंटल फ्लॉस?*
कुछ ख़ास प्रकार के डेंटल फ्लॉस टेफ्लॉन जैसे टॉक्सिक केमिकल से बनाए जाते हैं। वैक्स्ड फ्लॉस बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है, जो कई ब्रांडों के नॉन-स्टिक पैन पर कोटिंग की हुई होती है।
इसकी बड़ी मात्रा शरीर के अंदर जाने पर थायराइड की समस्या बढ़ सकती है। टेफ्लॉन एक्सपोज़र हार्मोन असंतुलन, ऑटोइम्यून रोग, न्यूरोटॉक्सिसिटी और अल्जाइमर रोग से भी जुड़ा हो सकता है।
*पारम्परिक वेक्स फ्लॉस के जोखिम :*
पारम्परिक वेक्स फ्लॉस पेट्रोलियम से बने होते हैं। शोध बताते हैं कि इसका अत्यधिक उपयोग कैंसर का जोखिम बढ़ा सकता है।
अध्ययन के अनुसार शिशुओं के साथ पेट्रोलियम उत्पादों का उपयोग करने से कैंडिडिआसिस की संभावना बढ़ जाती है। मुंह की कैंडिडिआसिस, जिसे ओरल थ्रश कहा जाता है, बच्चों के लिए एक आम समस्या है।
*फ्रेगरेंस बढ़ा सकता है कैंसर का खतरा :*
कुछ ब्रांड फ्लॉस को स्वादिष्ट बनाने के लिए सिंथेटिक खुशबू वाले रसायनों का उपयोग करते हैं। सिंथेटिक खुशबू वाले रसायन अक्सर पेट्रोलियम से प्राप्त होते हैं।
इन्हें कैंसर, ब्रेन डिजीज, एलर्जी और यहां तक कि जन्म दोष जैसी प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़ा गया है। वे अक्सर फ़ेथलेट्स से बने होते हैं, जो हार्मोन को बाधित करते हैं। ये आम तौर पर ऐसे पदार्थ होते हैं, जिनसे जीवन भर बचना चाहिए।
*फ्लॉस करने की ज़रूरत :*
अच्छे ओरल और टूथ हेल्थ के लिए फ्लॉसिंग जरूरी है। यदि दांत ठीक से फैले हुए नहीं हैं, तो भोजन के कण फंस सकते हैं। अगर फ्लॉसिंग को स्किप किया जाता है, तो गमलाइन के बीच प्लाक और टार्टर बनने की संभावना बढ़ जाती है।
ऐसे करें हेल्दी फ्लॉसिंग :
*1. फ्लॉस स्टिक का चुनाव :*
केमिकल वाले डेंटल फ्लॉस की बजाय फ्लॉस स्टिक का चुनाव करें। री यूज़ किये जाने वाले फ्लॉस को अवॉयड करना चाहिए। इस पर बैक्टीरिया ग्रो कर सकते हैं।
*2. डिस्पोजेबल फ्लॉस स्टिक :*
डिस्पोजेबल फ्लॉस स्टिक से फ्लॉसिंग की आदत सबसे बढ़िया है। हैंडल वाले फ्लॉसिंग इस प्रक्रिया को बहुत आसान बनाते हैं। ये आपकी उंगलियों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं।
*3. एक दिन में एक दांत फ्लॉस :*
फ्लॉसिंग की आदत डालने के लिए एक दिन में एक दांत को फ्लॉस करें। यह आदत बनाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन कोशिश करें। अपने आप को याद दिलाएं कि यह समय के साथ बेहतर हो जाएगा।
*4. हलके हाथ से फ्लॉसिंग :*
यदि फ्लॉसिंग के दौरान मसूड़ों से खून आता है, तो यह मसूड़े की सूजन का संकेत है। मसूड़े की सूजन कई प्रकार की समस्या को जन्म दे सकती है। यदि नियमित रूप से हलके हाथ से फ्लॉसिंग की जाती है, तो समय के साथ मसूड़ों से खून कम आएगा। होने वाला हल्का दर्द भी दूर हो जाएगा।
*5. वॉटर फ़्लॉसर :*
वॉटर फ़्लॉसर का उपयोग करें। वाटर फ्लॉसर घर में आसानी से इस्तेमाल किया जाने वाला डेंटल फ्लॉस है। इसमें प्रेशर के माध्यम से दांतों के बीच पानी की एक धारा प्रवाहित की जाती है। यह दांतों के बीच और गमलाइन के नीचे फंसे भोजन के कण को हटा देता है। यह हर तरह की समस्या से बचाव करेगा।