डॉ. श्रेया पाण्डेय
*1.कंजेशन :*
हमारे सिर में यूस्टेशियन ट्यूब होती है जो गले के ऊपरी हिस्से और कान को जोड़ती है। इसका काम होता है अतिरिक्त हवा के दबाव और किसी भी प्रकार के तरल पदार्थ को कान तक आने से रोकना।
जब आपको जुकाम या यूं कहें सर्दी होती है, तो आपके नाक का फ्लूइड यूस्टेशियन ट्यूब को जाम कर देता है। इस ट्यूब के जाम होने की वजह से ही आपको कान में दर्द होता है और कई बार कान बहने भी लगता है।
कई बार कान का दर्द आपके जुकाम के ठीक होते ही ठीक भी हो सकता है और कई बार यह और भी कई इन्फेक्शन का कारण भी बन सकता है।
*2. मिडल ईयर इंफेक्शन :*
यह इंफेक्शन भी सर्दियों में कान के दर्द का आम कारण है। ये इंफेक्शन तब जन्म लेता है जब उसी यूस्टेशियन ट्यूब(गले के ऊपरी हिस्से से कान को कनेक्ट करने वाली ट्यूब) के जरिये जुकाम के वायरस आपके नाक और गले से होते हुए आपके कान तक पहुंच जाते हैं। यही वायरस फिर आपके अंदरूनी हिस्से में फ्लूइड बनाते हैं।
फ्लूइड के ज़रिए, बैक्टीरिया का जन्म होता है और उसके बाद कान में दर्द तो शुरू ही हो सकता है लेकिन उसके साथ साथ कान में सूजन,सुनने में कठिनाई और कान बहने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। यहां तक कि आपको बुखार तक से भी जूझना पड़ सकता है।
*3. साइनस इंफेक्शन :*
यह मिडल इंफेक्शन से एक कदम आगे का ख़तरा है जिसकी वजह से आपका कान दर्द हो सकता है। यह तब होता है जब आपका जुकाम कई दिनों तक रह जाए। इस इन्फेक्शन के बाद आपके कानों में दर्द के साथ प्रेशर भी बना रह सकता है।
इसका मतलब यह है कि आपकी नाक और गले का फ्लूइड ज़्यादा मात्रा में आपकी कानों तक पहुंच चुका है। इसके बाद आपके कान में दर्द, कान का बहना, सांस फूलना और दांत दर्द की समस्या भी हो सकती है।
*और भी हैं कारण :*
कान में गंदगी ज्यादा जमा हो जाने से भी कान में दबाव और दर्द बढ़ जाता है।
हमारे देश की आधी आबादी नुकीली चीजों से कान खुजलाना पसन्द करती है,यह भूलकर कि कान इसका बुरा मान सकता है,जिसका दर्द उन्हें महसूस होगा।
अगर आपको टॉन्सिलाइटिस है या फिर जबड़े की समस्या है तो ये दोनों समस्याएं भी कान दर्द का कारण बन सकती हैं।
दांत का सड़ना या मसूड़ों की समस्या के कारण दर्द भी कान तक महसूस हो सकता है और हम कहते हैं कि कान दुख रहा है। ख़ास कर बच्चे जिन्हें समझ नहीं आता कि असल समस्या क्या है।
*कान दर्द से बचाव के लिए जरूरी बातें :*
1. बच्चे हों या बड़े, दोनों के कान ढंके। ठंडी और तेज़ हवा अक्सर कान दर्द का कारण बन जाती है।
2. नहाते समय कान के अंदर पानी घुस जाना बहुत बार होता है। खास कर बच्चों के। आपको इस बात का ख्याल रखना है कि ऐसा ना होने पाए।
3. सर्दी-जुकाम से बचने के हर जतन करिए। कोई इंफेक्शन या टेम्परेचर का गिरना आपको जुकाम की जद में ले जा सकता है और हमने अभी पढ़ा ही कि जुकाम भी कान दर्द का एक बड़ा कारण है।
4. कान को साफ रखें लेकिन सफाई के चक्कर में नुकीली चीज़ें कान में डालने से बचिए। आपकी ये छोटी सी हरकत कान का बड़ा नुक़सान कर सकती है।
*होम रेमेडी :*
1. गर्म पानी की सिंकाई
एक साफ कपड़े को गर्म पानी में भिगोकर निचोड़ लीजिये और उससे कान के चारों ओर हल्के हल्के सेंकिए। ये कानों की सूजन कम करेगा और दर्द से राहत देगा।
*2. लहसुन :*
लहसुन की 2-3 कलियों को सरसों के तेल में गर्म करके ठंडा होने के बाद कान के चारो ओर बाहर से हल्के हल्के लगाइए। लहसुन अपने एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण ऐसे दर्दों में मददगार है।
*3.तुलसी का रस :*
ताजी तुलसी की पत्तियों का रस निकालें और इसे कान के आसपास लगाएं। ये दर्द और इंफेक्शन को कम करेगा।
*4. भाप :*
गर्म पानी से भाप लें। यह कान के अंदर जमा फ्लूइड को ढीला करके निकालने में मदद करता है।
ध्यान रखिये, यह सब कान के बाहर-बाहर ही करना है। दर्द को कम करने के लिए किसी भी चीज़ को बिना डॉक्टरी सलाह के कान के अंदर डालने से बचना है। वरना वह कहावत तो है ही : नीम हकीम,खतरा-ए-जान.
*डॉक्टर के पास कब जाएँ :*
अगर कान दर्द 2-3 दिनों तक ठीक न हो और बढ़ता ही जा रहा है तो आपको तुरन्त अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
अगर आपके कान से लगातार मवाद आ रहा हो तो यह किसी भी इंफेक्शन का लक्षण हो सकता है।
अगर कान से खून आ रहा है तो भी आपको अपने डॉक्टर से मिलना है। यह आपके कान में लगी किसी अंदरूनी चोट का संकेत है। या यह भी आपके कान के पर्दे फटे हों।
अगर आपको दो या तीन दिन से लगातार सुनने में समस्या हो रही हो तो अपनी इस समस्या की सुन लें और डॉक्टर को सुनाएं।
गले या जबड़े का इंफेक्शन या दर्द ठीक ना हो रहा हो तो भी डॉक्टर के पास जाएं क्योंकि वह इंफेक्शन या दर्द कान तक पहुंच सकता है।
बच्चों को जब भी तेज बुखार के साथ कान में दर्द हो या फिर उनके कान से दुर्गंध आ रही हो तो डॉक्टर से मिल लीजिये।