नई दिल्ली । लोकसभा चुनावमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश की रायबरेली के साथ-साथ केरल की वायनाड सीट पर जीत हासिल की है। अब उन्हें एक सीट पर इस्तीफा देना होगा, क्योंकि वह एकसाथ दोनों ही सीटों के सांसद नहीं रह सकते हैं। राहुल किस सीट से इस्तीफा देंगे, इसको लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। इसके साथ ही प्रियंका गांधी वाड्रा के संसदीय पारी शुरुआत होने को लेकर भी कयासों का बाजार गर्म है।
मीडिया की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा कि अगर राहुल गांधी वायनाड सीट से इस्तीफा देते हैं तो वहां से प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस अपना उम्मीदवार बना सकती है। राहुल गांधी ने बीते मंगलवार को यह कहकर अपनी बहन के चुनाव मैदान में उतरने की बात को हवा दे दी कि अगर उनकी बहन वाराणसी से चुनाव लड़ रही होती तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो-तीन लाख वोटों से चुनाव हार जाते।
आपको बता दें कि प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की चर्चा 2019 के लोकसभा चुनाव से ही हो रही है। उस समय भी अटकलें लगाई गईं कि वह वाराणसी सीट से पीएम मोदी को चुनौती दे सकती हैं। इसके बाद 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी उनके चुनाव लड़ने को लेकर अटकलें लगाई गईं। उस चुनाव में तो उनके मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी की भी खूब बात हुई। 2024 में जब सोनिया गांधी ने रायबरेली सीट छोड़ दी तो प्रियंका गांधी का नाम फिर तेजी से उछला, लेकिन इस सीट से राहुल गांधी चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। ऐसी खबरें आ रही थीं कि प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी और उनके भाई भाजपा की स्मृति ईरानी से अमेठी को वापस जीतने के लिए लड़ेंगे।
उनके करीबी सूत्रों ने कहा था कि प्रियंका गांधी ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला इसलिए किया, क्योंकि अगर वह जीत जातीं तो संसद में तीन गांधी होते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की वंशवादी राजनीति के आरोप को बल मिलता।
प्रियंका गांधी ने अपना अधिकांश समय रायबरेली और अमेठी में प्रचार में बिताया। दोनों ही सीटों पर उनकी पार्टी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की। जब लोकसभा के नतीजे आए तो समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन ने उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 43 सीटें जीतकर भाजपा और चुनाव विश्लेषकों को चौंका दिया। रिजल्ट के बाद राहुल गांधी ने यूपी के लोगों का आभार जताते हुए अपनी बहन की भूमिका की प्रशंसा भी की थी।
राहुल गांधी की क्या है दुविधा
वायनाड से उपचुनाव में प्रियंका गांधी का चुनाव लड़ना इस बात पर निर्भर करेगा कि राहुल गांधी इस सीट को छोड़कर रायबरेली से सांसद बने रहते हैं या नहीं। इस सीट से 2019 में उन्हें जीत मिली थी। वह अमेठी सीट हार गए थे। उन्होंने बुधवार को कहा था कि वह दुविधा में हैं और अभी भी फैसला नहीं कर पाए हैं कि दोनों में कौन सी सीट से इस्तीफा दूं। उन्होंने केवल इतना कहा कि उनके अंतिम निर्णय से दोनों निर्वाचन क्षेत्रों के लोग खुश होंगे। हालांकि, सूत्रों ने कहा है कि यह लगभग तय है कि वह राष्ट्रीय राजनीति में यूपी के महत्व के कारण रायबरेली सीट से सांसद बने रहेंगे।
अमेठी में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को करारी शिकस्त
अमेठी में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को करारी शिकस्त देने वाले गांधी परिवार के एक अहम सहयोगी किशोरी लाल शर्मा ने राहुल गांधी से रायबरेली सीट बरकरार रखने का आग्रह किया है। वहीं, केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख के सुधाकरन ने संकेत दिया है कि राहुल गांधी वायनाड लोकसभा सीट छोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा, “हमें दुखी नहीं होना चाहिए क्योंकि देश का नेतृत्व करने वाले राहुल गांधी से वायनाड में रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। सभी को यह समझना चाहिए और उन्हें अपनी शुभकामनाएं और समर्थन देना चाहिए।”