एस पी मित्तल, अजमेर
14 दिसंबर को जब मीडिया में यह खबर आई कि अनुशासनहीनता के आरोपी मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ को कांग्रेस की केंद्रीय अनुशासन कमेटी ने माफ कर दिया है तो इस खबर के खंडन के लिए कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं को सामने आना पड़ा। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और अनुशासन कमेटी के सचिव तारिक अनवर ने कहा कि राजस्थान के तीनों मंत्रियों को अनुशासनहीनता करने के मामले में अभी माफी नहीं दी गई है। 25 सितंबर की घटना से जुड़ा यह मामला अभी लंबित है। सवाल उठता है कि मीडिया की खबरों का खंडन करने के लिए तीन बड़े नेताओं को सफाई क्यों देनी पड़ी? जबकि ये तीनों मंत्री राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा की तैयारियों में सक्रिय हैं। असल में राहुल की यात्रा 18 दिसंबर तक राजस्थान में है। कांग्रेस हाईकमान यात्रा के राजस्थान में रहने तक पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को नाराज नहीं करना चाहता हे। 25 सितंबर को जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक के दौरान समानांतर बैठक रखने और बागी रुख अपनाने पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने आरोपी मंत्रियों को नोटिस जारी किए थे। खुद सचिन पायलट ने भी आरोपी मंत्रियों पर कार्यवाही करने की मांग की थी। ये तीनों मंत्री धारीवाल, जोशी और राठौड़ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक हैं। सचिन पायलट भी राहुल गांधी की यात्रा में पूरा सहयोग कर रहे हैं। ऐसे में राहुल की यात्रा के दौरान ही पायलट को अपमानित करने वाली कार्यवाही की जाती तो पायलट के समर्थकों की नाराजगी सामने आ सकती थी। समर्थकों की इस नाराजगी का असर राहुल की यात्रा में देखने को मिलता। हाईकमान नहीं चाहता कि राजस्थान में यात्रा में कोई गड़बड़ी हो। वैसे भी यात्रा में राहुल गांधी खुद सचिन पायलट को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बराबर महत्व दे रहे हैं। कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं ने जिस तरह माफी वाली खबर का खंडन किया है उससे प्रतीत होता है कि आरोपी मंत्रियों पर अभी भी कार्यवाही की तलवार लटकी हुई है।
राठौड़ की सक्रियता से डोटासरा भी नाराज:
जानकारों की मानें तो मंत्रियों की माफी की खबर राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने मीडिया में प्लांट करवाई। हालांकि अब यह खबर तीनों मंत्रियों के लिए उल्टी पड़ गई है। राठौड़ की अति सक्रियता से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी खुश नहीं है। 13 दिसंबर को सरदारशहर उपचुनाव में विजयी कांग्रेस प्रत्याशी अनिल शर्मा को राठौड़ ने ही दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े से मिलवाया। अनिल शर्मा की जीत का श्रेय खुद राठौड़ ने ले लिया, जबकि प्रदेशाध्यक्ष के नाते अनिला शर्मा के साथ डोटासरा को होना चाहिए। असल में 25 सितंबर को खुली बगावत करने के बाद अब धर्मेन्द्र राठौड़ स्वयं को कांग्रेस कासबसे बड़ा हितैषी प्रदर्शित कर रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि सीएम गहलोत यदि राठौड़ से आरटीडीसी के अध्यक्ष का पद वापस ले लें तो राठौड़ कांग्रेस को भी छोड़ दें। राठौड़ की वफादारी सिर्फ अशोक गहलोत के साथ ही है।