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कांग्रेस विधायक मसूद की विधायकी हाईकोर्ट के पाले में

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भोपाल कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई में उनके नामांकन में 50 लाख रुपए के लोन की जानकारी छिपाने का मामला सामने आया है। यह मामला भाजपा प्रत्याशी ध्रुव नारायण सिंह की याचिका पर चल रहा है, जिसमें उन्होंने मसूद के चुनाव को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने माना है कि मसूद ने लोन की जानकारी छिपाई थी। अब 3 जनवरी को अगली सुनवाई होगी। इस मामले में अगर मसूद दोषी पाए जाते हैं तो उनकी विधायकी जा सकती है।

दरअसल, कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की याचिका पर गत दिवस हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। भाजपा प्रत्याशी ध्रुव नारायण सिंह ने हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया था कि आरिफ मसूद ने चुनाव के दौरान कई जानकारियां छिपाई हैं। इनमें यह भी शामिल है कि कांग्रेस विधायक ने स्वयं और अपनी पत्नी के नाम पर लिए गए करीब 50 लाख रुपये के लोन की जानकारी चुनाव के दौरान जमा किए गए नामांकन पत्र में नहीं दी थी। ध्रुव नारायण ने उनके निर्वाचन को चुनौती दी है। मामले की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आरिफ मसूद को 18 अक्टूबर तक लोन से संबंधित रिकॉर्ड उपलब्ध कराकर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही, हाईकोर्ट ने एसबीआई शाखा प्रबंधक से कांग्रेस विधायक और उनकी पत्नी के लोन की जानकारी मांगी थी। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यदि अंतिम सुनवाई में यह सिद्ध हो जाता है कि आरिफ मसूद और उनकी पत्नी ने बहुत बड़ी राशि का लोन लिया और चुनाव के दौरान इसकी जानकारी छिपाई, तो वे भ्रष्टाचार के दोषी पाए जाएंगे। ऐसे में उनकी विधायकी खत्म हो सकती है। मामले में अगली सुनवाई 3 जनवरी को होगी।
आरिफ मसूद ने लगाया था आवेदन  
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने हाईकोर्ट में भाजपा प्रत्याशी ध्रुव नारायण की याचिका को निरस्त करने के लिए आवेदन लगाया था, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। इस फैसले को चुनौती देते हुए आरिफ मसूद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और दावा किया कि जो दस्तावेज पेश किए गए हैं, वे फर्जी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साक्ष्य के आधार पर फिर से हाईकोर्ट को मामले की सुनवाई के निर्देश दिए। जस्टिस विवेक अग्रवाल की कोर्ट ने ध्रुव नारायण की याचिका पर अंतिम तर्क सुनने के बाद माना कि एसबीआई बैंक, भोपाल से लोन के लिए पेश किए गए दस्तावेज सत्य और बैंक अधिकारी द्वारा अधिकृत हैं। कोर्ट ने यह भी निर्धारित किया कि आरिफ मसूद ने चुनाव के दौरान इस लोन की जानकारी छिपाई थी।
लोन से जुड़े दस्तावेज पेश करने के आदेश
हाईकोर्ट ने पहले ही मसूद को 18 अक्टूबर तक लोन से जुड़े सभी दस्तावेज़ पेश करने का आदेश दिया था। साथ ही, एसबीआई बैंक से भी मसूद और उनकी पत्नी के लोन की जानकारी मांगी गई थी। मसूद ने हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। उनका दावा था कि पेश किए गए दस्तावेज फर्जी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर मामले को फिर से हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए भेज दिया। जस्टिस विवेक अग्रवाल की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने भाजपा प्रत्याशी ध्रुव नारायण सिंह की याचिका पर अंतिम बहस सुनी। अदालत ने माना कि एसबीआई बैंक, भोपाल से लोन के लिए पेश किए गए दस्तावेज सही हैं और बैंक अधिकारी द्वारा सत्यापित भी हैं। अदालत ने यह भी माना कि आरिफ मसूद ने चुनाव के दौरान इस लोन की जानकारी जानबूझकर छिपाई थी। भोपाल मध्य से विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे ध्रुवनारायण सिंह ने बताया कि आरिफ मसूद और उनकी पत्नी ने स्टेट बैंक ऑफ मैसूर जो अब भारतीय स्टेट बैंक में मर्ज हो चुका है, से ऋण लिया था। ऋण को मसूद दंपति ने नहीं चुकाया और ऋण एनपीए में चला गया।
हाईकोर्ट ने याचिका खारिज नहीं की
आरिफ मसूद ने हाईकोर्ट में ध्रुव नारायण की याचिका को खारिज करने के लिए एक आवेदन भी दिया था। हाईकोर्ट ने इस आवेदन को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि मसूद द्वारा उठाई गई आपत्तियों पर पहले ही विचार किया जा चुका है, इसलिए दोबारा विचार करने की कोई जरूरत नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अजय मिश्रा ने बताया कि कोर्ट ने मसूद के आवेदन और सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया है। सुनवाई के दौरान बैंक मैनेजर ने भी पुष्टि की कि लोन के जो दस्तावेज़ जारी किए गए हैं, वे सही हैं और बैंक के रिकॉर्ड से मेल खाते हैं। हाईकोर्ट ने माना कि लोन के दस्तावेज़ सही हैं और किसी भी तरह से फर्जी नहीं माने जा सकते। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अजय मिश्रा के साथ अधिवक्ता पंखुड़ी विश्वकर्मा भी मौजूद थीं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अगर अंतिम सुनवाई में यह साबित हो जाता है कि आरिफ मसूद और उनकी पत्नी ने बड़ी राशि का लोन लिया था और चुनाव के दौरान इसकी जानकारी छिपाई थी, तो उन्हें भ्रष्टाचार का दोषी पाया जाएगा। ऐसे में उनकी विधायकी खत्म हो सकती है। इस मामले की अगली सुनवाई 3 जनवरी को होगी।

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