हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट हारने के बाद प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल छा गए हैं। इस हार के पीछे की सबसे बड़ी वजह प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का लचर रवैया माना जा रहा है। सीएम के प्रति कांग्रेस के कुछ विधायकों की नाराजगी को भुनाते हुए भाजपा ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया। बहुमत होने के बाद बावजूद पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
इस हार की सबसे बड़ी और पहली बड़ी वजह सीएम सुक्खू की कांग्रेस विधायकों की नाराजगी को हल्के में लेना माना जा रहा है। सुधीर शर्मा और राजेंद्र राणा ने कई बार अपनी मांगों को लेकर सीएम से मुलाकात की। इसके बाद सीएम को पत्र भी लिखे। लेकिन सीएम ने इन मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया…
इस हार की सबसे बड़ी और पहली बड़ी वजह सीएम सुक्खू की कांग्रेस विधायकों की नाराजगी को हल्के में लेना माना जा रहा है। सुधीर शर्मा और राजेंद्र राणा ने कई बार अपनी मांगों को लेकर सीएम से मुलाकात की। इसके बाद सीएम को पत्र भी लिखे। लेकिन सीएम ने इन मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया।
आए दिन सुक्खू सरकार और संगठन में तनातनी खबरें सामने आती रहती थीं। सीएम सुक्खू पर विधायकों के साथ साथ कांग्रेस संगठन की भी अनदेखी करने के आरोप लगते रहते हैं। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने एक बार नहीं कई बार इसकी शिकायत कांग्रेस आलाकमान को भी की। यहीं नहीं जब सरकार ने एक साल का जश्न कार्यक्रम धर्मशाला में आयोजित किया, तो उसकी जानकारी तक पार्टी प्रदेशाध्यक्ष तक को नहीं दी गई।
सीएम ने अपने दूसरे कैबिनेट विस्तार में दिग्गज नेताओं को हराने वाले राजेंद्र राणा और पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा की अनदेखी की। यही गलती सुक्खू सरकार पर भारी पड़ी। क्योंकि इन दोनों नाराज विधायकों को ही क्रॉस वोटिंग का सूत्रधार माना जा रहा है। कांग्रेस के कई विधायक सरकार बदलने के साथ ही अफसरों के तबादलों की मांग कर रहे थे। लेकिन सुक्खू ने इसमें भी बहुत देरी की। इसके कारण सीएम के खिलाफ विधायकों और पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी बढ़ती गई।
कांग्रेस के कुछ विधायकों का यह भी आरोप है कि सीएम सुक्खू ने सरकार में एक ही गुट की नियुक्तियों को तवज्जो दी। इसमें भी ज्यादातर नियुक्तियों को कैबिनेट रैंक दिए गए। इस पर भी राजेंद्र राणा ने खुलकर प्रहार किया और कहा था कि बिना चुनाव लड़े कैबिनेट रैंक पाने वाले लोग विधायकों को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। जिन लोगों ने चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ काम किया, उन्हें सरकार में पद दिए जा रहे हैं।
नहीं दिया इस्तीफा, बजट में बहुमत साबित करेंगे
इस बीच सीएम सुक्खू ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैंने कोई इस्तीफा नहीं दिया, मैं एक योद्धा हूं। आम परिवार से निकला योद्धा लड़ाई में संघर्ष करता है और जीत संघर्ष की होती है। कांग्रेस पार्टी की सरकार पांच साल चलेगी। यह सरकार आम आदमी, कर्मचारियों व महिलाओं की सरकार है। भाजपा की ओर से विधायकों को बरगला कर जो प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है, वह सफल नहीं होगा। इस लड़ाई को युद्ध की तरह लड़ूंगा। सीएम ने कहा कि बजट सत्र में हम अपना बहुमत साबित करेंगे। भाजपा के कई विधायक हमारे संपर्क में हैं और जो लोग राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं, वे ऐसा नहीं कर पाएंगे। भाजपा का सदन में बर्ताव उचित नहीं है।