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चौथे चरण में दांव पर कांग्रेस की विरासत,2009 में कांग्रेस ने 50 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया था

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   चौथे चरण में होने वाले 96 लोकसभा सीटों के मतदान में इस बार विरासत बचाने का सियासी दलों पर बड़ा दारोमदार है। दरअसल जिन 96 सीटों पर चुनाव होना है, वह कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थीं। लेकिन बीते तीन लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने चार गुना से ज्यादा सीटों पर कब्जा कर अपना दबदबा बना लिया है। जबकि इन्हीं तीन चुनावों में कांग्रेस अपने गढ़ में अर्श से फर्श पर पहुंच गई। केंद्रीय चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि तीन चुनावों में कांग्रेस 50 सीटों से सिमट कर छह सीटों पर आ गई। सियासी जानकारों का मानना है कि चौथे चरण का यह मतदान क्षेत्रीय दलों की सियासत में विरासत बचाने की बड़ी परीक्षा भी है। इसमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से लेकर उत्तर प्रदेश समेत बिहार के सियासी दलों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।

कांग्रेस का गढ़ रही हैं ये सीटें
2024 के लोकसभा चुनाव का चौथा चरण सोमवार को होगा। इस दौरान 10 राज्यों की 96 लोकसभा सीटों पर 1718 उम्मीदवार सियासी मैदान में अपनी किस्मत आजमाएंगे। केंद्रीय चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं जिन 10 राज्यों के 96 सीटों पर मतदान होना है, वहां पर 2009 के चुनावों तक कांग्रेस का जलवा कायम था। आंकड़ों के मुताबिक 2009 में कांग्रेस ने इन राज्यों की 85 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में कांग्रेस ने अपने सभी विरोधियों को पछाड़ते हुए 85 में 50 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया था। लेकिन 2014 में जब चुनाव हुआ, तो इन राज्यों की 96 लोकसभा सीटों पर ऐसे समीकरण बिगड़े, कि कांग्रेस पार्टी 47 सीटें हार गई। 2009 की तुलना में कांग्रेस ने 2014 में मात्र तीन सीटें ही जीती थीं। इसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन नहीं सुधरा। पार्टी ने 85 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन इस चुनाव में भी पार्टी महज छह सीटें ही जीत सकी। 

भाजपा ने कब्जाई कांग्रेस की जमीन
चुनावी आंकड़े बताते हैं कि इन तीन चुनावों में जैसे-जैसे कांग्रेस का ग्राफ गिरता रहा वैसे-वैसे ही भाजपा ऊपर उठती रही। केंद्रीय चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2009 में भारतीय जनता पार्टी ने 89 सीटों पर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी महज दस सीटों पर ही चुनाव जीत सकी। जबकि 2014 में भारतीय जनता पार्टी इतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ी और 38 सीटों पर जीत हासिल की। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने 2019 में इन 89 सीटों पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 42 सीटें जीत लीं। आंकड़े बताते हैं कि तीन चुनाव में भारतीय जनता पार्टी जहां 10 सीटों से चार गुना ज्यादा सीटें जीते हुए 42 के आंकड़े तक पहुंच गई। वहीं कांग्रेस तीन चुनावों में पचास सीटों से सिमट कर छह पर पहुंच गई। 

क्षेत्रीय दलों पर विरासत बचाने का दबाव
राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार जीडी राव कहते हैं कि इस चरण में सिर्फ राष्ट्रीय पार्टियों के ग्राफ में तेजी से कमी और बढ़ोतरी तो दर्ज हुई, लेकिन क्षेत्रीय दलों ने भी मजबूत पकड़ बनाई। राव कहते हैं कि 2014 के लोकसभा चुनाव में वाईएसआर को नौ सीटें मिली थीं। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में वाईएसआर 22 सीटें जीतकर लोकसभा में भारी बहुमत से पहुंचे थे। इसी तरह बीआरएस ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 11 सीटें जीती थीं। जबकि 2019 के चुनाव में नौ सीटें जीती थीं। वरिष्ठ पत्रकार राव कहते हैं कि लेकिन इस चुनाव में वही नतीजे दोहराना क्षेत्रीय दलों के लिए चुनौती बन रहा है। उनका कहना है कि तेलंगाना में इस बार बीआरएस की बजाय कांग्रेस की सरकार है। इसलिए कांग्रेस खुद को यहां के लोकसभा चुनाव में पहले की तुलना में ज्यादा मजबूत मानकर चल रही है। उनका कहना है कि पिछले चुनाव में वाईएसआर को मिलीं 22 सीटें बचाने की चुनौती बनी है। क्योंकि आंध्र प्रदेश में भी चुनाव कांटे का लग रहा है।

वरिष्ठ पत्रकार बृजेंद्र शुक्ला कहते हैं कि जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने बीते तीन चुनावों में लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है, उसके लिए वही बरकरार रखने की चुनौती भी है। अपने इसी प्रदर्शन को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने आंध्र प्रदेश में टीडीपी के साथ समझौता किया है। जबकि बिहार में नीतीश कुमार के साथ भाजपा ने अपनी सियासी जुगलबंदी की है। सियासी नजरिए से कांग्रेस पार्टी भी अपनी पुरानी बादशाहत को बरकरार रखने के लिए अपने इंडिया गठबंधन को बड़ा आधार मान कर चल रही है। कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता पीएल पुनिया कहते हैं कि चौथे चरण में होने वाले अलग-अलग राज्यों की 96 लोकसभा सीटों पर गठबंधन जबरदस्त तरीके से जीतने जा रहा है। इसमें दक्षिण भारत के राज्यों से उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्य भी शामिल हैं। 

चौथे चरण में इन राज्यों में होगा मतदान
चौथे चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव में 10 राज्यों की 96 सीटों पर सोमवार को मतदान होना है। इसमें आंध्र प्रदेश की 25 सीटें, तेलंगाना 17 सीटें, उत्तर प्रदेश की 13 सीटें, महाराष्ट्र की 11, पश्चिम बंगाल की 8 और मध्यप्रदेश की 8 सीटों के साथ साथ उड़ीसा की 4, झारखंड की 4 बिहार की 5 और जम्मू कश्मीर की 1 सीट पर मतदान होना है। जिसमें उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, हैदराबाद से एआइएमआइएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी, लखीमपुर खीरी से  केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी, पश्चिम बंगाल की बहरामपुर सीट से अधीर रंजन चौधरी, पश्चिम बंगालसे ही महुआ मोइत्रा, आसनसोल से शत्रुघ्न सिन्हा जैसे कई बड़े नाम सियासी मैदान में हैं। जबकि क्षेत्रीय पार्टियों में टीएमसी, समाजवादी पार्टी, जेडीयू और राजद समेत बीआरएस और वाईएसआर जैसी पार्टियां अपने प्रदर्शन को मजबूत करने के लिए ताकत झोंक रही हैं।

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