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केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को पुरानी योजना के तहत ही पेंशन देने का कोर्ट का आदेश

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एस पी मित्तल, अजमेर

दिल्ली हाईकोर्ट ने 12 जनवरी को अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में केंद्रीय सुरक्षा बलों के कार्मिकों को पुरानी योजना के तहत ही पेंशन देने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के इस निर्णय के बाद केंद्र की मोदी सरकार को अपनी नई पेंशन योजना पर पुनर्विचार करना चाहिए। यह माना कि सरकारी कार्मिकों को रिटायरमेंट के बाद लंबे समय तक मोटी पेंशन देने से सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ता हे। इसका असर सीधा टैक्स चुकाने वालों पर होता है। यह भी सही है कि पेंशन का फायदा देश की आम जनता को नहीं मिलता। लेकिन देशभर में सरकारी कर्मचारी जिस प्रकार नई पेंशन योजना का विरोध कर रहे हैं, उससे मोदी सरकार को नुकसान हो रहा है। जिन राज्यों में गैर भाजपा सरकार है, उन्होंने पहले ही नई पेंशन स्कीम को खारिज कर दिया है। राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, तमिलनाडु , केरल, बिहार, पंजाब, छत्तीसगढ़ दिल्ली हिमाचल आदि राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने कार्मिकों को पुरानी पेंशन योजना के तहत ही पेंशन देने की घोषणा की है। यानी देश के अनेक राज्य मोदी सरकार के निर्णय को नहीं मान रहे हैं। सवाल उठता है कि जब केंद्र का निर्णय अनेक राज्य नहीं मान रहे हैं, तब ऐसे निर्णय को जबरन क्यों लागू किया जा रहा है। चूंकि यह मामला कार्मिकों के लाभ से जुड़ा है, इसलिए भाजपा शासित राज्य के कार्मिक नाराज होंगे ही। हो सकता है कि  भाजपा शासित राज्यों के कुछ मुख्यमंत्री भी पुरानी योजना के तहत पेंशन चाहते हों, लेकिन राजनीतिक कारणों से चुप हो। यह बात भी समझनी चाहिए कि जब कोई सुविधा एक बार दे दी जाती है, तब उसे छीनना आसान नहीं होता। 2023 में आठ राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन चुनावों में कार्मिकों को पुरानी पेंशन योजना देने का भी बड़ा मुद्दा होगा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो बार बार पुरानी स्कीम में पेंशन देने की मांग कर रहे हैं। गहलोत भी चाहते हैं कि केंद्र सरकार अपना निर्णय बदले। गहलोत ने गुजरात का ऑब्जर्वर रहते हुए चुनाव में पुरानी पेंशन का वादा किया था, लेकिन गुजरात की जनता ने फिर भी कांग्रेस को हटा दिया। लेकिन हिमाचल में कांग्रेस और पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत पुरानी पेंशन योजना का योगदान भी माना जा रहा है। सरकारी कार्मिक सभी राज्यों में संगठित होते हैं। ऐसे में किसी भी मुख्यमंत्री पर कार्मिकों का दबाव रहता है। सरकारी कार्मिक ही चुनाव में मतदान की व्यवस्था करता है। अगले वर्ष ही लोकसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में मोदी सरकार कार्मिकों की पुरानी पेंशन लागू करने का निर्णय करना ही चाहिए ताकि देश में पेंशन के मामले में एकरूपता बनी रहे। अभी कोर्ट ने केंद्रीय सुरक्षा बलों के लिए पुरानी पेंशन का आदेश दिया है। कोर्ट के ऐसे आदेश केंद्र के अन्य विभागों के कार्मिकों के लिए भी आ सकते हैं।  

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