सुधा सिंह
तीस्ता नदी पर बनते बांधों के बारे में कई बार लिखा है जो बनने के दौरान ही कई बार बह चुके हैं और करीब सौ से ज्यादा लोगों की जान ले चुके हैं और जिनके कारण सर्दियों में तीस्ता एक सुंदर नदी के स्थान पर सड़ता नाला दिखने लगी है।
अब उसी स्थान से सेवोक गंगटोक रेल लाइन का निर्माण शुरू हुआ है जिसमें भी अब तक दस से ज्यादा श्रमिकों की मृत्यु हो चुकी है, पहाड़ धंसने से। ये बहुत कच्चे पहाड़ हैं और यहां वर्षा का औसत प्राय: 3600 एमएम वार्षिक है। कई बार तो 24 घण्टे में ही 200 एमएम तक बारिश हो कर भयंकर भू स्खलन होता है और सिलीगुड़ी गंगटोक सड़क बंद हो जाती है।
सुरक्षा के नाम पर ही इसे चौड़ा किया जा रहा है और इसी का नाम ले कर ये रेलवे लाइन बनाई जा रही है। सड़क चौड़ी करने में भी भयंकर भू स्खलन हो रहा है।
भाई, आप अपनी विदेश नीति में दूरदर्शी और दृढ़ सुधार लाकर ये सुरक्षा खतरा कम नहीं कर सकते क्या ? हजारों किलोमीटर दूर के धोखेबाजी और अविश्वास परक साथी चुनने वाली की दुनिया के बाकी देशों की क्या हालत हो गई है और हो रही है, क्या आपको पता नहीं है?
दूसरी तरफ , इसी इलाके में दार्जिलिंग, गंगटोक, कालिंपोंग, मिरिक, कार्सियोंग आदि इलाकों में पर्यटन और विकास के नाम पर भारी भवन निर्माण हो रहा है।
नीचे तराई के दुआर इलाकों में भी , जहां इन पहाड़ों का पानी भारी पत्थर और गाद अपने साथ ले कर आता है, नदियों के किनारों पर पर्यटन का यही तांडव जारी है जिसका मैं अपनी सीमाओं में विभिन्न स्तरों पर विरोध कर रही हूं।
एक पर्यावरणीय संवेदनशील ( Ecologicallly sensitive and fragile) इलाके में इस सब के तेज गति से जलवायु परिवर्तन के दौर में क्या परिणाम होंगे, इसका अनुमान लगाने के लिए किसी रॉकेट विज्ञान की जरूरत नहीं पड़ती ।
भले ही आप मुझे dooms sayer या मरे हुओं की खबर लाने वाली निराशावादी कहें , लेकिन ये सब कुछ आईने की तरह साफ दिख रहा है, जिसे अंग्रेजी में Writings on the Wall कहते हैं।
लेकिन ये सब कुछ तो सुंदर लाल बहुगुणा और कॉमरेड अतुल सती जैसे लोग उत्तराखंड के लिए भी तो कह रहे थे, वहां कौन सा चार धाम महामार्ग और टेहरी बांध जैसे विनाशकारी प्रोजेक्ट रोके गए, फिर मेरी, आपकी और हमारे जैसे दूसरे लोगों की आवाज यहां भी नक्कार खाने में तूती की आवाज बन कर रह जाएगी और सीमेंट, कंक्रीट, स्टील लॉबी, इंजिनियरिंग, कंसलटेंसी, नेता, नौकरशाह, युद्धबाज जनरल , नौकरशाह लॉबी जीत कर ये विनाश जारी रखेगी।