इंदौर। जीरा के भाव रिकॉर्ड स्तर छूने के बाद अब नरम पड़ गए हैं। इसकी वजह मुनाफावसूली मानी जा रही है। ऊंचे भाव पर जीरा की बिकवाली से इसके दाम गिरने लगे हैं। हालांकि जानकारों के मुताबिक जीरा की कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार नहीं दिख रहे हैं क्योंकि इस साल उत्पादन काफी कम है।
सर्वोच्च स्तर छूने के बाद 6 फीसदी टूटा जीरा –
गौरतलब है कि कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में इस माह 13 अप्रैल को जीरा का मई कॉन्ट्रैक्ट 42,440 रुपये प्रति क्विंटल के सर्वोच्च स्तर तक पहुंच गया था। इसके बाद ऊंचे भाव पर मुनाफावसूली के लिए जीरा की बिकवाली शुरू हुई। जिससे जीरा के वायदा भाव गिरने लगे हैं। एनसीडीईएक्स पर जीरा मई कॉन्ट्रैक्ट ने आज खबर लिखे जाने के समय दिन का 39,650 रुपये क्विंटल का निचला स्तर छू लिया। इस तरह जीरा का वायदा भाव सर्वोच्च स्तर छूने के बाद करीब 6 फीसदी टूट चुके हैं। इस माह जीरा की बेंचमार्क ऊंझा मंडी में इसके अधिकतम हाजिर भाव 10 अप्रैल को 45,000 रुपये तक चले गए थे, जो अब घटकर 41 हजार रुपये क्विंटल पर आ गए हैं। जिंस विशेषज्ञ कहते हैं कि जीरा के वायदा भाव काफी बढ गए थे। इसलिए अब इसके कारोबार में मुनाफावसूली देखी जा रही है और भाव गिर रहे हैं। एक जिंस विश्लेषक ने कहा कि ऊंचे भाव पर जीरा की खरीदारी कमजोर हो गई थी। इसलिए अब बिकवाली के दबाव में इसकी कीमतें सुस्त पड़ी हैं।
आगे बड़ी गिरावट की संभावना नहीं –
जानकारों ने कहा कि जीरा के कारोबार में फंडामेंटल अभी भी मजबूत हैं। इसलिए आगे जीरा की कीमतों में बड़ी गिरावट की संभावना नहीं दिख रही है। भाव वर्तमान दायरे में बने रहने की उम्मीद है। जीरा का उत्पादन पिछले साल से काफी कम है। पिछले साल उत्पादन 6.29 लाख टन था। इस साल यह घटकर 3.8 से 4 लाख टन रह सकता है।