ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में शनिवार को कई दलित महिलाएं एक मंदिर के सामने धरने पर बैठ गईं. क्योंकि उन्हें पवित्र कार्तिक महीने के दौरान भगवान को दूध अर्पित करने से कथित तौर पर मना कर दिया गया. महिलाओं ने मंदिर के पुजारियों और उच्च जाति के लोगों के एक समूह पर आरोप लगाया कि वे उन्हें जिले के मरसाघई खंड अंतर्गत गरजंगा गांव में सिद्धेश्वरी रामचंडी शक्ति मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान नहीं करने दे रहे हैं.प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को मरसाघई पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज कराई और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जिन्होंने उन्हें देवता को दूध चढ़ाने से रोका.
गांव में पुलिस बल तैनात
मरसाघई पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक पूर्ण चंद्र पट्टायात ने कहा कि हमें इस संबंध में शिकायत मिली है. मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं. उच्च जाति और दलितों के वरिष्ठ सदस्यों से बातचीत की जा रही है. पुलिस स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है और गांव में शांति भंग होने की किसी भी आशंका को रोकने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया है. हालांकि, स्थिति अभी नियंत्रण में है.\
दलित महिलाओं को रोका
दरअसल विवाद तब शुरू हुआ जब मंदिर के पुजारियों और उच्च जाति के स्थानीय लोगों ने कथित तौर पर एससी महिलाओं को दूध अर्पित करने से रोक दिया. इसमें यह कहा गया कि केवल उच्च जाति के भक्तों को इस तरह के प्रसाद चढ़ाने का पारंपरिक अधिकार है.
देवता को दूध चढ़ाने की अनुमति
गरजंगा की एक एससी निवासी लक्ष्मीप्रिया बेहरा ने कहा कि हमें पहले देवता को दूध चढ़ाने की अनुमति थी, लेकिन इस कार्तिक महीने के दौरान, हमें अचानक रोक दिया गया. यह भेदभाव हमें बहुत आहत करता है, खासकर जब से हम इस गांव में सौहार्दपूर्ण तरीके से रह रहे हैं.
जिम्मेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग
मंदिर के पुजारी निरंजन पधियारी ने बहिष्कार का बचाव करते हुए कहा कि एससी महिलाओं द्वारा चढ़ाया गया दूध मंदिर के अनुष्ठानों और देवता के स्नान के प्रयोजनों के लिए अशुद्ध माना जाएगा. हालांकि, ओडिशा दलित समाज की केन्द्रपाड़ा जिला इकाई के अध्यक्ष नागेन्द्र जेना ने इस प्रथा की निंदा की और कथित जाति-आधारित भेदभाव के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.
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