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बरेलवियों की रिवायतों को लेकर दरगाह कमेटी और खादिमों की संस्था अंजुमन आपने सामने

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एस पी मित्तल,अजमेर

अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह का अपना एक मुकाम है। दरगाह को कौमी एकता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए यहां हिंदू समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में जियारत के लिए आते हैं। दरगाह के खादिम भी चाहते हैं कि दरगाह को मुसलमानों की किसी एक विचारधारा से अलग रखा जाए। दरगाह में पिछले 800 सालों से जो रिवायतें चली आ रही है, उन्हीं पर अमल हो। ख्वाजा साहब का 811 वां सालाना उर्स 23 से 30 जनवरी तक मनाया गया। उर्स शुरू होने से पहले खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के पदाधिकारियों ने भी संदेश प्रसारित कर कहा कि उर्स में आने वाले जायरीन दरगाह की रिवायतों का ख्याल रखें। इसी प्रकार केंद्र सरकार के अधीन आने वाली दरगाह कमेटी के अध्यक्ष सैयद शाहिद हुसैन ने एक वीडियो जारी कर चेतावनी दी कि यदि किसी ने दरगाह की कदीमी रिवायतों का उल्लंघन किया तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी। लेकिन अंजुमन और दरगाह कमेटी की हिदायतों के बाद भी उर्स में मुस्लिम माह रजब की पांच तारीख यानी अंग्रेजी कलेंडर की 27 जनवरी को दरगाह की शाहजहांनी मस्जिद में बरेलवी विचारधारा के मुसलमानों ने दरगाह की परंपराओं के विपरीत अपनी विचारधारा के अनुरूप कलाम प्रस्तुत किया। हालांकि बरेलवी विचारधारा वालों को रोकने के प्रयास दरगाह कमेटी के सुरक्षा गार्ड ने किए, लेकिन तादाद ज्यादा होने के कारण बरेलवी विचारधारा वालों को रोका नहीं जा सका। सोशल मीडिया पर जारी वीडियो से साफ पता चल रहा है कि बरेलवियों ने अपने कलाम पूरी शिद्दत और अकीदत के साथ पढ़े हैं। बरेलवियों ने यह प्रदर्शित किया कि उन्हें कोई नहीं रोक सकता है। बरेलवियों की प्रतिनिधि ने दरगाह कमेटी के कार्मिक से जानना चाहा कि उन्हें किस कानून के तहत कलाम पढ़ने से रोका जा रहा है। बरेलवियों के इस सवाल का दरगाह कमेटी का कार्मिक कोई संतोष जनक जवाब नहीं दे सका। सोशल मीडिया पर जारी बरेलवियों के वीडियो पर दरगाह कमेटी की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई। कमेटी के अध्यक्ष सैयद शाहिद हुसैन ने उर्स से पहले जो धमकी दी थी, वह भी धरी रह गई। लेकिन कमेटी के वरिष्ठ सदस्य सैयद बाबर अशरफ ने बरेलवियों के कलाम के लिए खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सरवर चिश्ती को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। बाबर ने दरगाह की कदीमी रिवायतों का उल्लंघन करने पर एतराज तो जताया, लेकिन कहा कि इसके लिए अंजुमन के सचिव सरवर चिश्ती की भड़काऊ कार्यवाही है। उर्स से पहले सरवर चिश्ती ने जो वीडियो जारी किया, वह उकसाने वाला था। सरवर ने भी वीडियो जारी कर दरगाह की परंपराओं का ख्याल नहीं रखा। दरगाह कमेटी के सदस्य बाबर ने जो वीडियो जारी किया उस पर अंजुमन के सचिव  सरवर चिश्ती ने पुलिस में शिकायत कर दी है। चिश्ती ने बाबर के वीडियो को माहौल खराब करने वाला बताया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उर्स शुरू होने से पहले सरवर चिश्ती से जयपुर में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भी जानकारी हासिल की थी। यानी ख्वाजा साहब की दरगाह में वो घटनाएं हो रही है, जिससे खादिम समुदाय और दरगाह कमेटी भी सहमत नहीं है। सवाल उठता है कि यदि ऐसी गतिविधियों को और बढ़ावा मिलता है तो दरगाह की कौमी एकता की स्थिति का क्या होगा? जब खुले आम दरगाह की कदीमी रिवायतों को तोड़ा जा रहा है, तब जिम्मेदार संस्थाओं के प्रतिनिधि ही आने मसोन हैं। दरगाह से जुड़े सभी पक्षों का यह दायित्व है कि परंपराएं टूटनी नहीं चाहिए। दरगाह का कौमी एकता का जो स्वरूप है वह बना रहना चाहिए। ख्वाजा साहब की दरगाह के प्रति सिर्फ मुसलमानों में ही नहीं बल्कि हिन्दुओं में भी आस्था है। 

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