पेशे से पशु चिकित्सक लेकिन जैविक खेती बायोडायनामिक खेती और कृषि पंचांग के धुरंधर अभासू और साधक डॉ ओम नारायण सोलंकी का स्वर्गवास हो गया है।
सन १९९० में हम सबने-पद्मश्री कुट्टी मेनन कृषि महाविद्यालय के तत्कालीन अधिष्ठाता डॉ वी एन श्रॉफ कृषि वैज्ञानिक डब्ल्यु आर देशपांडे करमरकर डॉ ओ एन सोलंकी के एन खर्नाल डॉ खोसला डॉ त्रिफळे पी वी पंडित और कुछ किसानों ने ऑल इंडिया बायोडानामिक एंड ऑर्गेनिक फ़ार्मिंग एसोसिएशन की स्थापना विसर्जन आश्रम में की थी।कृषि वैज्ञानिक श्रीपाद अच्युत दाभोलकर नीम मिशन पुणे के केतकर बायोडायनामिक के पुरोधा न्यूझिलैंड के पीटर प्रॉक्टर जैसे जैविक खेती से जुड़े दिग्गजों के साथ मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के प्रमुख आतिथ्य में एक वृहद सम्मेलन का आयोजन भी किया गया था।मध्य प्रदेश के प्रमुख कृषि आयुक्त श्री सत्यम के प्रयासों से उन दिनों सभी राज्यों के कृषि उप संचालक कृषि महाविद्यालय इंदौर में प्रशिक्षण लेने आते थे।
चूँकि बायोडायनामिक (जैव गतिकीय) नया विषय था इसमें डॉ सोलंकी और करमरकर ने मेननजी के साथ गहन अभ्यास और शोध किया था।प़शु चिकित्सा विभाग से निवृत्त होने के बाद डॉ सोलंकी अहिल्यामाता गोशाला में आ गए थे इसलिए वह स्थान हम लोगों के लिए मानो तीर्थस्थल बन गया था।वहॉं अगली पीढ़ी के रवि और अजीत केलकर बंधुओं ने बागडोर सँभाल ली लेकिन पूरा मार्गदर्शन डॉ सोलंकीजी का ही रहा।सोलंकी करमरकर और रवि केलकर ने मिलकर जो कृषि पंचांग बनाया था वह मानों किसानों के लिए फसलवार बोनी और कटाई का महत्वपूर्ण मार्गदर्शक साबित हुआ और हो रहा है।
आज जिस जैविक खेती को राज्य और केन्द्र शासन ने अपना लिया है उसकी शुरुआत ३३ साल पूर्व इंदौर में हो चुकी थी और वह सही भी था क्योंकि इंदौर विश्व का एकमात्र स्थान है जहॉं १०० साल पहले अंग्रेज़ कृषि वैज्ञानिक सर अलबर्ट हॉवर्ड ने महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधान कर जैविक खेती को वैश्विक स्तर दिलाया था।
मध्य प्रदेश में कृषि विभाग के संचालक डॉ गोपालसिंह कौशल के अथक प्रयासों से प्रदेश में जैविक खेती के प्रचार प्रसार एवं जैविक हाट में जैविक खेती को किसानों और ग्राहकों में रुची लाने में काफ़ी उल्लेखनीय कार्य हुआ था।
जैविक खेती में महत्वपूर्ण योगदान देनेवाले डॉ ओम नारायण सोलंकी को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि।