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प्रशासन की लापरवाही से हाथरस में मौत का तांडव

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सनत जैन

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के पुलराई गांव में नारायण साकार हरि,उर्फ भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ मे 116 लोगों की मौत हो जाने की अधिकृत जानकारी है। घटनास्थल से जो जानकारी मिल रही है। उसके अनुसार सैकड़ों लोग अभी भी अपने परिजनों को सत्संग स्थल ओर अस्पतालों के आसपास खोज रहे हैं। सत्संग में जो लोग आए थे। हजारों लोगों के बारे में कोई जानकारी अभी भी नहीं मिल पा रही है।

मृतकों की संख्या अभी कई गुना बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। सत्संग में करीब ढाई लाख लोग शामिल हुए। आयोजकों को जिला प्रशासन ने अनुमति दी थी। अनुमति के अनुसार करीब 80000 श्रद्धालुओं के आने का अनुमान जताया गया था। बड़े पैमाने पर सत्संग की व्यवस्था की गई थी। जिला प्रशासन और पुलिस जब इस तरह के आयोजनों को परमिशन देती है। परमीशन देने के बाद जिला प्रशासन की जिम्मेदारी होती है। वह स्थल का निरीक्षण करे। आयोजकों द्वारा जितनी संख्या में अनुमति मांगी गई है। उसके अनुसार व्यवस्था की गई है, या नहीं। आयोजकों द्वारा कार्यक्रम के लिए कौन से इंतजाम किए गए हैं।

इंतजाम को देखते हुए जिला प्रशासन परमिशन देता है। उसके बाद जिला प्रशासन अपने स्तर पर कानून व्यवस्था की स्थिति बनाने के साथ-साथ बाहर से आने वाले लोगों के लिए यातायात व्यवस्था, कार्यक्रम स्थल की सुरक्षा व्यवस्था, के इंतजाम करती है। आयोजन बड़ा होता है, तो जिले के अन्य थानों तथा अन्य जिलों से पुलिस फोर्स बुलाई जाती है। जो सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम को देखते हैं। इस तरीके के आयोजन में जिला प्रशासन के अधिकारी श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर आयोजक और जिला प्रशासन संयुक्त जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं। जिला प्रशासन के अधिकारी लगातार समारोह स्थल पर उपस्थित रहते हैं।

निश्चित रूप से जब सत्संग की अनुमति दी गई थी। तब यह माना जाना चाहिए, जिला प्रशासन ने भी अपने स्तर पर सारे इंतजाम किए होंगे। जिला प्रशासन की उपस्थिति में अनुमति से अधिक श्रद्धालुओं का आगमन हो रहा था। उसको रोकने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने क्या प्रयास किये? दुर्घटना होने के पहले जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही की गई हो, ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिलता है। घटनास्थल से प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस फोर्स बहुत कम संख्या में आयोजन स्थल के पास उपस्थित थी। वह 5000 की भीड़ को भी नहीं संभाल सकती थी। जिले का पुलिस बल,पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं था। प्रशासन के अधिकारी भी वहां पर उपलब्ध नहीं थे। जब लाखों श्रद्धालु वहां पहुंच रहे थे। उस समय भी जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किये।

जिसके कारण सैकड़ो लोगों की मौत भगदड़ में हुई। आयोजकों से बड़ी जिम्मेदारी जिला प्रशासन के अधिकारियों की है। उसके बाद सरकार की जिम्मेदारी है। जिला प्रशासन,पुलिस प्रशासन और सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं। आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई है। नारायण साकार उर्फ़ भोले बाबा का नाम एफआईआर में दर्ज नहीं है। बाबा फरार हो चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ घटना के दूसरे दिन सत्संग स्थल पर पहुंचे। उन्होंने साजिश की बात कहकर जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने की कोशिश की है। घायलों का उपचार नहीं हो पा रहा है। अस्पतालों में डॉक्टर नर्स और दवाइयां नहीं है। घायलों को बचाने के लिए एंबुलेंस नहीं है। घायलों को अस्पताल में देखने के लिए मुख्यमंत्री जरूर पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री के पहुंचने के बाद भी घायलों और उनके परिजनों को कोई सहायता नहीं मिल पा रही है। जिनके परिजन भीड़ में दबकर मर गए हैं। उनका पोस्टमार्टम नहीं हुआ उन्हें शव नहीं दिए जा सके हैं।

जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा है। उनकी देखरेख नहीं हो पा रही है। जिनके परिजन अभी भी परिजनों को खोज रहे हैं। कई बच्चों और महिलाओं के मां-बाप पति अस्पताल दर अस्पताल यहां से वहां भटक रहे हैं। उन्हें कोई सूचना आयोजकों और जिला प्रशासन द्वारा नहीं दी जा रही है। सैकड़ो किलोमीटर दूर से आए हुए लोगों के खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं है। जिस तरह से सांप निकल जाने के बाद लाठी पीटकर आक्रोश जताने की बात की जाती है। ठीक वही स्थिति पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन, और सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं। अफवाहों के बल पर पाखंडी बाबाओं द्वारा परेशान और मजबूर लोगों को अपने जाल में फंसाया जाता है। परेशानी दूर करने के नाम पर पाखंडी बाबा गरीबों को अपना भक्त बनाते हैं। भक्तों को बड़े-बड़े सपने दिखाए जाते हैं। पाखंडी बाबा भगवान बनकर भक्तों के कष्ट, चुटकी बजाकर दूर करने का प्रचार प्रसार करते है। पाखंडी बाबाओ के नए-नए कारनामे सामने आने लगे हैं।

श्रद्धालुओं से छोटी-छोटी सी रकम भी चढावे के रूप में मिलती है। तो वह करोड़ों रुपए की हो जाती है। पाखंडी बाबा अब भगवानों के ऊपर भी टीका टिप्पणी करने लगे हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश के एक बाबा भगवान कृष्ण और राधा रानी पर लेकर दिए गए बयानों के बाद विवाद में आ गए हैं। बापू आसाराम ऑलरेड्डी जेल में है। बाबा रामरहीम जेल में है। जेल में होते हुए भी हरियाणा सरकार की कृपा उनके ऊपर हमेशा बरसती है। वह जेल में कम और आश्रम में ज्यादा रहते हैं। ऐसे कई बाबा जेलों में बंद है। जिन पर राजनेताओं की कृपा बरसती है। दुखी और परेशान लोगों को यह पाखंडी बाबा अपने आपको ईश्वर का अवतार बता देते हैं। इनके दर्शन करने मात्र से,इनके द्वारा दी गई भभूति से,उनके दिए गए आशीर्वाद से, उनके चरणरज माथे में लगाने से,बाबा द्वारा दिए गए रुद्राक्ष, बाबा का लॉकेट पहनने से हर किस्म के संकट दूर करने का भरोसा भक्तों को दिलाया जाता है। प्रचार तंत्र के कारण इन बाबाओ की दुकान बड़े पैमाने पर चल रही हैं। देखते ही देखते करोड़ों रुपए की संपत्ति पाखंडी बाबा बना लेते हैं। बाबाओं के इस व्यापार मैं राजनेताओं की मिली भगत होने के कारण इनका व्यापार दिनों दिन बढ़ रहा है। पाखंडी बाबाओ की संख्या बड़ी तेजी के साथ बढ़ रही है

। सरकारी संरक्षण के कारण यह पाखंडी बाबा इतनी धूर्त हो जाते हैं। जब इस तरह की घटना होती है। तब पाखंडी बाबा बेशर्मी के साथ कहते हैं। जिसका जन्म हुआ है,उसका मरना तय है। जो मर रहे हैं, उसमें भगवान की मर्जी है। सत्संग में मरने वाले निश्चित रूप से स्वर्ग जाते हैं। पाखंडी बाबा मोक्ष पहुंचाने वाले भगवान के ठेकेदार भी बन गए है। सरकार भी ऐसे बाबाओ के समर्थन में आकर खड़ी हो जाती हैं। राजनेताओं के वोट बैंक यह बाबा बन चुके हैं। राजनेता उनके बचाव में खड़े हो जाते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी साजिश की आशंका बताकर ढोंगी बाबा को बचाने की कोशिश शुरू कर दी है। सत्संग में इतने बड़े पैमाने पर मौत होने की जिम्मेदारी सरकार और जिला प्रशासन द्वारा बरती गई, लापरवाही के कारण हुई हैं। सरकार को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

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