9 जून, 2024 को नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। इस बार के लोकसभा चुनाव में हालांकि उनकी पार्टी भाजपा को 240 सीटें ही मिलीं और वह बहुमत के आंकड़े से 32 सीटें पीछे रह गई। लिहाजा इस बार उसे एनडीए के घटक दलों, जदयू और टीडीपी का सहयोग अनिवार्य रूप से लेना पड़ रहा है।
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने इस संबंध में बताया कि जदयू एनडीए में शामिल है और वह प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को स्वीकार करती है। हालांकि त्यागी ने यह जरूर कहा कि देश में जातिगत जनगणना हो, यह मांग पहले भी जदयू करती रही है। अब वह इस मांग को और तेज करेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग भी गठबंधन के तहत करेगी।
संसद परिसर में उखाड़ दी गईं डॉ. आंबेडकर और शिवाजी महाराज की प्रतिमाएं
लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद संसद भवन परिसर में भी व्यापक बदलाव किया गया है। इस बदलाव में बहुजन नायकों डॉ. आंबेडकर और छत्रपति शिवाजी महाराज की स्थापित प्रतिमाओं को उखाड़ा जाना शामिल है। इसे लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने केंद्र सरकार पर महाराष्ट्र में भाजपा गठबंधन को मिली हार का खीझ बताया है। सुप्रिया सुले ने ट्वीटर पर जारी अपने बयान में केंद्र सरकार की आलोचना की है। वहीं संसद सचिवालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि गांधी सहित अनेक महापुरुषों की प्रतिमाओं को परिसर में ही बेहतर स्थान पर जल्द ही स्थापित किया जाएगा।
झारखंड में अपना विस्तार करेगी भारत आदिवासी पार्टी
इस बार के लोकसभा चुनाव में राजस्थान के बांसवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से जीत मिलने के बाद भारत आदिवासी पार्टी के हौसले बुलंद हैं। बताते चलें कि इस पार्टी के राजकुमार रौत को बांसवाड़ा से जीत मिली है। अब यह पार्टी झारखंड में भी अपने संगठन का विस्तार करेगी। इस संबंध में गत 7 जून, 2024 को झारखंड की राजधानी रांची में विभिन्न आदिवासी संगठनों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में कहा गया कि देश के अनेक राज्यों में विभिन्न आदिवासी समूह बड़ी संख्या में हैं। लेकिन उनके बीच राजनीतिक एकता नहीं होने के कारण उनकी उपेक्षा की जाती रही है। बैठक में भारत आदिवासी पार्टी की नेता बबीता कच्छप ने कहा कि अभी तक आदिवासी समुदाय के लोग विभिन्न पार्टियों का झंडा ढोते आए हैं। गैर-आदिवासी पार्टियों के अलावा अन्य क्षेत्रीय आदिवासी पार्टियों ने भी केवल उनका इस्तेमाल किया है। अब सभी आदिवासियों को एक विकल्प की आवश्यकता है, जो केवल भारत आदिवसी पार्टी दे सकती है। बैठक में लोहरा समाज के अध्यक्ष अभय भुटकुंवर, आदिवासी सेना के अध्यक्ष अजय कच्छप, धनबाद के अलसा सोरेन, जमशेदपुर के इंद्र मुर्मू, बिरसा पाहन, और रिचर्ड तिर्की सहित अनेक आदिवासी नेताओं ने अपने विचार व्यक्त किये।
छत्तीसगढ़ : पीयूसीएल ने की सुनीता पोट्टाम को बिना शर्त रिहा करने की मांग
बीते 3 जून, 2024 को ‘मूलवासी बचाओ मंच’ की बीजापुर जिले की अध्यक्ष और मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल से जुड़ी बस्तर की सामाजिक कार्यकर्ता सुनीता पोट्टाम को रायपुर में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि उनके खिलाफ 11 से अधिक गंभीर आपराधिक मामलों में स्थायी वारंट हैं, जिसके चलते गिरफ्तारी की गई है। वहीं पीयूसीएल की राज्य इकाई ने सुनीता पोट्टाम की गिरफ्तारी का विरोध किया है।
बताते चलें कि बीजापुर के गंगालूर ब्लॉक के कोरचोली गांव की सुनीता पोट्टाम और इसी गांव की मुन्नी पोट्टाम ने सितंबर, 2016 में तब लोगों का ध्यान खींचा था, जब उन्होंने नवंबर, 2015 से अगस्त, 2016 के बीच बीजापुर में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुए मुठभेड़ों में निर्दोष लोगों के मारे जाने के कई मामलों को लेकर थाने में शिकायत दर्ज कराना चाहा। पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज करने से मना करने पर उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। सुनीता पोट्टाम और मुन्नी पोट्टाम ने बस्तर में होने वाली कथित राज्य प्रायोजित हिंसा, लूटपाट, यौन उत्पीड़न, निजी कंपनियों की मनमानी, ग्राम सभा की अवहेलना के मामलों को उठाया। इस साल जनवरी महीने में 6 माह के एक शिशु की पुलिस की कथित क्रॉस फायरिंग में मौत के मामले पर भी उन्होंने जगदलपुर में आंदोलन किया था।
जबकि रायपुर पुलिस का कहना है कि बीजापुर जिले में सुनीता पोट्टाम के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, आगजनी लूट आदि के अनेक मामलों में अपराध दर्ज हैं, जिनमें से 11 में स्थायी वारंट जारी है। इनके चलते रायपुर में गिरफ्तारी की गई, जहां वह अपनी पहचान छुपा कर रह रही थी।
जबकि पीयूसीएल की राज्य इकाई ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया है कि सुनीता रायपुर अपनी 10वीं कक्षा ओपन स्कूल से पूरी करने आई थीं। वे यहां महिला संगठन के साथियों के साथ रह कर प्रवेश परीक्षा की तैयारी भी कर रही थी। ऐसे में उन्हें उनके निवास से उठा लिया। सबसे संदेहास्पद बात तो यह है कि इसको अंजाम देने के लिए और दो साथियों को एक कमरे के अंदर धकेल कर उन्हें बाहर से कुंडी लगाकर बंद कर दिया गया और डीएसपी रैंक का एक अधिकारी सुनीता को बिना नंबर प्लेट वाली गाड़ी में बिठाकर ले गए।
पीयूसीएल ने कहा है कि बीजापुर ज़िला में हो रही न्यायेतर हत्याओं के सिलसिले को देखते हुए सुनीता पोट्टाम व उनके साथियों की जान को खतरा है। उन्हें बिना शर्त रिहा करने की मांग की गई है।