एस पी मित्तल, अजमेर
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इन दिनों प्रदेश भर में प्रशासन शहरों और गांव के संग अभियान चला रखा है। इस अभियान में जरूरतमंद गरीब व्यक्तियों को उनके कब्जा शुद्ध भूखंडों के पट्टे दिए जा रहे हैं। सीएम गहलोत ने पट्टा देने की प्रक्रिया को बहुत सरल बनाया है, ताकि कब्जाधारियों को राहत मिल सके। इस राहत के पीछे अगले वर्ष होने वाले विधानसभा के चुनाव हैं। इस अभियान की क्रियान्विति की जिम्मेदारी नगरीय विकास विभाग के मंत्री शांति धारीवाल की है। लेकिन खुद धारीवाल ने ही एक बेशकीमती भूखंड का पट्टा जारी करने के लिए कोटा नगर निगम में आवेदन कर दिया। इस आवेदन पर निगम के उपायुक्त ने सार्वजनिक विज्ञप्ति जारी कर आपत्तियां मांगी है। निगम ने विज्ञप्ति प्रशासन शहरों के संग अभियान में जारी की है। 12 मई को निगम ने 29 आवेदकों की विज्ञप्ति अखबारों में विज्ञापन के तौर पर छपवाई है। इस विज्ञापन में 6 नंबर पर शांति धारीवाल पुत्र रिखबचंद धारीवाल के नाम का उल्लेख है। इस विज्ञप्ति में निगम ने माना कि कोटा के नयापुरा के प्लाट संख्या पर 7 पर नवरंग होटल बना हुआ है। इसी भूखंड का पट्टा शांति धारीवाल चाहते हैं। यदि धारीवाल को इस भूखंड का पट्टा मिलता है तो प्रदेशभर में हजारों लोगों को राहत मिलेगी। क्योंकि ऐसे कई प्रकरण हैं, जिसमें आवासीय अथवा कृषि भूमि पर होटल, मॉल, कॉम्प्लैक्स, दुकान मकान आदि का निर्माण कर लिया है। ऐसे अवैध निर्माणों को धारीवाल का स्थानीय निकाय विभाग ही सीज या बुलडोजर से तोड़ता है। अब यदि मंत्री के होटल वाले भूखंड का पट्टा नगर निगम जारी कर देता है तो प्रदेश भर में ऐसे लोगों को पट्टा जारी करना अनिवार्य हो जाएगा। पीडि़त लोग मंत्री के भूखंड का पट्टा दिखाकर हाईकोर्ट से आदेश भी ले आएंगे। सवाल यह भी है कि शांति धारीवाल के पास अब तक जिस भूखंड का पट्टा ही नहीं था, उस पर बहु मंजिला होटल कैसे बन गया? भाजपा के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने तो धारीवाल का भूखंड पर अवैध कब्जा ही बता दिया है। गुंजल ने कहा कि जिन नियमों के धारीवाल 50 करोड़ रुपए की कीमत वाले भूखंड का पट्टा जारी करवाना चाहते हैं, असल में धारीवाल उसके मालिक ही नहीं है। धारीवाल ने मालिकाना हक के लिए माता जी का वसीयतनामा लगाया है। कानून यह वसीयतनामा कोई मायने नहीं रखता है। गुंजल ने कोटा नगर निगम के अधिकारियों को चेताया कि यदि धारीवाल को पट्टा जारी कर दिया गया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। जयपुर के ऐसे ही पट्टा प्रकरण में अतिरिक्त मुख्य सचिव तक को जेल जाना पड़ा है। गुंजल ने कहा कि हमने नगर निगम में विधिवत तौर पर अपनी आपत्ति दर्ज करवा दी है। इसके साथ ही एक रिट हाईकोर्ट में भी दायर कर दी है। गुंजल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग की कि धारीवाल ने कोटा में जिस पचास करोड़ रुपए की कीमत वाले भूखंड पर कब्जा कर रखा है, उसे तुरंत प्रभाव से प्रशासन को अपने कब्जे लेना चाहिए।