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कैलाश क्या मप्र में अपनी सियासी जमीन तलाशने आए थे!

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भोपाल। करीब दो माह के अंतराल के बाद भोपाल आए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का दौरा बेहद सुर्खियों में बना हुआ है। वे इस दौरान जिस तरह से पार्टी के तमाम नेताओं और मंत्रियों से मिले और उसके बाद अपनी चिर परिचित शैली में जिस तरह से भुट्टा पार्टी की उसके मायने तो निकलना ही थे। उनके इस दौरे को एक बार फिर प्रदेश में अपनी सियासी जमीन तलाशने के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनने के पहले तक वे प्रदेश के उन गिने चुने शीर्ष नेताओं में शामिल थे, जिनके बगैर सत्ता व संगठन में कोई महत्वपूर्ण फैसला नहीं होता था। यह बात अलग है कि उनके मंत्री रहते सूबे के पूर्व और वर्तमान मुखिया शिवराज सिंह चौहान से कभी भी पटरी नहीं बैठ पाने की खबरें आम होती रहीं और अब भी हो रही हैं।

कैलाश


प्रदेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर वे संगठन के काम में जुट गए। उन्हें संगठन की ओर से पश्चिम बंगाल जैसे राज्य की जिम्मेदारी दी गई। वहां विधानसभा के आम चुनाव होने के बाद से अब लगभग पूरी तरह से फ्री हैं। इसके पहले वे जब भोपाल आए थे तो उस समय भी उनके द्वारा तमाम नेताओं से मेल -मुलाकात की गई थी। तब प्रदेश में तमाम नेताओं के बीच मिलने- जुलने का दौर चल रहा था। इसके बाद अब फिर से राजधानी आए तो तमाम सत्ता साकेत से जुड़े पूर्व और वर्तमान नेताओं से मिलने के बाद फिल्म शोले के गीत पर जिस तरह से सार्वजनिक रुप से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ नजर आए वह तस्वीर भी बहुत कुछ बयां करती है। दरअसल कहा जाता है कि राजनीति में जो होता है वह दिखता नहीं है और जो नहीं होता है वह दिखता है। कल की भुट्टा पार्टी को भी इससे ही जोड़कर देखा जा रहा है। इस पार्टी में जिस तरह से नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के अलावा तमाम अफसर शामिल हुए उससे कुछ अलग ही संदेश देने के रुप में राजनैतिक विश्लेषक बता रहे हैं।
विजयवर्गीय न तो मौजूदा समय में विधायक हैं और न ही लंबे समय से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं। इसी वजह से माना जा रहा है कि कहीं उनका यह दौरा अब उनकी प्रदेश में फिर से राजनैतिक जमीन तलाशने की कवायद तो नहीं हैं। कैलाश जी भोपाल आए तो उनके स्वागत में जिलाध्यक्ष सुमित पचौरी अपने लाव-लश्कर के साथ हवाई अड्डे पर मौजूद थे, वहीं पूर्व विधायक ध्रुव नारायण सिंह भी अगवानी करते नजर आए। दरअसल ध्रुव लंबे समय से सत्ता व संगठन की उपेक्षा का शिकार बने हुए हैं। इसके बाद जिस तरह से वे अरविंद भदौरिया के आवास पर नाश्ता करने और उसके बाद दोपहर का भोजन करने कमल पटेल के घर पहुंचे वह भी चर्चा का विषय बन रहा है।
यह बात अलग है कि कमल के घर से निकल कर वे सीधे मुख्यमंत्री से मिलने के लिए मंत्रालय की पांचवी मंजिल पर पहुंच गए। इस बीच मीडिया ने जब उन्हें घेरा तो वे अपनी चिरपरिचित शैली में ही उत्तर देकर रवाना हो गए। उन्होंने कहा कि जब उन्हें खबर देनी होगी तो वे दो लाइन की नहीं बल्कि पूरे पेज की खबर देंगे। उनके इस बयान के भी अब सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं। दरअसल यह सक्रियता ऐसे समय नजर आ रही है जब प्रदेश की एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव होना हैं। यह सीट मालवा निमाड़ अंचल की है, जो विजयवर्गीय के प्रभाव वाली मानी जाती है। वैसे भी भाजपा के पास इस सीट पर किसी बेहद मजबूत प्रत्याशी की तलाश जारी है।
साल भर रहता है भुट्टा पार्टी का इंतजार
विजयवर्गीय ऐसे नेता हैं जो हर साल भुट्टा पार्टी का आयोजन करते हैं। उनकी इस पार्टी में अगर गीत संगीत न हो ऐसा कभी संभव नहीं हुआ है। इसकी वजह है उनका भी संगीत प्रेमी होना। वे अक्सर अपने किसी करीब के कार्यक्रम और देवी जागरण के समय भजन गाने से पीछे नहीं रहते हैं। बीते रोज हुई भुट्टा पार्टी में भी इसी रंग में वे नजर आए। अगवानी के बाद हंसी ठिठोली के दौर के बीच दोस्ती का संदेश देने वाला प्रसिद्ध फिल्म शोले का वह गीत ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर साथ नहीं छोड़ेंगे को गाकर उनके द्वारा माहौल को खुशगवार बना दिया गया। इस दौरान उनके द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक साथ हाथ पकड़ कर उसे उठाया और गले मिलकर उनके बीच किसी तरह की कोई अदावत न होने का सबूत भी दिया गया। खास बात यह है कि दोनों ही नेताओं ने इस गाने पर अलाप दिया। उल्लेखनीय है कि बीते साल कोरोना संक्रमण और बंगाल चुनाव में व्यस्त होने की वजह से उनकी भुट्टा पार्टी का आयोजन नहीं हो सका था। पहले इस पार्टी का आयोजन विजयवर्गीय के विधायक पुत्र आकाश के शिवाजी नगर स्थित आवास पर की जानी थी, लेकिन बारिश को देखते हुए उसका आयोजन स्थल बदलकर विधानसभा परिसर किया गया।
कहा- शिव का ही रहेगा प्रदेश में राज
मीडिया द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में विजयवर्गीय ने कहा कि प्रदेश में शिव का ही राज चलेगा। ग्वालियर चंबल अंचल में जब अधिक वर्षा की वजह से बाढ़ की स्थिति बनी तो शिवराज रातभर नहीं सोए। वे एक बहुत ही संवेदनशील नेता हैं और उनमें साहसिक तरीके से हर संकट का मुकाबला करने का जज्बा है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि प्रदेश के राज्यपाल से उनके पुराने संबंध हैं इसलिए वे उनसे मुलाकात करने के लिए राजभवन गए थे। इसका कोई भी राजनैतिक अर्थ नहीं हैं। इसी तरह से उनके द्वारा की गई मेल मुलाकात के प्रश्न पर उन्होंने बड़ी साफगोई से कहा कि जब उनके द्वारा खबर दी जानी होगी तो वह दो लाइन की नहीं बल्कि पूरे पेज की ही दी जाएगी।

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