28 फरवरी पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी के जन्मदिन पर विशेष
योगेन्द्र सिंह परिहार
महात्मा गांधी जी का नाम ज़हन में आते ही उनके संघर्षकाल के जीवन की कई तस्वीरें सामने आने लगती हैं। सुबह जल्दी उठना, योग-व्यायाम करना, स्वच्छता बनाये रखने के लिए स्वयं साफ सफाई करना, किसी भी परिस्थिति में प्रतिदिन ईश्वरीय भक्ति के लिए समय देना , सत्य और अहिंसा के नित नए प्रयोग करना आदि उनकी जीवन चर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। वे जन जागृति के लिए बड़ी-बड़ी पदयात्राएं आसानी से कर लेते थे। एक दिन में हज़ारों लोगों से संवाद स्थापित करना, उनकी समस्या सुनना और फिर उन समस्याओं को मुद्दों की शक्ल देकर उस पर आंदोलन खड़ा करना गांधी जी की दिनचर्या में शामिल रहता था। उन्होंने अपने मनोबल की ताकत से चंपारण, खेड़ा, खिलाफत, असहयोग, सविनय अवज्ञा, दांडी मार्च और भारत छोड़ो जैसे देशव्यापी जन आंदोलन खड़े करके स्वतंत्रता की निर्णायक लड़ाई लड़ी और अंग्रेज़ी हुकूमत को वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया।
गांधी जी जन नेता थे, वे जनता की समस्या सुनकर द्रवित हो जाते थे ऐसे मानो जैसे खुद पर बीत रही हो और फिर उन समस्याओं को हल करने के लिए सबकुछ कर जाने की उनमें एक अलग ही इच्छाशक्ति थी। वे हर व्यक्ति को समानता की नज़र से देखते थे। आपसी प्रेम व भाई चारा बनाये रखने की लड़ाई उन्होंने अपनी अन्तिम साँसों तक लड़ी।
जानते हैं! मैंने जो कुछ गांधी जी के बारे में पढ़ा और सुना वही लिखा लेकिन लिखते वक्त मुझे लग रहा था कि मैं गांधी जी नही दिग्विजय सिंह जी के जीवन पर लिख रहा हूँ। लोग कहते हैं कि व्यक्ति चला जाता है लेकिन उसके विचार जीवित रहते हैं, वास्तव में गांधी जी के विचारों को यदि आज फिर किसी चलते फिरते शरीर में देखना है तो दिग्विजय सिंह जी गांधीवाद के सबसे बड़े उदाहरण कहे जा सकते हैं ।
सुबह जल्दी उठना, योग-व्यायाम करना व प्रार्थना करना दिग्विजय सिंह जी की जीवनचर्या का अहम हिस्सा है और अनवरत जारी है। रोज सैकड़ों लोगों से मिलना, उनके दुःख-दर्द को समझना और फिर गंभीरता के साथ उनके कामों को पूरा करवाना ये उनकी दिनचर्या है। भावुक इतने कि कोई समस्या सुनाता है तो उनकी आंखें भर जाती हैं, समर्पित इतने कि लोगों की समस्याओं पर पूर्ण समर्पण के साथ काम करते हैं, अनुशासित इतने कि रात में सोयें कितने भी बजे उठते एक ही समय पर हैं और साथी इतने कि जिसे एक बार अपना बना लिया तो उसका साथ किसी भी कीमत पर नही छोड़ते।
दिग्विजय सिंह जी को गांधी जी की तरह तेज पैदल चलने में महारत हासिल है, जनता की भलाई के लिए संघर्ष करने के लिए वे एक दिन में 15 से 20 किलोमीटर की पदयात्रा तक कर लेते हैं। देश और प्रदेश के लोगों ने उनकी धार्मिक और आध्यात्मिक पैदल नर्मदा परिक्रमा देखी है जब वे 3100 किलोमीटर नर्मदा जी के किनारे-किनारे पथरीले रास्तों पर अत्यंत भक्ति भाव से पैदल चले थे जो उनके धर्मनिष्ठ होने के प्रमाण हैं। अभी हाल ही में उन्होंने महँगाई, बेरोजगारी व अन्य मुद्दों के खिलाफ जन जागरण अभियान की एक मुहिम पूरे देश में चला रखी है वो भी बिल्कुल गांधी जी की तर्ज़ पर। रात को किसी गांव में विश्राम करना फिर दूसरे दिन प्रभात फेरी निकालना और प्रभात फेरी में भजन भी वही गाना जो गांधी जी को सबसे प्रिय था, “रघुपति राघव राजा राम, सबको सन्मति दे भगवान, ईश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान।” दिग्विजय सिंह जी, प्रण प्राण से पूज्य बापू को मानते हैं इसीलिए उनकी परछाई में भी अनायास गांधी जी ही प्रतिबिंबित होते हैं।
आपको मालूम है जब हमें आज़ादी मिली और पूरा देश स्वतंत्रता दिवस को उत्सव के रूप में मना रहा था तो गांधी जी क्या कर रहे थे, वे पश्चिम बंगाल के नोआखली में हिन्दू-मुस्लिम विवाद को खत्म करवाने का काम कर रहे थे। वे आपसी प्रेम व भाईचारे के प्रबल पक्षधर थे। भाई -भाई को लड़ाने का जो काम अंग्रेजों ने किया वही काम मौजूदा सत्ता भी कर रही है। दिन रात हिन्दू-मुस्लिमों में नफ़रत के बीज बोए जा रहे हैं। ऐसे विपरीत हालातों में दिग्विजय सिंह जी आपसी प्रेम और भाईचारा बनाये रखने के सबसे बड़े पैरोकार नज़र आते हैं। उनमें गांधी जी जो बसते हैं! किसी की परवाह किये बिना वे सभी जातियों और धर्मों के लोगों के बीच भेदभाव मिटाने का काम कर रहे हैं उसके लिए तमाम हिन्दू और मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन उन्हें अपने निशाने पर रखते हैं। संस्कारवान होने का चोला ओढ़ने वाले हिंदूवादी व मुस्लिम कट्टर सोच वाले धर्मांध लोग दिन भर दिग्विजय सिंह जी को ट्रोल करते हैं बल्कि गन्दी-गन्दी गालियां देते हैं सिर्फ इसीलिए कि दिग्विजय सिंह जी भाई-भाई को लड़ते मरते नही देखना चाहते। मैंने उनसे एक बार पूछा भी कि आप मुस्लिमों की लड़ाई इतनी ज्यादा क्यों लड़ते हैं तो उन्होंने कहा कि ‘बात हिन्दू- मुस्लिम की नही है आज ये लोग मुस्लिमों को मार रहे हैं, कल ईसाइयों को मारेंगे, फिर दलितों को मारेंगे, फिर आदिवासियों, गरीबों और कमजोर वर्ग के लोगों को मारेंगे तो क्या करें? क्या हम लोगों को मरने के लिए छोड़ दें? नही मैं ऐसा नही कर सकता, मैं हर शोषित, वंचित, पीड़ित की बराबरी से लड़ाई लड़ूंगा चाहे वे किसी भी जाति अथवा धर्म के क्यों न हों!
दिग्विजय सिंह जी को ये लोग इसीलिए भी ट्रोल करते हैं कि कहीं सही में हिन्दू-मुस्लिम लड़ाई खत्म न हो जाये क्योंकि लोगों को बांटने का झगड़ा खत्म हो गया तो कट्टरवादी संगठनों की दुकानें भी बंद हो जाएंगी। नफरत का कारोबार बंद हुआ तो धर्म के आधार पर वोटों का धुर्वीकरण भी बन्द हो जाएगा और इनके मंसूबों पर पानी फिर जाएगा। यही कारण है कि दिग्विजय सिंह जी हमेशा फासीवादी ताकतों की आंखों की किरकिरी बने रहते हैं। इसमें कोई अतिशयोक्ति नही होगी कि आज यदि गांधी जी जीवित होते तो ये कट्टरपंथी लोग दिग्विजय सिंह जी की तरह उन्हे भी ट्रोल कर रहे होते। आज भी जब गांधी जी जीवित नही हैं तब भी उनके विचार हमेशा कट्टरवादी संगठनों के राह के रोड़े बने रहते हैं इसीलिए ये संगठन गाहे बगाहे गांधी जी की मूर्तियों को तोड़ने और उनके हत्यारे गोडसे को पूजने का काम करके इतिहास के तथ्यों को मिटाने का कुत्सित प्रयास करते रहते हैं।
दिग्विजय सिंह जी के वीडियो काँट-छाँट कर चलाने का मकसद ही यही रहता है कि जो सबसे ज्यादा प्रभावशाली है उनकी प्रासंगिकता पर प्रश्न चिन्ह लगाते रहो, जो पक्के सनातनी हैं उन्हें हिन्दू विरोधी बताते रहो और उसी आड़ में विभाजनकारी नीति अपनाकर कुर्सी से चिपके रहो। आश्चर्य ये भी है कि लोग इनकी बातों में आ कैसे जाते हैं? सोचने वाली बात है कि दिग्विजय सिंह जी को हिन्दू विरोधी बताने की होड़ में झूठी मनगढ़ंत कहानियां बनाकर ये बताया जा रहा है कि उन्हें कोई नही मानता, तो मध्यप्रदेश भाजपा के मंत्री-नेता सुबह से दिग्विजय सिंह जी का नाम क्यों लेते हैं ? जब वे प्रासंगिक नही हैं तो भाजपा के लोग इनके नाम की माला क्यों जपते हैं? मालूम है, क्यों? क्योंकि दिग्विजय सिंह जी ने समूचे मध्यप्रदेश की ज़मीन कई बार नापी है, किस शहर में कितने नेता भाजपा-कांग्रेस के है, सबकी कुंडली है उनके पास! क्योंकि भाजपाई उनसे डरते हैं कि वे कभी भी संकल्पित होकर भाजपा की सत्ता को ज़मीन पर ला सकते हैं। क्योंकि दिग्विजय सिंह जी गांधी जी की तरह ज़िद के पक्के जो हैं। इसीलिए आज मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह जी भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं।
मैं तो बार-बार यही कहता हूँ कि जिसने गांधी जी को नही देखा वो एक बार दिग्विजय सिंह जी के किसी 2-3 दिन के दौरे में शामिल हो जाये उन्हें आज के दौर के गांधी के दर्शन हो जाएंगे।
योगेन्द्र सिंह परिहार