मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों और ‘पुराने दोस्तों’ में ठन गई है? क्या कमलनाथ से नाराज होकर दिग्विजय सिंह ने चुनाव प्रचार अभियान से दूरी बना ली है। दमोह में प्रियंका गांधी के कार्यक्रम से भी रहे नदारद।
टिकट वितरण और उससे उपजे असंतोष पर कमलनाथ के ‘दिग्विजय सिंह के कपड़े फाड़ो’ वाले बयान ने कांग्रेस में असहज स्थिति बना दी है। कांग्रेस के चुनाव अभियान के दो अग्रणी नेताओं में मनभेद हो गया है। कमलनाथ से नाराज होकर दिग्विजय सिंह कोपभवन में चले गए हैं। न तो कांग्रेस के कार्यक्रमों में दिखाई दे रहे हैं और न ही बगावत शांत करने में सक्रिय दिख रहे हैं। दमोह में प्रियंका गांधी की सभा में भी वह नहीं दिखे। नदारद ही रहे।
सूत्रों का कहना है कि दिग्विजय सिंह अपने कुछ समर्थकों को टिकट दिलाना चाहते थे। कमलनाथ ने फीडबैक सर्वे के बहाने उनकी इच्छा को अस्वीकार कर दिया। इससे उखड़े दिग्विजय सिंह ने खुद को अपने भोपाल के बंगले में कैद कर लिया है। शुक्रवार को उन्होंने पार्टी के मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला से भी मुलाकात कर अपना पक्ष रखा था। इसमें भी कोई रास्ता नहीं निकला है। उच्च स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं ताकि दिग्विजय सिंह फिर से बागियों और बगावत करने वाले नेताओं का गुस्सा शांत करने की अपनी भूमिका को निभाएं।
हालांकि, दोनों ही तरफ से नाराजगी या असंतोष को लेकर कोई बयान नहीं है। दिग्विजय सिंह खुले तौर पर स्वीकार कर चुके हैं कि कोलारस विधानसभा सीट से भाजपा विधायक रहे वीरेंद्र रघुवंशी को कांग्रेस में शामिल होने के बाद शिवपुरी में टिकट मिलना चाहिए था। टिकट नहीं मिल सका, इसका उन्हें खेद है। कमलनाथ के कपड़ा फाड़ बयान को लेकर उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों बहुत पुराने दोस्त हैं। उन्हें मुझे गाली देने और मेरे कपड़े फाड़ने की पॉवर ऑफ अटॉर्नी दे रखी है। भाजपा भी इसका लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। लगातार हमले किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर केंद्रीय नेता तक दिग्विजय सिंह की नाराजगी और कपड़े फाड़ने के बयान को मुद्दा बना चुके हैं। भाजपा प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि कपड़ा फाड़ से बहिष्कार तक बात पहुंच गई है। दिग्विजय सिंह शुक्रवार को प्रचार के लिए नहीं निकले। वह पीसीसी चीफ कमलनाथ से नाराज होकर कोप भवन में चले गए हैं।
यह है विवाद की वजह
भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी को टिकट नहीं मिला। इससे नाराज रघुवंशी समर्थक भोपाल पहुंचे। यहां कमलनाथ ने उनसे कहा कि टिकट कटने के लिए वह दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह के कपड़े फाड़े। इस बयान का वीडियो वायरल होने के बाद दोनों के बीच का द्वंद्व सामने आया। अगले ही दिन दोनों नेता वचन पत्र जारी करने के अवसर पर एक मंच पर आए। दोनों ने हंसी-मजाक के लहजे में मुद्दे को टाल दिया। कमलनाथ ने कहा कि कपड़े फाड़ने वाला बयान मजाक था। रघुवंशी को टिकट नहीं मिलने को लेकर गुना में दिग्विजय सिंह ने कहा कि शिवपुरी से यशोधरा राजे सिंधिया के चुनाव लड़ने से इनकार के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के लड़ने की अटकलें थी। इस वजह से दिग्गज नेता केपी सिंह को वहां से टिकट दिया गया।
दोनों में पहली बार सामने दिखी लड़ाई
पूर्व मुख्यमंत्रियों दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच इससे पहले कभी ऐसी लड़ाई खुलकर सामने नहीं आई है। यह पहला मौका है जब वीरेंद्र रघुवंशी के टिकट के मुद्दे पर दोनों आमने-सामने है। यह भी माना जा रहा है कि दिग्विजय सिंह के कहने पर ही वीरेंद्र रघुवंशी ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था। उन्हें टिकट नहीं मिला तो इससे उनकी भी किरकिरी हुई है। इससे पहले कमलनाथ ने बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की कथा कराई तो इससे भी दिग्विजय सिंह उखढ़ गए थे। हालांकि, इसकी पुष्टि किसी ने नहीं की। अंदरखाने चर्चा है कि दिग्विजय सिंह पर कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री उमंग सिंघार ने पर्दे के पीछे से सरकार चलाने के आरोप लगाए थे।
सुरजेवाला बोले- दोनों तो शोले के जय-वीरू
कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच खटपट का मुद्दा हाईकमान तक पहुंच गया है। प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी यह सवाल आया। इस पर उन्होंने कहा कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह बहुत पुराने दोस्त हैं। दोनों की दोस्ती शोले फिल्म के जय और वीरू (धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन) की तरह है। उन दोनों के बीच गब्बर सिंह झगड़ा नहीं करा पाए तो यहां भी भाजपा कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच झगड़ा कराने में सफल नहीं होंगे।