किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने बताया कि सिंगरौली जिले की चितरंगी तहसील में 25 दिनों से भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आदिवासियों द्वारा धरना दिया जा रहा। आदिवासियों के भूमि अधिग्रहण पर तत्काल रोक लगाने को लेकर उन्होंने 20 जनवरी को पत्र लिखा था। इस मुद्दे पर आज पुनः मुख्यमंत्री को पत्र भेजा गया है। पत्र की प्रति वन मंत्री, प्रभारी मंत्री, पुलिस महानिदेशक, जिलाधीश- सिंगरौली, पुलिस अधीक्षक- सिंगरौली को भी भेजी है।
प्रेषित पत्र में डॉ सुनीलम ने कहा कि चितरंगी एसडीएम द्वारा आदिवासियों की भूमि अधिग्रहण के संबंध में प्रश्न पूछे जाने पर डिप्टी कलेक्टर की उपस्थित में एक मीडिया कर्मी से मारपीट की गई थी। जिसका वीडियो भी वायरल हुआ है।
उन्होंने कहा कि किसी भी अधिकारी को कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है तथा कानून हाथ में लेने वाले किसी भी नागरिक पर जो कार्यवाही होती है, वह कार्यवाही अधिकारियों पर भी होनी चाहिए।
उम्मीद जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि वीडियो वायरल होने , देश भर के तमाम संगठनों के द्वारा घटना की निंदा किए जाने तथा एसडीएम को हटाने की मांग पर आप त्वरित कार्यवाही करेंगे। लेकिन अब तक कार्यवाही नहीं करने से यह संदेश जा रहा है कि आपका या सरकार का संरक्षण एसडीएम को प्राप्त है तथा आदिवासियों की आवाज को कुचलने का काम सरकार के निर्देश से किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि वे पूरी स्थिति का जायजा लेने तथा आंदोलनकारी आदिवासियों से मुलाकात करने के लिए वे कल सिंगरौली जा रहे है। इसकी जानकारी उन्होंने एडीएम, सिंगरौली को दे दी है। सूचना के बाद प्रशासन के द्वारा आंदोलन को खत्म करने के लिए आदिवासियों पर दबाव डाला जा रहा है। एडीएम ने आंदोलनकारी आदिवासियों को बातचीत के लिए जिला मुख्यालय पर बुलाया है। अधिकारियों द्वारा कहा गया है कि उन्हें सिंगरौली में प्रवेश करने नहीं देंगे तथा गिरफ्तार करेंगे।
जिसका अर्थ है कि शिवराजसिंह चौहान के शासन में आदिवासियों को न्याय की आवाज़ उठाने और उनकी जायज मांगों का समर्थन करने का भी संगठनों को अधिकार नहीं है।
पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने कहा कि मैं 1998 से 2008 के बीच विधायक रहते हुए सदन में और इसके पहले और बाद में भी आदिवासियों की आवाज उठाता रहा हूं तथा आगे भी आदिवासियों की आवाज उठाने के लिए प्रतिबद्ध हूं।
कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति को देखते हुए मैंने सिंगरौली में कोई सभा या प्रदर्शन का कार्यक्रम नहीं रखा है। आंदोलनकारियों से मिलने जा रहे है।शासन का कोई भी प्रोटोकोल मिलने-जुलने पर रोक नहीं लगाता है। इस कारण चेतावनी प्राप्त होने के बाद भी मैं सिंगरौली जा रहा हूं।
उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि पुलिस एवं प्रशासन के दमन के बजाय संवाद का रास्ता बेहतर होता है। मैं चाहूंगा कि आप संबंधित अधिकारियों को आंदोलनकारी आदिवासियों से बातचीत कर समस्या का हल निकालने का निर्देश जारी करने का कष्ट करें तथा दमन के माध्यम से आवाज को कुचलने के प्रशासन के प्रयास पर रोक लगाने का स्पष्ट निर्देश जारी करने का कष्ट करें।