अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

उद्योगपतियों की सरकार से कोई उम्मीद न रखे

Share

इस सरकार से किसान कोई उम्मीद ना हीं करें तो ठीक है। किसान को अब व्यवस्था परिवर्तन की ही लड़ाई लडऩी होगी। किसान नौ महीने से देश की राजधानी को घेरे बैठे हैं लेकिन केंद्र सरकार ने आज तक शहीद हुए किसानों के बारे में भी कोई शोक संदेश नहीं भेजा। यह सरकार कुछ कदम उठायेगी ऐसी उम्मीद नहीं दिखती। हमें अपनी पगड़ी के साथ फसल और नस्ल भी बचानी है वर्ना आने वाली पीढिय़ां हमें माफ नहीं करेंगी। इसके लिए फिर से यह आजादी की लड़ाई छिड़ चुकी है। तीनों कृषि बिल पूरी तरह से देश को देशी-विदेशी उद्योगपतियों के हाथों में सौंपने की तैयारी है। पहले एक ईस्ट इंडिया कम्पनी भारत में आई थी व्यापार करने और फिर व्यापार करते-करते उसने देश को गुलाम बना लिया था और अब तो ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ व साउथ सभी दिशाओं से अनगिनत कम्पनियां देश को निगलने के लिये अपना जाल फैला चुकी हैं।
संकट में खेती किसानी मोदी सरकार ने खाद-बीज के बाज़ार को अमेज़न जैसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए खोल दिया है। दो दिन पहले अमेजॉन के किसान स्टोर पर ‘Amazon India’ ने खाद, बीज, कृषि उपकरण जैसे खेती-किसानी से जुड़े करीब 8 हजार उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री शुरू की, इसका शुभारंभ खुद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया है। लाखों करोड़ का एग्री बिजनेस चंद सालों में इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मुट्ठी में होगा।
कृषि क्षेत्र में डिजिटल क्रांति शुरू हो गई है। एग्री बिजनेस में काम कर रही ये कंपनियां खेती के सभी पहलुओं पर डेटा एकत्र करने के लिए दुनिया भर के खेतों पर डिजिटल ऐप की मदद से मिट्टी का स्वास्थ्य, मौसम, फसल पैटर्न, कृषि उत्पाद की जानकारी इकट्ठा कर रही है। इसमें दुनिया के तमाम महत्वपूर्ण बीज और पशुधन और कृषि ज्ञान की वह आनुवंशिक जानकारी शामिल है, जिसे स्वदेशी किसानों ने हजारों सालों में सीखा है।
यह सारा डेटा इन एग्री बिजनेस करने वाली कंपनियों के स्वामित्व और नियंत्रण में जा रहा और यह आर्टिफिशियल इंटलीजेंस के एल्गोरिदम के माध्यम से चलता है, इसी को इकठ्ठा कर के प्रोसेस कर किसानों को ‘नुस्खे’ के साथ वापस बेचा जाता है कि कैसे खेती करें और कौन से कॉर्पोरेट उत्पाद खरीदें?
बिल गेट्स का बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) इस पूरे खेल का एक प्रमुख खिलाड़ी है। पूरी दुनिया मे बिल गेट्स ने कॉरपोरेट्स को लाभान्वित करने के लिए कृषि की दिशा को प्रभावित किया है, अब उसकी नजर दक्षिण एशिया विशेषकर भारत पर है। आपको मैं बार-बार याद दिलाता हूं कि नवम्बर 2019 में बिल गेट्स भारत आए और उन्होंने ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था, जो कृषि से संबंधी डेटा इकट्ठा करने को लेकर आयोजित किये गए थे।
बिल गेट्स की विश्व के नेताओं तक नियमित पहुंच है और वह व्यक्तिगत रूप से सैकड़ों विश्वविद्यालयों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और मीडिया आउटलेट्स को व्यक्तिगत रूप से नियंत्रित कर रहे हैं। बिल गेट्स कृषि और फार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन कंपनियों में भारी निवेश कर रहे हैं, बीएमजीएफ का बीज और रासायनिक दिग्गज मोनसेंटो के साथ घनिष्ठ संबंध सर्वविदित है, इसके अलावा बीएमजीएफ कई अन्य बहुराष्ट्रीय एग्री बिजनेस कारपोरेशन के साथ पार्टनरशिप कर है।
अफ्रीका में उन्होंने बड़े पैमाने पर कृषि को कंट्रोल कर लिया है। अफ़्रीका में उनके द्वारा किये इस प्रयोग पर दुनिया भर के सैकड़ों नागरिक समाज समूहों सहित कई आलोचकों का कहना है कि फाउंडेशन की कृषि विकास की नीतियां अफ्रीका में छोटे किसानों और समुदायों की बहुराष्ट्रीय निगमों के वादों को पूरा करने और लाभान्वित करने में विफल हुई हैं।
ये सारी समस्या पूंजीवाद से पनपे बिल गेट्स जैसे लोगों से है जिनका बाजार पर पूरी तरह से एकाधिकार हो गया है, यह वैश्विक कृषि व्यवसाय के लाभ के लिए स्वदेशी कृषि को, उससे जुड़ी पूरी व्यवस्था को उखाड़ फेंकना चाहते हैं। अब हमारा कर्तव्य यही है कि हमें मिलकर इन बाजार में एकाधिकारीयों को देश से खदेड़ना होगा।
*इंकलाब जिंदाबाद!*
*सोशल मीडिया का ज्ञान एडिट के बाद*

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें