अग्नि आलोक
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मत सुनो किसी की, करो अपने मन की 

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  सोनी कुमारी, वाराणसी 

कहते हैं विद्वान लोग : चावल और रोटी साथ नहीं खाना चाहिए।

   लेकिन मैंने तो बहुत बार रोटी और चावल दोनों ही साथ खाया, मुझे तो कुछ नहीं हुआ?

  फिर कहेंगे कि जवानी में पता नहीं चलेगा, बुढ़ापे में पता चलता है।

  अब बुढ़ापे में तो उसकी भी आंत साथ नहीं देती, जो दुनिया भर का परहेज करके जीता रहा जवानी भर ?

    फिर परहेज करने निकलो, तो इतने सारे परहेज हैं कि इंसान यह सोचता है कि इतने परहेज करने से तो अच्छा है जन्म ही न लेते। 

    मांसाहार से परहेज करो, क्योंकि जीव हत्या पाप है। यह नहीं देखते प्रवचन करने वाले कि शाकाहार उगाने के चक्कर में कितने जीवों की हत्या कर दी जाती है निर्दयता से पेस्टिसाइट व अन्य रसायन छिड़ककर। ऊपर से समय समय पर जंगलों में आग भी लगाई जाती है उपजाऊ भूमि पाने के लिए। तब कितने जीवन जन्तु बेमौत मारे जाते हैं, किसी को चिंता है उनकी ?

चलो मांसाहार त्याग दिया और शाकाहारी हो गए, तब कहेंगे कि प्याज, लहसुन, मसूर की दाल त्याग दो, क्योंकि ये सब तामसिक भोजन है और सेक्स की इच्छा बढ़ाती है।

    चलो ये सब भी त्याग दिया तो कहेंगे कि टमाटर, बैंगन भी त्याग दो, क्योंकि ये भी तामसिक भोजन में आता है।

     चलो ये भी त्याग दिया, तो कहेंगे कि दूध और दूध से बने उत्पाद त्याग दो, क्योंकि इनके सेवन से बछड़े पर अत्याचार होता है, उसे उसके हिस्से का दूध नहीं मिलता।

    चलो ये भी त्याग दिया, तो कहेंगे कि गेहूं, दाल, चावल भी त्याग दो क्योंकि ये सब पशुओं का आहार है, फल और हरी सब्जियाँ खाओ। 

चलो फल और हरी सब्जियाँ खाना शुरू दिया, तो कहेंगे कि पकाकर मत खाओ, कच्चा खाओ। क्योंकि मानव का पेट पका हुआ भोजन पचाने के लिए बना ही नहीं है। मानव का पेट तो कच्ची सब्जियाँ और फल पचाने के लिए बना है।

    ऐसे तो मानव का शरीर हवाई जहाज में उड़ने के लिए भी नहीं बना है, मनाव का शरीर कार और मोटर साइकिल चलाने के लिए भी नहीं बना है, मानव की आँखें स्मार्टफोन की स्क्रीन देखने के लिए भी नहीं बना है, मानव का शरीर कम्प्युटर चलाने के लिए भी नहीं बना है, मानव का शरीर जूते, कपड़े, टाई, कोट-पेंट, साड़ी, घाघरा, जींस, शर्ट पहनने के लिए भी नहीं बना है। बल्कि इन सब को मानव के अनुकूल बनाया गया है। 

    तो फिर सबकुछ त्याग कर निर्वस्त्र हो जाओ, कंद-मूल खाकर झींगा-ला…ला… करो जंगल में ?

    श्हर में क्यों रह रहे हो ? मानव का शरीर तो शहर में रहने के लिए भी नहीं बना है। मानव का शरीर तो बना है जंगल में रहने के लिए, शिकार करने के लिए है, कच्ची सब्जियाँ और फल-फूल खाने के लिए… है ना ?

सच्ची बात कोई नहीं कह रहा है कि भोज्य पदार्थो में परमिटेड जहर मिलाया जाता है ताकि इंसान बीमार पड़ा रहे और फार्मा माफियाओं का कारोबार दिन दुनी रात चौगुनी प्रगति करता रहे। इसलिए ऐसे सभी खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए, जो जैविक नहीं है, जिनमें पेस्टिसाइत, प्रिजरवेटिव और अन्य जहरीले रसायन मिलाये गए हैं।

      स्वयं सोचिए कि जिन पेस्टिसाइट और प्रिजरवेटिव से अन्य जीव जन्तु मरते हैं, उनसे मानव कोशिकाओं को क्या हानि नहीं होती होगी ? मानव कोशिकाओं को यदि हानि होगी, तो क्या केन्सर, एड्स व अन्य गंभीर बीमारियाँ नही होंगी ? (चेतना विकास मिशन).

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