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लोगों की जान से खिलवाड़ मत करो, जहरीले कचरे का विरोध

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भोपाल की यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा आज इंदौर के पीथमपुर पहुंच गया है। कचरे के ये कंटेनर सुबह 5 बजे पीथमपुर के आशापुरा गांव स्थित फैक्ट्री में पहुंच गए। यूनियन कार्बाइड के इस रासायनिक कचरे को पीथमपुर की रामकी एनवायरो कंपनी में जलाया जाएगा। पीथमपुर में कचरा जलाने के विरोध में आंदोलन भी तेज हो गया है। रहवासियों के साथ ही, जनप्रतिनिधि, संस्थाएं भी इसका विरोध कर रही हैं। 

चार दशक लंबे इंतजार के बाद गैस त्रासदी के ज़हरीले कचरे को अब नष्ट के लिए भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से लगभग 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर ले जाया जा चुका है. इसको लेकर पीथमपुर के स्थानीय लोगों में डर का माहौल है और इसका लगातार विरोध भी हो रहा है.

पीथमपुर में 337 मेट्रिक टन जहरीले कचरे को जालाने के  विरोध में दिल्ली से लेकर पीथमपुर तक विरोध प्रदर्शन किए गए. गुरुवार को पीथमपुर बचाओ समिति ने दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति का ध्यान आकर्षित किया. दिल्ली में जारी धरना प्रदर्शन में मानव अधिकार परिषद भी शामिल हुआ.

पीथमपुर के महाराणा प्रताप बस स्टैंड पर सर्वदलीय धरना प्रदर्शन किया जा रहा है.  3 जनवरी यानी कल पीथमपुर बंद का आह्वान किया गया है जिसे सभी राजनीतिक सामाजिक धार्मिक एवं मजदूर संगठनों का समर्थन है. इधर पीथमपुर में जहरीले कचरे का पहले दिन से मुखरता से विरोध करने वाले संदीप रघुवंशी भी आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. उनका कहना है कि जब तक पीथमपुर से जहरीला कचरा नहीं हटाया जाता तब तक वह आमरण अनशन पर रहेंगे चाहे उनकी जान भी क्यों ना चली जाए.

विरोध प्रदर्शन के बीच यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के अंदर मौजूद 337 मेट्रिक टन जहरीला कचरा बीती रात 9 बजे कंटेनरों में लाद कर पीथमपुर के लिए रवाना हुआ जो आज सुबह करीब 4:23 पर पीथमपुर पहुंचा. कंटेनर को सुरक्षित पीथमपुर तक पहुंचाने के लिए ढाई सौ किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया.

आपको बता दें कि कोर्ट के आदेश पर यह घातक जहरीला कचरा पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड में नष्ट किया जाएगा. यह खतरनाक जहरीला कचरा जिस जगह नष्ट किया जाएगा उसे क्षेत्र के आसपास बड़ी संख्या में रहवासी इलाका है उनकी सुरक्षा को लेकर भी अतिरिक्त सावधानी बरतने की बात कही जा रही है.

337 टन जहरीला कचरा जलाए जाने के बाद उसकी राख का बाद में वैज्ञानिक परीक्षण किया जाएगा यदि सुरक्षित रहा तो उसे खास तौर पर बने लैंडफिल साइड पर डंप किया जाएगा. क्षेत्र के लोगों को यह डर सता रहा है कि यहां नष्ट किए जाने वाले जहरीले कचरे से आने वाले समय में पीथमपुर से लेकर इंदौर तक की आबो हवा के साथ-साथ भूमिगत जल स्रोत भी दूषित हो सकता है.

इससे पहले आज मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भोपाल में प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि यूनियन कार्बाइड के वेस्ट को पीथमपुर ले जाने से पहले कई केंद्रीय संस्थानों और विशेषज्ञों की सलाह ली गई है उन्होंने कहा कि इस तरह का वेस्ट का असर 25 साल में खत्म हो जाता है और भोपाल गैस त्रासदी की घटना को 40 साल बीत चुके हैं, ऐसे में किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार सबको विश्वास में लेकर आगे बढ़ेगी. 

यूका के कचरे पर मंत्री विजयवर्गीय ने बुलाई बैठक, कहा-जनता डरे नहीं

भोपाल से इंदौर आए 337 टन विषैले कचरे को लेकर जारी विरोध के बीच इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में एक बैठक आयोजित की गई। उन्होंने कहा कि हमें भी शहर की चिंता है। रातभर हमने सरकार को सोने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जहरीले कचरे से जनता भयग्रस्त न हो, शंका का समाधान जरूरी है। 

विजयवर्गीय ने अफसरों से यह भी पूछा कि वर्ष 2015 में दस टन जहरीले कचरे को जलाया गया तो क्या पीथमपुर की जनता को जानकारी थी? जिसका अफसर कोई जवाब नहीं दे सके। आईएएस विवेक पोरवाल ने कहा कि पीथमपुर में दो बार कचरे का ट्रायल हो चुका है। फसल की उत्पादकता, पानी की जांच की गई। 17 जगहों पर बोर कर 37 मापदंडों पर परीक्षण किया गया। पानी दूषित नहीं पाया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने जल्दबाजी नहीं की। पूरी प्रक्रिया अपनाई गई है। 337 टन कचरे को जलाने में महीनों लगेंगे। कचरे को लेकर मन में शंकाएं हो सकती हैं, भ्रांतियां हो सकती हैं, लेकिन सरकार पूरी जिम्मेदारी के साथ कचरे का निष्पादन करेगी।

डॉ. संजय लोंढे ने सवाल उठाया कि भोपाल का कचरा इंदौर में ही क्यों जलाया जा रहा है? अफसरों ने कहा कि पहले जो ट्रायल किया गया। उसके आधार पर ही फैसला लिया गया। अतुल सेठ ने कहा कि ठंड के समय वातावरण में धुआं देर तक बना रहता है। कचरा अभी क्यों जलाया जा रहा है। अफसरों ने कहा कि कचरे के निपटान में चार से छह माह का समय लगेगा।

डॉक्टर एसएस नैयर ने सवाल उठाया कि पहले जो कचरा जलाया गया, उसका खुलासा तब क्यों नहीं किया गया। हमेशा कचरा जलाने का काम छुप कर क्यों किया गया। अफसरों ने कहा कि सभी जनप्रतिनिधि को इस बारे में बताया गया था। शिक्षाविद एसएल गर्ग ने कहा कि जलाने से पहले कचरे की प्रयोगशाला में जांच होना चाहिए। एक घंटे चली बैठक में कचरा जलाने का खुलकर विरोध हुआ

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