होलकर कालेज, इंदौर के पूर्व प्राचार्य, प्रोफेसर डॉ. बालकृष्ण निलोसे का आज दोपहर में निधन हो गया। वे 98 वर्ष के थे। उन्होंने देहदान की हुई है। डॉ. निलोसे एक असाधारण शिक्षक, वैज्ञानिक और समाजसेवी थे।उनकी गांधी विचार में गहरी निष्ठा थी। वे आजीवन अनुशासन, सिद्धांत और प्रकृति संरक्षण के प्रति समर्पित रहे। उनके निधन से शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति हुई है।
प्रो. निलोसे जी ने वर्षों तक माधव कॉलज, उज्जैन, होलकर कालेज, इंदौर में भौतिकीशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दी, इसके पश्चात वे होल्कर कॉलेज के प्राचार्य बने। उन्होंने हजारों छात्रों को अपने शिक्षण से जीवन में सख्ती, अनुशासन और सिद्धांतों की अहमियत सिखाई। उनके नेतृत्व में कॉलेज में एक नई अनुशासन व्यवस्था स्थापित हुई। एक घटना यादगार है, जब उन्होंने रैगिंग की समस्या का सामना करते हुए दोषी छात्रों को कॉलेज से निष्कासित कर एक मिसाल पेश की, जिससे बाद उनके कार्यकाल के दौरान होस्टल में कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ। वहीं जिन छात्रों को मारा-पीटी के कारण बाहर कर दिया था, उन्होंने उसे एक सीख के बतौर लिया और दूसरे कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद वे तीनों डॉक्टर बने।
डॉ निलोसे की पर्यावरण के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा थी। उन्होंने अपने प्राचार्य काल में कॉलेज के भौतिक वातावरण को संवारने के लिए वर्ष 1986 में 365 पौधे लगवाए और कर्मचारियों को श्रमदान में शामिल किया। इस पहल ने कॉलेज परिसर को हरा-भरा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रो. निलोसे जी ने सेवानिवृति के बाद अपना संपूर्ण जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित किया। वे मध्यप्रदेश वालंटरी हेल्थ एसोसिएशन (MPVHA), मध्यप्रदेश विज्ञान सभा, जिला साक्षरता समिति जैसी संस्थाओं में विभिन्न पदों पर रहकर अपनी सेवाएं देकर विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रहे। उनके कार्यकाल में उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर गहन काम किया। वे डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के रजिस्ट्रार के रूप में भी जुड़े, जहां उन्होंने संस्थान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे पर्यावरण, संरक्षण एवं अनुसंधान विकास केंद्र (CEPRD), इंदौर के ट्रस्टी तथा पर्यावरण विकास पत्रिका के सलाहकार मंडल के सदस्य रहे।
डॉ् निलोसे के निधन पर समाज सेवी पद्मश्री जनक मिलिगियन पल्टा ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि डॉ. निलोसे जी शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता और कानून का पालन करने वाले नागरिक थे। उनके साथ काम करने वाले लोग उन्हें एक मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक मानते थे। वे हमेशा प्रेम, स्नेह और प्रोत्साहन देने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने 2017 में स्व. श्री प्रीतमलाल दुआ जी और करीबी मित्र डॉ. सी.एस. गांधे के साथ गिरिदर्शन में आकर अपना आशीर्वाद और स्नेह साझा किया। उन्होंने अपने शरीर, मन और आत्मा के साथ 98 वर्षों तक निष्ठापूर्वक सेवा की, जो अखंडता और विनम्रता की मिसाल है! वे ज्ञान का एक महान स्रोत थे और उनके साथ बिताए हुए क्षण प्रेरणा के स्त्रोत बने रहेंगे।
सामाजिक कार्यकर्ता, स्वतंत्र लेखक, पर्यावरण विकास के संपादक कुमार सिद्धार्थ ने डॉ. निलोसे जी के देहांत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वे एक असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे, जिनके जीवन को उसूलों की प्रतिबद्धता, पर्यावरण के प्रति प्रेम और सख्त मिजाज के साथ दिल से स्नेह रखने की भावना के रूप में परिभाषित किया है। उनके व्यक्तित्व ने हमें प्रेरणा दी है कि जीवन में सिद्धांतों की अहमियत क्या है और कैसे हम अपने आसपास की दुनिया को बेहतर बनाने के लिए काम कर सकते हैं। उनकी विरासत हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी और उनकी शिक्षाएं आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन प्रदान करती रहेंगी।
डॉ. निलोसे के देहांत पर शहर की अनेक रचनात्मक व सामाजिक संस्थाओं- अभ्यास मंडल, सेवा सुरभि, सीईपीआरडी, कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट, सर्वोदय प्रेस सर्विस, विसर्जन आश्रम, सर्वोदय शिक्षण समिति, मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति आदि के प्रतिनिधियों ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।