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टीम इंडिया को मुश्किलों से निकाल पाएंगे द्रविड़?

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मनोज चतुर्वेदी

टी-20 विश्व कप में टीम इंडिया के खराब प्रदर्शन के बाद अब इसे पंख लगाने की जिम्मेदारी ‘द वॉल’ कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ को मुख्य कोच बनाकर सौंपी गई है। रवि शास्त्री के 2017 में मुख्य कोच बनने के बाद से इस बार के टी-20 विश्व कप तक टीम इंडिया ने ढेरों सफलताएं हासिल कीं, लेकिन एक कसर रह गई। वह है आईसीसी ट्रोफी पर कब्जा जमाना। द्रविड़ के जिम्मेदारी संभालते ही पहली परीक्षा देने की बारी भी आ गई है। टीम इंडिया की न्यूजीलैंड के साथ टी-20 सीरीज शुरू हो चुकी है और इसके बाद दो टेस्ट खेले जाने हैं। इस सीरीज में द्रविड़ की कुछ छाप भी जरूर दिखेगी। इसके अलावा हम क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप की यह सीरीज जीतते हैं तो पिछले दिनों विश्व कप में इस टीम के हाथों मिली हार की किसी हद तक भरपाई हो जाएगी।

तालमेल की चुनौती

पिछले दिनों खत्म हुए टी-20 विश्व कप के बाद विराट कोहली के इस प्रारूप की कप्तानी छोड़ने पर रोहित शर्मा को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। रोहित यदि सफलतापूर्वक कप्तानी की शुरुआत करते हैं तो आने वाले दिनों में उन्हें वनडे टीम का कप्तान बनाने का दबाव बन सकता है। वैसे भी विश्व में जिन देशों में कप्तानी बंटी हुई है, वहां सफेद गेंद और लाल गेंद के अलग-अलग कप्तान हैं। इसका मतलब है कि एक कप्तान के हवाले टी-20 और वनडे टीम तो दूसरे कप्तान के हवाले टेस्ट टीम रहती है। अगर अपने यहां भी ऐसी स्थिति बनती है तो द्रविड़ की प्रमुख जिम्मेदारी होगी यह सुनिश्चित करना कि टीम दो खेमों में न बंट जाए।

भारत में दो कप्तानों वाली स्थिति कोई पहली बार नहीं बन रही है। महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट से संन्यास लेने के बाद वह और विराट कप्तान थे। लेकिन इन दोनों जैसे अच्छे संबंध रोहित और विराट में नहीं माने जाते। द्रविड़ इन दोनों खिलाड़ियों के साथ खेले भी हैं और आईपीएल में कप्तानी भी की है, इसलिए दोनों को टैकल करने में उन्हें शायद ही कोई दिक्कत आए। वहीं रोहित शर्मा कप्तान के तौर पर टीम को क्या दिशा देते हैं, इस पर भी टीम इंडिया का भविष्य काफी-कुछ निर्भर करेगा।

रोहित-द्रविड़ युग का दमदार आगाज, रोमांचक मैच में भारत ने न्यूजीलैंड को हराया

रवि शास्त्री इस मलाल के साथ चले गए कि 2017 में टीम के मुख्य कोच की जिम्मेदारी संभालने के बाद टीम इंडिया को कोई भी आईसीसी ट्रोफी नहीं जिता सके। उनके कार्यकाल में भारत के सामने तीन मौके आए- 2019 में वनडे विश्व कप, 2021 में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप और फिर टी-20 विश्वकप। दो बार न्यूजीलैंड ने सपना तोड़ा तो तीसरी बार हम सेमीफाइनल में ही नहीं पहुंच सके। द्रविड़ को भारत में 2023 में होने वाले आईसीसी वनडे विश्व कप तक के लिए कोच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस दौरान ही विश्व टेस्ट चैंपियनशिप होनी है और अगले साल यानी 2022 में ऑस्ट्रेलिया में टी-20 विश्व कप का आयोजन होना है। इसका मतलब है कि द्रविड़ को पहली बड़ी परीक्षा के लिए मात्र 11 महीने में तैयार होना है।

रवि शास्त्री के कोच रहते भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसके घर में दो बार टेस्ट सीरीज जीती। अन्य देशों के खिलाफ भी ढेरों सफलताएं हासिल कीं। लेकिन वह जो काम नहीं कर पाए, उसे द्रविड़ किस तरह अंजाम देते हैं, यह देखने वाली बात होगी। द्रविड़ के निर्देशन में भारतीय टीम यदि तीन में से एक में भी विजेता बन सकी, तो उनका लोहा एक बार फिर मान लिया जाएगा। द्रविड़ के बारे में कहा जाता है कि वह किसी भी काम को व्यक्तिगत रूप से करने के बजाय उसके लिए एक सिस्टम बनाना पसंद करते हैं। बतौर खिलाड़ी क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उनकी दूसरी पारी की सफलता का यही मंत्र भी है।

हम सभी जानते हैं कि भारतीय क्रिकेट ने पिछले कुछ दशकों में नई ऊंचाइयों को छुआ है। लेकिन एक ऐसा देश है, जिसमें जाकर भारत ने अब तक टेस्ट सीरीज नहीं जीती है और वह है दक्षिण अफ्रीका। टीम इंडिया को न्यूजीलैंड से सीरीज के बाद दक्षिण अफ्रीका का ही दौरा करना है। इस देश के खिलाफ भारत ने उसके घर में पहली टेस्ट सफलता 2006 में जोहानिसबर्ग में हासिल की थी। तब टीम के कप्तान राहुल द्रविड़ ही थे। इस बार वह अपनी टीम से कैसा प्रदर्शन करवा पाते हैं, इस पर सबकी नजर रहेगी।

बतौर खिलाड़ी क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद राहुल द्रविड़ ने 2015 में अंडर-19 और इंडिया ए टीमों के कोच के तौर पर अपनी दूसरी पारी की शुरुआत की थी। उन्होंने इन चार सालों में तमाम युवाओं के करियर को संभाला ही नहीं बल्कि नई ऊंचाइयां भी दीं। इस दौर में उन्होंने ऐसी सप्लाई चेन बना दी थी, जैसी किसी अन्य देश में कभी नजर नहीं आई। इसी का परिणाम था कि भारत एक साथ इंग्लैंड और श्रीलंका दोनों के खिलाफ सीरीज खेलने में कामयाब हुआ। द्रविड़ के मुख्य कोच के कार्यकाल के दौरान एक और चुनौती आने वाली है। मौजूदा टीम में कई खिलाड़ी 33 से 35 साल के बीच के हैं। इनका करियर साल-दो साल से लेकर चार साल के बीच कभी भी खत्म हो सकता है। इनमें चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे, ईशांत शर्मा, मोहम्मद शमी जैसे खिलाड़ी शामिल हैं। द्रविड़ को समय रहते इन खिलाड़ियों के कम से कम दो-दो विकल्प तैयार करने होंगे।

भविष्य का कप्तान

भारतीय कप्तान विराट कोहली 33 साल के हैं और टी-20 टीम के कप्तान बनाए गए रोहित शर्मा 34 साल के। इनके अभी चार-पांच साल और खेलने की उम्मीद की जा रही है। इसलिए द्रविड़ के सामने भविष्य का कप्तान तैयार करने की चुनौती भी होगी। इसके लिए उनके पास केएल राहुल, ऋषभ पंत और श्रेयस अय्यर जैसे खिलाड़ी हैं। जरूरत उन्हें इस भूमिका के लिए तैयार करने की है। आम राय भी यही है कि द्रविड़ यह काम बहुत अच्छे से कर सकते हैं।

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