अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

बुंदेलखंड  में पानी में गईं करोड़ों की पेयजल योजनाएं…

Share

 हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में जलनिगम की पेयजल योजनाओं (Har Ghar Nal Scheme) में करोड़ों रुपये ठिकाने लग गए है इसके बावजूद ग्रामीणों की प्यास नहीं बुझ सकी। बीहड़ के तमाम गांवों में गर्मी शुरू होते ही पानी का संकट गहरा गया है। लोग कुएं से प्यास बुझाने को मजबूर हैं। सुबह होते ही ग्रामीणों को पानी का इंतजाम करने के लिए कुएं में लाइन लगाना पड़ रहा है जबकि तमाम ग्रामीण प्यास बुझाने के लिए पानी भी खरीद रहे है।

हमीरपुर जिले के मौदहा क्षेत्र के तमाम गांवों में पानी की किल्लत के स्थायी समाधान के लिए सरकार ने तीन साल पहले कई करोड़ रुपये की पेयजल योजनाओं की सौगात दी थी। समस्याग्रस्त ग्रामों में एक-एक टंकी, नलकूप और पाइपलाइन डालकर ग्रामीणों को मीठा पानी उपलब्ध कराए जाने का प्लान तैयार किया गया था।

जलनिगम ने भी पचास फीसदी से अधिक पेयजल योजनाओं के निर्माण भी कराए थे लेकिन पिछले साल सितम्बर महीने से ही अब पेयजल योजनाओं को तैयार करने की जिम्मेदारी महोबा के जलनिगम ग्रामीण को दे दी गई है जिससे करोड़ों की पेयजल योजनाएं अब खटाई में पड़ गई है।

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर
बड़ी आबादी वाले गांवों में पानी की टंकी होने लगी जर्जर

मौदहा क्षेत्र में बड़ी आबादी वाले गुसियारी गांव में 4.86 करोड़ रुपये की पेयजल योजना को तीन साल पहले मंजूरी मिली थी। जिसे लेकर गांव में पानी की टंकी तैयार की गई साथ ही दो नलकूपों के निर्माण भी हुए लेकिन अन्य कार्य अधूरे छोड़ दिए गए है। तीन साल बीतने के बाद भी ग्रामीणों को पीने का पानी नहीं मिल सका। गांव के सरपंच असरार अहमद खान ने बताया कि बजट मिलने पर पाइपलाइन का विस्तार होगा। पानी की समस्या के लिए निजी टैंकर की व्यवस्था की जा रही है।

.

.
इकलौते कुएं से गांव के हजारों लोग बुझा रहे प्यास
गुसियारी गांव में पानी की किल्लत को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी है। कल्लू समेत तमाम ग्रामीणों का कहना है कि इकलौते कुएं से प्यास बुझाने की सभी की मजबूरी है। सुबह से ही पानी का इंतजाम करने के लिए लाइन लगाने को गांव के लोग मजबूर होते है। बताया कि ज्यादातर लोग पुराने कुएं से ही पानी लेने को मजबूर है वहीं बीस रुपये में पानी का डिब्बा खरीदकर लोग किसी तरह से काम चला रहे है। बताया कि गांव में लगे हैण्डपंप भी गर्मी का पारा चढ़ते ही बोल गए है।

आधा दर्जन गांवों के लोग भी नदी से ढो रहे पानी
क्षेत्र के बक्छा, रतवा, नायकपुरवा, इचौली, छानी सहित आधा दर्जन गांवों में इन दिनों पानी के लिए जद्दोजहद मची हुई है। इन गांवों में जलनिगम ने कई करोड़ रुपये की पेयजल योजनाओं जमीन पर उतारी थी लेकिन आज तक योजनाएं परवान नहीं चढ़ सकी। अब कई गांव के लोग बैलगाड़ी से केन नदी पानी ढोने को मजबूर है। जलनिगम के एक्सईन मोहित वर्मा ने बताया कि अब ग्रामीण पेयजल योजनाएं उनसे छिन गई है। जलनिगम ग्रामीण महोबा काम देख रहा है।

क्या कह रही है सरकार?

वहीं अगर यूपी में सरकार की बात करें तो सालों से पानी की किल्लत से जूझ रहे बुंदेलखंड में सीएम योगी आदित्यनाथ ने पहले कार्यकाल में जल जीवन मिशन की योजना को लांच किया है। बाद में सोनभद्र और मिर्जापुर को भी इसमें शामिल किया गया। सरकार का दावा है कि 22 नवम्बर 2020 से शुरू हुई हर घर नल योजना ने बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र की सूरत बदलकर रख दी है।
.

.
2 वर्षों में 49 प्रतिशत घरों में नल से शुद्ध पानी पहुंच रहा है – स्वतंत्र देव सिंह
यूपी के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने से पहले देश के केवल 16 प्रतिशत घरों में ही नल से जल की सुविधा उपलब्ध थी, जबकि जल जीवन मिशन की शुरुआत के बाद मात्र दो वर्षों में 49 प्रतिशत घरों में नल से शुद्ध पानी पहुंच रहा है। मोदी जी ने वर्ष 2024 तक हर ग्रामीण को शुद्ध जल पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। जिसे पूरा करने के लिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निरंतर प्रयास कर रहे हैं। जल मंत्रालय भी प्रयास कर रहा है।

प्रदेश अध्यक्ष एवं जल शक्ति मंत्री ने कहा कि हर घर नल योजना ने लाखों लोगों की जिंदगी बदली है। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र के साथ ही प्रदेश के 66 जिलों में गांव-गांव तक नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की योजना पर युद्धस्तर से कार्य चल रहा है। प्रदेश भर में ऑनगोईंग योजनाओं (नई योजनाओं) के तहत कुल 913537 घरों में पानी के कनेक्शन देकर शुद्ध जलापूर्ति शुरू करा दी गई है। प्रदेश में पुरानी योजनाओं की मरम्मत कर नए सिरे से (रेट्रोफिटिंग योजना) 1644139 घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा जा चुका है।

यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों में 13.47 प्रतिशत से ज्यादा शुद्ध जलापूर्ति की जा रही है। इसमें सबसे ज्यादा काम प्राथमिकता के आधार पर बुंदेलखंड और विंध्य के ग्रामीण क्षेत्रों में किया गया है। जहां पेयजल की सबसे अधिक समस्या थी। प्रदेश के आर्सेनिक और जेईई प्रभावित क्षेत्रों में 28008 घरों तक पहुंची पेयजल आपूर्ति, 112032 लोगों को स्वच्छ पेयजल मिला है। हर घर नल योजना के जरिये प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्ध जलापूर्ति देने के साथ ही रोजगार जुटाने का काम बड़े स्तर पर किया जा रहा है। संविदा के आधार पर प्लंबर और इलेक्ट्रीशियन जैसे पद सृजित किये जा रहे हैं और स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ा जा रहा है।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें