शशिकांत गुप्ते
आज सीतारामजी ने एक अद्भुत कहानी सुनाई। एक गाँव के गरीबदास आसमान की ओर देख रहे थे।
मैने पूछा आपने गरीबदास के साथ बहु वचन क्यों लगाया?
सीतारामजी ने जवाब दिया,इस गाँव में गरीबदासों की संख्या अनवरत बढ़ रही है।
मैने पूछा सारे गरीबदास आसमान की ओर क्यों और क्या देख रहे थे।
सीतारामजी ने कहा ये गरीबदास कह रहें हैं कि, किसी केवलरामजी ने इन्हें बताया आसमान से आलू (Potato) गिरने वाले हैं। आसमान से आलू सीधे हम लोगों के मुँह में गिरेंगे?
अब ड्रोन से सिर्फ आलू ही नहीं तकरीबन सभी जीवन उपयोगी वस्तुएं गिरेंगी।
मैने मन में सोचा यही बुनियादी अंतर है, सीतारामजी और केवलरामजी में?
सीतारामजी ने कहा बेचारे गरीबदास भोलेभाले हैं। जब सारे गरीबदास आसमान की ओर टकटकी लगाए देख रहे थे,तब मुझे एक किस्सा याद आया।
प्रायः बड़े शहरों में कुछ फितरती तत्व शहर के व्यस्ततम उड़ान पुल के फुटपाथ पर खड़े होकर आसमान की ओर उंगली उठा कर जोर जोर से चिल्ला कर कहतें वो देखो वो देखो।
इन फितरती लोगों के बहकावे में आकर राहगीर चलते हुए रुक जातें हैं, और आसमान की ओर देखने लगते हैं। जब राहगीर भीड़ में तब्दील हो जातें है, तब ये फितरती चंपत हो जातें हैं।
राहगीर जबतक फितरत समझ पाते हैं तबतक अधिकांश राहगीरों को जेब कट जाती है।
सीतारामजी ने आगे कहा कि, बेचारे भोलेभाले गरीबदासों को समझ में नहीं आ रहा है कि, पिछले लगभग आठ नौ वर्षों से आसमान में सब्ज़बाग ही तो दिखाई दे रहें हैं।
वर्तमान में अत्याधुनिक तकनीक के कारण अब ड्रोन नामक यंत्र से सब्ज़बाग के दर्शन करवाएं जा रहें हैं। यह ड्रोन (drone) मानवरहित कैमरा होता है।
इसी ड्रोन के माध्यम से अब आपराधिक गतिविधियों पर भी नज़र रखी जाएगी?
मैने जिज्ञासा प्रकट की, क्या यह मानवरहित यान मानवीयता मुक्त करने की क्षमता तो नहीं रखता है?
सीतारामजी ने मुझे डाँटते हुए कहा आज व्यंग्य नहीं सिर्फ हास्य की बात हो रही है।
मैने कहा आपकी यह कहानी मनोरंजन कर मुक्त हो सकती है।
इनदिनों मुक्त और मुफ्त का लुफ्त उठाने की प्रतिस्पर्धा चल रही है।
इनदिनों सारी समस्याएं ही निरंतर आसमान को छूने की कोशिश में हैं।
सीतारामजी मुझसे कहा अपने व्यंग्यबाण अपने तरकस में ही रहने दो।
शशिकांत गुप्ते इंदौर