राजनीति का स्तर और कितना नीचा करेंगे भूपेश बघेल
क्या 03 दिसंबर के बाद भूपेश बघेल और उनके पुत्र चेतन बघेल उर्फ बिट्टू मुख्यमंत्री निवास में नही जेल जाएंगे?
सरकार किसी की भी बने भूपेश, उनके पुत्र समेत चांडाल चौकड़ी का जेल जाना तय
*विजया पाठक,
छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कंपनी का अंतिम समय आ गया है। 03 दिसंबर की तारीख 1984 जहां भोपाल गैस काण्ड को लेकर इतिहास में दर्ज है, वही 03 दिसंबर 2023 का दिन इस बार छत्तीसगढ़ की राजनीति में इतिहास बनाने वाला साबित होगा। सत्ता के शिखर में रहने के लिए व्यक्ति राजनीति को कितना नीचा गिरा सकता है इसका ताजा नमूना छत्तीसगढ़ में नजर आ रहा है। यहां चुनाव तो हो गए हैं और तमाम लोग दिनांक 03 दिसंबर का इंतजार कर रहे हैं। पर भूपेश बघेल और उनके साथी सत्ता की ताकत का गलत फायदा उठाकर अपने पिछले 05 सालों के कुकर्मों से अपने आप को बचाने में लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक कोयला घोटाले में तब की कथित सुपर सीएम सौम्या चौरसिया जब जेल गई तभी से भूपेश बघेल के पुत्र चेतन बघेल उर्फ बिट्टू ईडी की जद में आ गए थे। इसी से बचने के लिए भूपेश बघेल ने भाजपा के प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और उनके पुत्र के ऊपर कुछ-कुछ नकली मामले बनवा कर ब्लैकमेल करना चालू कर दिया। अभी ताजा-ताजा ईडी द्वारा महादेव सट्टा ऐप में अपने पुत्र बिट्टू पर गिरफ्तारी की तलवार लटकते देख फिर से बघेल द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र का एक अश्लील फैब्रिकेटेड ऑडियो/वीडियो बनवाया है जिससे परिवार को ब्लैकमेल किया जा सके। एक गुप्त सूचना के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र के कुछ 40-50 मामले भी फैब्रिकेट करवा के रखे हैं। खैर, नकली अश्लील वीडियो/ऑडियो बनवाने में भूपेश बघेल और उनकी खास कोटरी जिसमें विनोद वर्मा को वैसे भी एक्सपर्टाइज हासिल है और इससे संबंधित एक केस सुप्रीम कोर्ट में लंबित भी है। विनोद वर्मा को तो नकली सीडी बनवाने में महारत हासिल है। बात तब की है जब यह सब लोग विपक्ष में हुआ करते थे। पूरी बात का तारतम्य यह है कि भूपेश बघेल अपने और अपने कुनबे की गिरफ्तारी को लेकर आशंकित हैं, इसके लिए वह भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ झूठे मामले बनवाकर अपने आप को, पुत्र को और पूरी चांडाल चौकड़ी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें से एक मांग भाजपा सरकार आने पर मेरी गिरफ्तारी और मेरा हश्र भी सुनील नामदेव जैसे करने का है।
*एक नहीं अनेक घोटाले हैं बघेल कंपनी पर दर्ज*
छत्तीसगढ़ प्रदेश की विडंबना रही है प्रदेश बनने के बाद यहां हर मुख्यमंत्री का पुत्र कानूनी दायरों में फंसता जरूर है। भूपेश बघेल के पुत्र चेतन बघेल उर्फ बिट्टू पर पहले कोयला घोटाले और अब महादेव सट्टा ऐप को लेकर केंद्रीय एजेंसियां के रडार में है। इनको पहले भी ईडी ने कोयला घोटाले में समन ज़ारी किया था पर तब भाजपा के किसी बड़े नेता के हस्तक्षेप के बाद इनको बचा लिया गया था। ईडी ने हाल ही में दिनांक 17-11-23 को बिट्टू को नोटिस देकर बुलाया था पर वह उस समय नहीं पहुंचे थे, दिनांक 22-11-23 को चेतन बघेल उर्फ बिट्टू ने ईडी के कार्यालय पर दस्तक दी थी जहां उनसे संक्षिप्त तौर पर पूछताछ की गई। भूपेश बघेल कितनी भी कोशिश कर लें यह सब बेकार ही होगा क्योंकि सरकार किसी की भी बने भूपेश बघेल उनका कुनबा समेत उनके खास सीएम हाउस की बजाए जेल जाएंगे। पिछले 05 वर्षों में छत्तीसगढ़ में भय-भ्रष्टाचार-दमन-अत्याचार की सरकार चलाई गई हैं जिसका साक्षी छत्तीसगढ़ का हर प्रदेशवासी है। भूपेश बघेल के साथ उनके खास कोटरी के लोगों ने अपने हिसाब से प्रदेश चलाया था। प्रदेश के हर अधिकारी को इनके हिसाब से ही चाहे भय से या भ्रष्टाचार में शामिल होकर चलना ही पड़ता था। आज भूपेश बघेल की यह खास कोटरी के लोग में कुछ तो जेल पहुंच चुके हैं और बाकियों पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। एक बात तय है छत्तीसगढ़ में परिणाम चाहे किसी भी पार्टी के पक्ष में आए भूपेश बघेल के राजनीतिक भविष्य जरूर अस्त होने वाला है। उनकी इस हालत के जिम्मेदार वो स्वयं ही हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद बेदम पैसा कमाने की हवस और अपने कोटरी की हिटलरशाहीनुमा अंदाज से सरकार चलाने के कारण आज यह स्थिति निर्मित हुई। प्रदेश में भय का ऐसा वातावरण पैदा करवा दिया गया कि लोग सिर्फ छुप छुपकर व्हाट्सएप पर बातें करने लगे। प्रदेश में ऐसा समय रहा था, जब सौम्या चौरसिया, अनिल टुटेजा, विनोद वर्मा, सूर्यकांत तिवारी, अनवर ढेबर, रुचिर गर्ग, विजय भाटिया समेत आईपीएस अफसर जैसे आनंद छाबड़ा, आरिफ शेख, अभिषेक पल्लव मिलकर सरकार चला रहे थे। प्रदेश में इनकी नाफरमानी करने की हैसियत किसी की नहीं हुआ करती थी।
*ऊल जलूल बयानबाजी और झूठ बोलते हैं कार्यवाहक मुख्यमंत्री*
भूपेश बघेल की एक रणनीति ने उन्हें राजनीति में एकदम से चमका दिया था वो था उनकी बयानबाजी, वो झूठ भीं जिस आत्मविश्वास से बोलते हैं, आदमी उसे सही मान लेता है। अभी हाल ही में हुए चुनावों के दौरान देश के वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई जब उनका इंटरव्यू ले रहे थे सब कोयला घोटाले से संबंधित प्रश्न को लेकर भूपेश ने साफ झूठ बोल दिया कि खदानें केंद्र की हैं तो जांच उनकी करनी चाहिए। खैर, घोटाला तो ट्रांसपोर्टेशन पास को लेकर हुआ क्योंकि जिस सड़क से यह कोयला जाता था वो सड़क राज्य सरकार की थी, जिस पर गुजरने के लिए अवैध लेवी वसूला जाता था। वैसे भी महादेव सट्टे ऐप को लेकर हर मंच से उन्होंने झूठ बोला था। अब तो हालत यह हो गई है कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी को लेकर लगभग हर दिन कोई न कोई अनर्गल बयान भूपेश बघेल का आता है, शायद यह उनकी हारने की खीज है।
*देश में पहली बार किसी विधानसभा क्षेत्र में चुनावों में 200 करोड़ बांटे गए*
इस बार के छत्तीसगढ़ चुनाव पूरे देश में छाए रहे। ज्यादातर गलत कारणों से। पाटन विधानसभा जहां से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आते हैं। सूत्रों के मुताबिक वहां चुनावों में करीब-करीब 200 करोड़ बांटें गए। जोगी कांग्रेस के ज्यादातर पदाधिकारी को भितरघात करने के लिए 15-15 लाख तक दिए गए। अमित जोगी ने यहां से चुनाव लड़कर भूपेश के समीकरण खराब कर दिए, जिसके काउंटर में बेहिसाब पैसा बांटा गया। सूत्रों के मुताबिक अकेले पाटन में कुछ 200 करोड़ रूपये बांटे गए और चुनाव आयोग और प्रशासन आंख मूंदे बैठा रहा। वैसे अकेले पाटन में हीं नहीं अपने ही पार्टी के बड़े नेता चरणदास महंत, टीएस बाबा सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू और जयसिंह अग्रवाल को और अन्य को भी हरवाने की कोशिश की। साथ ही पार्टी फंड से एक पैसा भी नहीं दिया।
*झीरम घाटी की जांच से क्यों डरे हैं भूपेश बघेल?*
झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस की टॉप लीडरशिप खत्म हो गई थी। उस समय भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ कांग्रेस में तीसरी पंक्ति के नेता में आते थे। सवाल यह उठता हैं 2013-14 कोई 1.5 साल कांग्रेस केंद्र में सरकार में थी, उसी ने तब एनआईए से जांच करवाई। इसके बाद भूपेश बघेल की पांच साल के अपने राज में सिर्फ लीपापोती ही की। वैसे अब वो जरूर इस मामले की जांच राज्य सरकार से करवाने को आतुर है जिस पर अभी अभी सुप्रीम कोर्ट से भी फैसला आया है। अब शक इसी से होता है, कहीं झीरम घाटी भी नान घोटाले के तरह तो नहीं होगा। जहां वहां के मुख्य आरोपी को भूपेश ने अपना खास सिपहसालार बना दिया था। वैसे ही कहीं झीरम घाटी अपने दो सलाहकार को बचाने की कवायद तो नहीं, क्योंकि अगर झीरम नहीं होता तो भूपेश बघेल मुख्यमंत्री तो क्या ताकतवर मंत्रालय के मंत्री भी ना बन पाते।
*चुनाव के आखिरी दिनों में भाजपा ने पलट दी बाजी*
जहां छत्तीसगढ़ में भूपेश के खौफ से भाजपा का कैडर और नेता चुनावों के कोई तीन महीने पहले तक सुस्त थे, पर भाजपा आलाकमान, प्रभारी ओम माथुर का कौशल, अरुण साव, रमन सिंह, विजय बघेल, बृजमोहन अग्रवाल के संयुक्त प्रयासों के बाद बृजमोहन अग्रवाल के मतदान से ऐन पहले प्रदेश की कम से कम 15 सीटों पर असर डालने वाला कांड ने भाजपा को छत्तीसगढ़ के चुनावों में टक्कर पर ला दिया। आखिरी में पूरी पार्टी भूपेश के कुशासन के खिलाफ एकजुट हो गई और अपने को इस चुनाव में टक्कर में ला दिया है। अब 03 दिसंबर को तय होगा कि सरकार किसकी बनेगी पर कहना गलत नहीं होगा। आज 50 सीट जीतने के बाद भी कांग्रेस सरकार नहीं बना पाएगी क्योंकि भूपेश और उनके कुछ खास विधायकों के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है और बहुमत विधानसभा में साबित किया जाता है न कि जेल में।