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ED ने SDPI पर कसा शिकंजा, 4 राज्यों में SDPI के 12 ठिकानों पर छापेमारी

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ईडी ने 4 राज्यों में पीएफआई पर सर्च ऑपरेशन किया.ईडी ने 20 मार्च को कई राज्यों में पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सर्च ऑपरेशन किया. एसडीपीआई प्रेसिडेंट एम.के. फैजी की गिरफ्तारी के बाद सबूतों के आधार पर यह कार्रवाई की गई.पीएफआई से जुड़े 27 आरोपियों को अब तक गिरफ्तार किया गया.

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने देशभर में SDPI से जुड़े 14 स्थानों पर छापेमारी की है। इनमें दिल्ली स्थित SDPI के राष्ट्रीय मुख्यालय पर भी कार्रवाई की गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, केरल में तीन स्थानों पर भी छापेमारी की गई है। यह छापेमारी SDPI के खिलाफ चल रही जांच का हिस्सा है। ED की टीम ने इन स्थानों पर दस्तावेज और अन्य सामग्री जब्त की है जिनसे जुड़ी जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है।

नई दिल्ली. केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने 20 मार्च को कई राज्यों में सर्च ऑपरेशन को अंजाम दिया. जांच एजेंसी के मुताबिक ये सर्च ऑपरेशन प्रतिबंधित संगठन पीएफआई से जुड़े उसके राजनीतिक और स्टूडेंट विंग कहलाने वाली संस्था एसडीपीआई से जुड़े कई अन्य आरोपियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन की कार्रवाई को अंजाम दिया गया. ये सर्च ऑपरेशन एसडीपीआई से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्रवाई की गई.

जांच एजेंसी के वरिष्ठ सूत्र के मुताबिक पिछले कुछ दिनों पहले ही चार मार्च को SDPI के प्रेसिडेंट एम.के . फैजी को गिरफ्तार किया गया था. उसकी गिरफ्तारी के बाद हुई पूछताछ के दौरान जुटाए गए सबूतों के आधार पर 20 मार्च को जांच एजेंसी द्वारा कई लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. जांच एजेंसी द्वारा PFI से जुड़े मामले में अब तक 27 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

जांच एजेंसी ईडी द्वारा 20 मार्च को कई लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन की कार्रवाई को अंजाम दिया गया, जिन लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन को अंजाम दिया गया है उनके नाम प्रमुख तौर पर इस प्रकार से हैं…

तमिलनाडु में दो जगह – कोयंबटूर का मेट्टुपालयम और वेल्लोर का आर्कोट शहर,
राजस्थान में भीलवाड़ा और कोटा,
पश्चिम बंगाल में कोलकाता,
केरल में कोट्टायम और पलक्कड़.

पीएफआई संस्था है प्रतिबंधित, लेकिन संस्था से जुड़े लोग अभी भी हैं सक्रिय
साल 2022 में केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए और ईडी द्वारा ज्वॉइंट एक्शन के बाद पीएफआई संस्था को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पांच सालों के लिए प्रतिबंधित कर दिया था. इसके साथ ही उस दौरान करीब साढ़े तीन सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया था. लेकिन इतनी बड़ी कार्रवाई होने के बाद भी उस संस्था से जुड़े कई दर्जन लोग अभी भी कई अलग-अलग राज्यों में सक्रिय हैं. लिहाजा इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच एजेंसी द्वारा काफी गंभीरता से उन लोगों को तलाशा जा रहा है.

एसडीपीआई की स्थापना 2009 में हुई थी. इसे चुनाव आयोग के साथ एक राजनीतिक पार्टी के रूप में भी रजिस्टर किया गया है. इस सप्ताह की शुरुआत में फैज़ी की रिमांड मांगते हुए, ईडी ने अदालत को बताया कि पीएफआई और एसडीपीआई “स्वाभाविक रूप से” जुड़े हुए थे और बाद वाला पूर्व का “राजनीतिक मोर्चा” था और इसे “वित्तपोषित और नियंत्रित” किया गया था. एजेंसी ने दावा किया कि उसके पास यह कहने के लिए सबूत हैं कि दोनों संगठनों के बीच “गहरे जड़ें” वाला संबंध था क्योंकि उनके कैडरों की सदस्यता में “ओवरलैपिंग” थी, एसडीपीआई की स्थापना में पीएफआई पदाधिकारियों की भागीदारी थी और एक-दूसरे की संपत्तियों का उपयोग किया गया था.

SDPI पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का मुखौटा

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपने बयान में कहा कि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का मुखौटा है। ईडी के अनुसार, SDPI के सदस्य, कैडर और नेता सभी एक ही हैं और पार्टी अपने रोजमर्रा के कामों, नीति निर्धारण, चुनाव अभियानों, उम्मीदवारों के चयन, सार्वजनिक कार्यक्रमों, कार्यकर्ता जुटाने और अन्य गतिविधियों के लिए PFI पर पूरी तरह निर्भर है।

ईडी की जांच के मुताबिक, PFI के अधिकारी और सदस्य आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए भारत और विदेशों से धन जुटाने की साजिश कर रहे थे। इसके लिए वे बैंकिंग चैनल, हवाला नेटवर्क और दान जैसी अवैध तरीकों का इस्तेमाल कर रहे थे। इस जांच के आधार पर, ईडी ने NIA और दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज FIR के साथ-साथ अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों की विभिन्न एफआईआर के आधार पर PMLA 2002 के तहत PFI और अन्य के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी।

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