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कूनो में 4 महीने में आठवें चीते की मौत

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श्योपुर

मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत हो गई। अफ्रीका से लाया गया मेल चीता सूरज का शव शुक्रवार सुबह मिला। कूनो में पिछले चार महीने में 8 चीतों की मौत हो चुकी है, जबकि इसी हफ्ते में मरने वाला ये दूसरा चीता है।

अधिकारियों ने बताया कि वे चीता सूरज की मौत के सही कारण का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले मंगलवार को एक नर चीता तेजस की मौत हुई थी। बताया गया कि मादा चीता के साथ हिंसक लड़ाई में वह जख्मी हो गया था। जिससे उसकी जान गई थी।

तेजस और सूरज में हुई थी हिंसक झड़प

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हाल ही में तेजस और सूरज चीते के बीच हिंसक झड़प हुई थी। जिसमें तेजस की गर्दन पर गहरा घाव हो गया था। इसके बाद मंगलवार को उसकी मौत हो गई। वहीं इस संघर्ष में सूरज भी गंभीर रूप से घायल हो गया था। जिसका शुक्रवार को शव मिला। इसके अलावा अग्नि नाम का चीता भी घायल है, उसके पैर में फैक्चर है।

चीता सूरज की तेजस से लड़ाई हुई थी। इसमें दोनों चीते घायल हो गए थे। मंगलवार को तेजस की मौत हो गई। वहीं शुक्रवार को सूरज का शव मिला है।

70 साल बाद देश में चीतों की वापसी हुई थी, जब 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर नामीबिया से आए 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में रिलीज किया था। इस साल 18 फरवरी को साउथ अफ्रीका से 12 और चीतों को कूनो में छोड़ा गया था। यानी कुल 20 चीते लाए गए थे।

26 मार्च 2023: साशा की किडनी इन्फेक्शन से मौत
नामीबिया से लाई गई 4 साल की मादा चीता साशा की किडनी इन्फेक्शन से मौत हो गई। वन विभाग ने बताया कि 15 अगस्त 2022 को नामीबिया में साशा का ब्लड टेस्ट किया गया था, जिसमें क्रियेटिनिन का स्तर 400 से ज्यादा था। इससे ये पुष्टि होती है कि साशा को किडनी की बीमारी भारत में लाने से पहले ही थी। साशा की मौत के बाद चीतों की संख्या घटकर 19 रह गई।

27 मार्च 2023: ज्वाला ने 4 शावकों को जन्म दिया
नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया था। इसके साथ ही कूनो में शावकों सहित चीतों की संख्या 23 हो गई।

23 अप्रैल 2023: नर चीता उदय की दिल के दौरे से मौत
साउथ अफ्रीका से लाए गए चीते उदय की मौत हो गई। शॉर्ट पीएम रिपोर्ट में बताया गया कि चीता उदय की मौत कार्डियक आर्टरी फेल होने से हुई। मध्यप्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस चौहान ने बताया कि हृदय धमनी में रक्त संचार रुकने के कारण चीते की मौत हुई। यह भी एक प्रकार का हार्ट अटैक है। इसके बाद कूनों में शावकों सहित चीतों की संख्या 22 रह गई।

9 मई 2023: मादा चीता दक्षा की मेटिंग के दौरान मौत
दक्षा को दक्षिण अफ्रीका से कूनो लाया गया था। जेएस चौहान ने बताया कि मेल चीते को दक्षा के बाड़े में मेटिंग के लिए भेजा गया था। मेटिंग के दौरान ही दोनों में हिंसक इंटरैक्शन हो गया। मेल चीते ने पंजा मारकर दक्षा को घायल कर दिया था। बाद में उसकी मौत हो गई। इसके बाद कूनों में शावकों सहित चीतों की संख्या 21 रह गई।

23 मई 2023: ज्वाला के एक शावक की मौत
मादा चीते ज्वाला के एक शावक की मौत हो गई। जेएस चौहान ने बताया कि ये शावक जंगली परिस्थितियों में रह रहे थे। 23 मई को श्योपुर में भीषण गर्मी थी। तापमान 46 से 47 डिग्री सेल्सियस था। दिनभर गर्म हवा और लू चलती रही। ऐसे में ज्यादा गर्मी, डिहाइड्रेशन और कमजोरी इसकी मौत की वजह हो सकती है। इसके बाद कूनो में शावकों सहित चीतों की संख्या 20 रह गई।

25 मई 2023: ज्वाला के दो और शावकों की मौत
पहले शावक की मौत के बाद तीन अन्य को चिकित्सकों की देखरेख में रखा गया था। इनमें से दो और की मौत हो गई। अधिक तापमान होने और लू के चलते इनकी तबीयत खराब होने की बात सामने आई है। एकमात्र बचे शावक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। इसके बाद कूनो में एक शावक सहित अब 18 चीते ही बचे हैं।

11 जुलाई 2023: मेल चीता तेजस की मौत
चीते तेजस की मौत हो गई। उसकी गर्दन पर घाव था, जिसे देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि चीतों के आपसी संघर्ष में तेजस की जान गई है।

चीतों की मौत का सिलसिला क्यों नहीं थम रहा?
साउथ अफ्रीका की एक स्टडी में 293 चीते की मौतों को डॉक्यूमेंट किया गया है। इसमें चीतों की मौत की दर बताई गई है। इसमें बताया कि…

  • शिविर लगाने की वजह से 6.5% चीतों की मौत हुई।
  • एक जगह से दूसरी जगह ले जाने यानी रिलोकेशन पर 7.5% चीतों की मौत होती है।
  • ट्रैकिंग डिवाइस की वजह से 0.7% चीतों की मौत होती है।

इन तीन वजहों से 15% चीतों की मौत होती है। यानी हर सात में से एक चीते की मौत इनकी देखभाल और रखरखाव के लिए किए गए बाकी इंतजामों की वजह से होती है।

इस स्टडी में चीते की मौत का सबसे बड़ा कारण 53.2% शिकार होना है। इसके लिए शेर, तेंदुआ, लकड़बग्घे और सियार को मुख्य रूप से जिम्मेदार बताया गया।

स्टडी में बताया गया कि इनके अलावा वार्थोग, बबून, सांप, हाथी, मगरमच्छ, गिद्ध, जेबरा और यहां तक ​​कि शुतुरमुर्ग सहित कई अन्य वन्यजीवों ने भी चीतों को मारा है।

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