नई दिल्ली: लगता है कि महाराष्ट्र में जारी पॉलिटिकल ड्रामाअब जल्द ही खत्म हो जाएगा क्योंकि चुनाव आयोग ने दोनों ही गुटों को नोटिस भेज दिया है। 8 अगस्त को मामले की सुनवाई होगी और पता लग जाएगा कि असली शिवसेना किसकी है। बताने की जरूरत नहीं कि बगावत करके एकनाथ शिंदे लहाल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन चुके हैं और खुद के गुट को असली शिवसेना बता रहे हैं जबकि उद्धव ठाकरेने इस दावे को चुनौती दी है।
शिंदे ने लिखा था चुनाव आयोग को पत्र
इससे पहले एकनाथ शिंदे गुट ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर शिवसेना का चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ उन्हें आवंटित करने की मांग की थी। निर्वाचन आयोग को भेजे गए पत्र में शिंदे गुट ने 55 में से 40 विधायकों और 19 लोकसभा सांसदों में से 12 के समर्थन का दावा किया था। साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला व महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्वारा दी गई मान्यता का हवाला दिया था।
बाद में उद्धव ठाकरे गुट ने भी लिखी चिट्ठी
शिवसेना सुप्रीमो और संस्थापक स्वर्गीय बाला साहब ठाकरे के बेटे और उद्धव ठाकरे के गुट ने भी निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा। अपनी इस चिट्ठी में सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री के खेमे ने अनुरोध किया था कि पार्टी के नाम और उसके चुनाव चिह्न पर दावों के लिए कोई भी फैसला लेने से पहले उसके विचार को सुना जाए।
बगावत करके सीएम बने थे शिंदे
महाराष्ट्र में शिवसेना के 55 में से कम से कम 40 विधायकों ने बागी नेता एकनाथ शिंदे को समर्थन देने की घोषणा की थी, जिसके बाद शिवसेना-कांग्रेस औऱ राष्ट्रवादी कांग्रेस की महाअघाड़ी सरकार गिर गई थी। 30 जून को बीजेपी के सहयोग से एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की शपथ लेते हैं और पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस राज्य के उपमुख्यमंत्री बनते हैं।