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नियुक्ति पर विवाद से दबाव में चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने दिया इस्तीफा

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चुनाव आयुक्त ने क्यों छोड़ा पद, क्या था दबाव? इस्तीफे पर कांग्रेस के सवाल

नई दिल्‍ली। लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्तों पहले एक बेहद चौंकाने वाले कदम में चुनाव आयुक्‍त अरुण गोयल ने इस्‍तीफा दे दिया है। राष्‍ट्रपति ने उनका इस्‍तीफा स्‍वीकार कर लिया है। निर्वाचन आयोग में पहले से ही एक पद खाली था और अब गोयल ने भी इस्‍तीफा दे दिया है, जिसके बाद मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त राजीव कुमार का पद ही बचेगा। लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा अगले सप्ताह होने की सम्भावना थी ऐसे में अब यह देखना होगा कि क्‍या गोयल के इस्‍तीफे से समयसीमा प्रभावित होगी।


गोयल का फिलहाल 2027 तक का कार्यकाल बचा हुआ था। हालांकि उससे करीब तीन साल पहले ही उन्‍होंने इस्‍तीफा दे दिया। गोयल 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्‍होंने 18 नवंबर 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी और उसके एक दिन बाद उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसने सरकार से पूछा था कि आखिरकार जल्दबाजी क्या थी।


एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की ओर से दखिल जनहित याचिका में कहा गया था कि अरुण गोयल की नियुक्ति कानून के मुताबिक सही नहीं है। साथ ही यह निर्वाचन आयोग की सांस्थानिक स्वायत्तता का भी उल्लंघन है। इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 14 और 324(2) के साथ साथ निर्वाचन आयोग (आयुक्तों की कार्यप्रणाली और कार्यकारी शक्तियां) एक्ट 1991 का भी उल्लंघन है।


जनहित याचिका से पहले एडीआर ने निर्वाचन आयुक्तों की मौजूदा नियुक्ति प्रक्रिया की संवैधानिक वैधता को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका के अनुसार, भारत सरकार ने गोयल की नियुक्ति की पुष्टि करते हुए कहा था कि चूंकि वह तैयार किए गए पैनल में चार व्यक्तियों में सबसे कम उम्र के थे, इसलिए चुनाव आयोग में उनका कार्यकाल सबसे लंबा होगा। याचिका में तर्क दिया गया है कि उम्र के आधार पर गोयल की नियुक्ति को सही ठहराने के लिए जानबूझकर एक दोषपूर्ण पैनल बनाया गया था। हालाँकि याचिका ख़ारिज हो गयी थी।

इस्तीफे पर कांग्रेस के सवाल

अरुण गोयल के इस्तीफे से हलचल मच गई है. चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय पिछले महीने ही रिटायर हो गए. दूसरे चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अचानक इस्तीफ़ा दे दिया. अरुण गोयल का कार्यकाल 2027 तक था. अब भारतीय निर्वाचन आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार अकेले ही बचे हैं. कांग्रेस (Congress) ने इस इस्तीफे पर सवाल उठाये हैं. कांग्रेस ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम को लेकर स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए कि आखिर अचानक ऐसा क्यों हुआ.

केसी वेणुगोपाल ने क्या कहा: कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal) ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग के कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए. चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने 2024 के लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की संभावित घोषणा से कुछ दिन पहले आज पद से इस्तीफा दे दिया. गोयल का कार्यकाल दिसंबर 2027 तक था. वेणुगोपाल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सेहत के लिए यह बेहद चिंताजनक बात है कि चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इस्तीफा दे दिया है. निर्वाचन आयोग जैसी संवैधानिक संस्था कैसे काम कर रही है? इसमें बिल्कुल भी पारदर्शिता नहीं है.’’ उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह निर्वाचन आयोग पर दबाव डालती है.

अशोक लवासा का किया ज़िक्र: वेणुगोपाल ने दावा किया, ‘‘2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान अशोक लवासा ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए प्रधानमंत्री को क्लीन चिट देने के खिलाफ असहमति जताई थी. बाद में उन्हें लगातार पूछताछ का सामना करना पड़ा. यह रवैया दर्शाता है कि शासन लोकतांत्रिक परंपराओं को नष्ट करने पर तुला हुआ है.’’ उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम को स्पष्ट किया जाना चाहिए और आयोग को हर समय पूरी तरह से गैर-पक्षपातपूर्ण होना चाहिए.

RJD ने भी उठाए सवाल: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रवक्ता मनोज झा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘खबर आ रही है कि चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया है. संभवतः लोकसभा के आम चुनाव की घोषणा के ठीक एक सप्ताह पहले. इस तरह के इस्तीफे संशय पैदा करते हैं कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होंगे भी?’’

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